view all

'मुझे दुख है कि मैंने संघ में अपने इतने साल बर्बाद किए'

हालिया मंदसौर आंदोलन के पीछे के मुख्य चेहरे कक्का जी लंबे समय तक संघ से जुडे़ रहे

Amitesh

मध्यप्रदेश के मंदसौर में शुरू हुई किसान आंदोलन की आग अब धीरे-धीरे फैलती जा रही है. कई किसान संगठन के लोगों ने इस बाबत अब अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. अब किसानों के हित से जुड़े मुद्दे को लेकर मध्यप्रदेश के बाद पूरे देश में आंदोलन करने की तैयारी हो रही है.

इस पूरे आंदोलन के पीछे एक ऐसा शख्स है जो खुद कभी आरएसएस के साथ जुड़ा रहा है. बात हो रही है राष्ट्रीय किसान मजूदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा का. इन्हें प्यार से कक्का जी के नाम से पुकारा जाता है. कक्का जी भले ही सीधे तौर पर अपने आरएसएस के साथ रिश्ते से इनकार करते हों लेकिन, इस बात को मानते हैं कि आरएसएस के आनुशांगिक संगठन भारतीय किसान संघ के साथ वो लंबे वक्त से जुड़े रहे हैं.


मंदसौर आंदोलन के पीछे का चेहरा

फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से बातचीत में कक्का जी कहते हैं कि मेरा आरएसएस से कोई नाता नहीं रहा है. मुझे बाद में पता चला कि किसान संघ आरएसएस का आनुशांगिक संगठन है. अब अपनी गलती पर अफसोस जताते हुए कक्का जी भारतीय किसान संघ के साथ जुड़े रहने पर अफसोस जताते हैं. उनका कहना है कि बहुत तकलीफ हुई कि इतने वर्ष हमने अपना वक्त इन लोगों के साथ गंवा दिया. हमने अपनी जवानी के कई वर्ष इन लोगों के साथ लगा दिए जिससे हमें काफी तकलीफ हुई.

मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के रहने वाले कक्का जी की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई. बाद में जबलपुर से कॉलेज की पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में इनकी काफी रुचि रही. जबलपुर की छात्र राजनीति में भी इनका काफी दखल रहा.

किसानों के हित को लेकर पहले से ही कक्का जी की रुचि रही. किसानों के मुद्दे को लेकर कक्का जी पहले से ही काफी संवेदनशील रहे थे. मात्र 20 साल की उम्र में ही छात्र जीवन के दौरान उन्होंने 1972 से किसान संघर्ष समिति बनाकर किसानों के हित की लड़ाई लड़नी शुरू कर दी थी. किसान गंगा नाम की एक मैगजीन भी उन्होंने निकाली.

किसानों के हित की बात लगातार करने वाले कक्का जी 1998 में भारतीय किसान संघ से जुड़ गए. यहां उन्होंने लगातार किसानों की आवाज को जोर-शोर से उठाकर पूरे मध्यप्रदेश के भीतर किसान आंदोलन को एक नई धार देने का काम किया.

लेकिन, शायद भारतीय किसान संघ के साथ काम करने में उनको वो आजादी हासिल नहीं हो रही थी जिसको लेकर वो अबतक आगे बढ़ रहे थे. मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही भारतीय किसान संघ का रवैया सरकार को लेकर थोड़ा नरम होने लगा.

भारतीय किसान संघ सरकार के ज्यादा खिलाफ जाकर कुछ करने की सोच नहीं पा रहा था. शायद यही बात कक्का जी को नागवार गुजर रही थी. छात्र राजनीति से ही किसानों की बात करने वाले कक्का जी ने किसानों के मुद्दे को लेकर शिवराज सरकार को घेरना शुरू कर दिया जिसके बाद वो सरकार के सामने विरोध के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर सामने आ गए.

भारतीय किसान संघ से कब और क्यों अलग हुए

भारतीय किसान संघ के एक अधिवेशन की तस्वीर

कक्का जी कहते हैं कि मैं केवल किसान हित की बात करता था और भारतीय किसान संघ के लोग सरकार के अनुकूल चलते थे. यही संघ से टकराव का कारण बना.

दरअसल, कक्का जी पूरे मध्यप्रदेश के साथ-साथ देश भर में तब चर्चा के केंद्र में आए जब 2011 में 15000 ट्रैक्टर एक साथ लाकर पूरे भोपाल को बंधक कर दिया. अचानक भोपाल में हुए इस घेराव की भनक सरकार की एजेंसी तक को नहीं लगी.

कक्का जी कहते हैं कि इसके बाद ही संघ और सरकार को काफी तकलीफ हुई. उनका आरोप है कि छह महीने बाद मेरा एनकाउंटर करने का प्रयास भी रायसेन जिले की बरेली तहसील में किया गया.

बरेली में 160 किसान और 560 पुलिस वाले थे. अगर सरकार चाहती तो चार-चार पुलिस वाले एक-एक किसान को पकड़ लेते. ऐसा होने पर फायरिंग की सिचुएशन नहीं होती, लेकिन, ऐसा जानबूझकर आर्टिफिशिएल तरीके से बनाया गया. पुलिस वालों ने अपनी 8 वाहनों को एक में सटा कर लगा दिया, फिर 80 राउंड गोली चली. मुझे जेल में डालकर एक दर्जन मुकदमे लगा दिए. इसीलिए मेरा किसान संघ से जुड़ाव खत्म हो गया. वो सरकार जो इस तरह का काम करेगी उसके साथ कैसे काम हो सकता है?

इसी घटना के बाद कक्का जी ने भारतीय किसान संघ से अलग होकर राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ की स्थापना कर दी. अब यही किसान मजदूर संघ इस वक्त मंदसौर की आग के बाद निकली चिंगारी को पूरे देश में लेकर जाना चाह रहा है. हालाकि, कक्का जी का कहना है कि हमारा आंदोलन हिंसक नहीं होगा, यह किसानों के हित में चलने वाला देशव्यापी आंदोलन होगा.

आंदोलन को देश भर में ले जाने की कोशिश

कक्काजी का संगठन भारतीय किसान मजदूर संघ फिलहाल अब अगली लड़ाई की तैयारी में लग गया है. इस बाबत दिल्ली में 50 से ज्यादा किसान संगठनों की बैठक शनिवार को दिल्ली में हो रही है जिसमें देश के कई राज्यों के बड़े किसान नेता शामिल हो रहे हैं. दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन में हो रही इस बैठक में आगे की रणनीति के जरिए सरकार पर दवाब बनाने की पूरी कोशिश होगी.

लेकिन, इसके पहले ही कक्का जी ने आगामी 9 अगस्त को पूरे देश में नेशनल हाईवे को दिन में एक से तीन बजे तक जाम करने का ऐलान कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. सरकार को किसानों के मुद्दे पर अब बड़ी चुनौती के लिए तैयार रहना होगा.

फिलहाल मध्यप्रदेश में मामा शिवराज सिंह चौहान के लिए कक्का जी ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.