उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनती दिखाई दे रही है. एक्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी बढ़त में दिख रही है. लेकिन, बीजेपी की अगर उत्तराखंड में जीत होती है तो सबसे बड़ा सवाल यही होगा कि आखिरकार उत्तराखंड का मुख्यमंत्री कौन होगा.
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के तो कई दावेदार हैं जिनमें सतपाल महाराज का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है. धार्मिक नगरी हरिद्वार के कनखल में जन्मे सतपाल महाराज का असली नाम सतपाल सिंह रावत है. लेकिन, आध्यात्मिक गुरु के तौर पर अपनी पहचान बनाने के बाद उनको सतपाल महाराज के तौर पर ही जाना जाता है.
सतपाल महाराज का रुझान राजनीति में भी रहा
उत्तराखंड के भीतर सतपाल महाराज के बड़ी तादाद में भक्त हैं जो उनके समर्थन में हमेशा से खड़े रहते हैं. सतपाल महाराज के पिता योगी राज परमसंत श्री हंस जी महाराज और माता जगत जननी राजेश्वरी देवी भी धर्म गुरु ही थे.
लेकिन, सतपाल महाराज का लगाव राजनीति से भी रहा. वो लगातार कांग्रेस से जुड़े रहे और 1991 में रेल राज्य मंत्री के तौर पर भी केंद्र की कांग्रेस सरकार में काम किया.
सतपाल महाराज गढ़वाल से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे हैं. पंद्रहवीं लोकसभा में सतपाल महाराज कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचने में सफल रहे थे.
लेकिन, अब सतपाल महाराज कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. लोकसभा चुनाव 2014 के ठीक पहले सतपाल महाराज ने बीजेपी का दामन थामा था.
हालांकि, सतपाल महाराज लोकसभा चुनाव के वक्त उम्मीदवार तो नहीं बने लेकिन, उन्होंने अपने सभी समर्थकों के सात बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की पूरी कोशिश की जिसका चुनावों में बीजेपी को फायदा हुआ था.
इस बार सतपाल महाराज चौबतखाल क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. विधानसभा चुनाव लड़ने के कारण सतपाल महाराज की दावेदारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद को लेकर बहुत ज्यादा बढ़ गई है.
बन सकते हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
कांग्रेस के भीतर हरीश रावत की सरकार के खिलाफ जब बगावत तेज हुई थी और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत कई कांग्रेस विधायकों ने बगावत का बिगुल बजा दिया था तो उस वक्त भी सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाने लगा था.
हालाकि, उस वक्त हरीश रावत ने अपनी सरकार बचा ली थी और ये कांग्रेस के बागी विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. अब अगर बीजेपी उत्तराखंड में जीत जाती है तो उस हालत में सतपाल महाराज के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता.