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अगर मैं पीएम होता तो नोटबंदी के प्रस्ताव को ‘डस्टबिन’ में फेंक देता: राहुल

उनका इससे जुड़ा एक वीडियो कांग्रेस पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है

Bhasha

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि नोटबंदी एक ‘अच्छी पहल नहीं’ थी. यदि वह देश के प्रधानमंत्री होते तो नोटबंदी के प्रस्ताव को ‘कचरे के डिब्बे’ में फेंक देते.

गांधी दक्षिण एशियाई देशों की पांच दिन की यात्रा पर हैं. शनिवार को उन्होंने मलेशिया यात्रा शुरु की और इस दौरान कुआलालंपुर में भारतीय समुदाय केलोगों के साथ बातचीत की.


उनसे पूछा गया था कि वह नोटबंदी को कैसे अलग तरह से लागू करते. इस पर गांधी ने कहा, ‘यदि मैं प्रधानमंत्री होता और कोई मुझे नोटबंदी करने के प्रस्ताव की फाइल देता तो मैं उसे कचरे के डिब्बे में, कमरे से बाहर या कबाड़खाने में फेंक देता.’

उन्होंने कहा, ‘मैं इस तरह इसे (नोटबंदी) लागू करता क्योंकि मेरे हिसाब से नोटबंदी के साथ ऐसा ही किया जाना चाहिए क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है.’

उनका इससे जुड़ा एक वीडियो कांग्रेस पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है.

उल्लेखनीय है कि नोटबंदी की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को की थी. इसमें उन्होंने 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट बंद कर दिए गए थे. कांग्रेस पार्टी ने इसका मुखर विरोध किया था.

महिलाओं को पुरुषों से बेहतर मानते हैं राहुल गांधी

महिला सशक्तिकरण पर एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए समानता ‘काफी’ नहीं है. उनका मानना है कि उनके प्रति जिस तरह का पक्षपात समाज में है उसके लिए उन्हें पुरुषों की बजाय ज्यादा मदद किए जाने की जरुरत है.

गांधी ने कहा, ‘मैं महिलाओं को पुरुषों के बराबर नहीं मानता, बल्कि पुरुषों से बेहतर मानता हूं. मेरा मानना है कि पश्चिमी समाज समेत सभी समाजों में (महिलाओं के प्रति) एक पक्षपाती सोच है, इस सोच को सुधारे जाने की जरुरत है और इसे ठीक करने के लिए समानता काफी नहीं है, इसके लिए आपको पक्षपाती होना होगा और जितना समर्थन पुरुषों को देते हैं, उससे ज्यादा महिलाओं को देना होगा.’

गांधी ने कुआलालंपुर में आईवाईसीओएन में युवा पेशेवरों को भी संबोधित किया.

अपने फेसबुक पोस्ट में गांधी ने लिखा है कि कुआलालंपुर में शनिवार को उन्होंने मलेशियाई भारतीय कांग्रेस (एमआईसी) के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम सत्यशिवम से मुलाकात की. एमआईसी मूल तौर पर 1946 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का ही हिस्सा थी. मलेशियाई स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. गांधी की यह यात्रा कांग्रेस की भारतीय समुदाय से जुड़ाव की कोशिश का हिस्सा है. शुक्रवार को उन्होंने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग से भी मुलाकात की थी.