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क्या आप जानते हैं अहमद पटेल के लिए किसने तोड़ा चक्रव्यूह?

किसने पटेल को वो रास्ता सुझाया जिसने हारी हुई बाज़ी को जीत में तब्दील कर दिया?

FP Staff

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए लगभग दो दशक से चाणक्य की भूमिका निभा रहे अहमद पटेल की राज्यसभा चुनाव में जीत के पीछे किसका दिमाग था? किसने पटेल को वो रास्ता सुझाया जिसने हारी हुई बाज़ी को जीत में तब्दील कर दिया? कांग्रेस के सबसे बड़े मैनेजर का चुनाव किसने मैनेज किया? ये सवाल हर किसी के दिमाग में है.

अहमद पटेल की जीत के पीछे की जो शक्ति है, वो हैं गुजरात के पार्टी नेता 'शक्ति सिंह गोहिल. अमित शाह के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंसे पटेल के लिए शक्ति सिंह गोहिल ही 'अभिमन्यु' बने.


इस तरह निकाला रास्ता

8 अगस्त को गुजरात विधानसभा परिसर के 'स्वर्णिम शंकुल 2' में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए जैसे ही मतदान की प्रक्रिया पूरी हुई, बीजेपी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई और कांग्रेस के नेता निराशा के भंवर में डूब गए.

बीजेपी की खुशी की वजह ही कांग्रेस के लिए मुसीबत थी. पटेल के मतदान एजेंट शक्ति सिंह को पता चल गया था कि कांग्रेस के 43 विधायकों के अलावा एक ही अतिरिक्त वोट मिला है जो जीत के लिए काफी नहीं है. तभी गोहिल और अर्जुन मोडवाडिया ने अहमद पटेल से अलग जाकर सलाह की.

तय हुआ की वाघेला खेमे के कांग्रेस के जिन दो वोटरों ने अपना मत बीजेपी को दिखाया है उसका मुद्दा सुलझे बिना काउंटिंग शुरू नहीं होने दी जाएगी. दिल्ली से लेकर गांधीनगर तक कांग्रेस सक्रिय हो गई और आखिरकार चुनाव आयोग द्वारा 2 वोटों के अवैध होते ही अहमद पटेल जीत गए.

विधायकों को टूटने से बचाने की जिम्मेदारी

यही नहीं जब बकौल कांग्रेस ,उसके विधायकों को खरीदने की कोशिश की जा रही थी तब भी शक्ति सिंह गोहिल को ही उन्हें बचाने की जिम्मेदारी दी गई. गोहिल सही मायने में अहमद पटेल के 'संकटमोचक' बने. बैंगलुरू के रिजोर्ट में 44 कांग्रेस विधायकों को टूटने से बचाने की पूरी जिम्मेदारी शक्ति सिंह पर ही थी.

वकालत और पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके शक्ति सिंह गोहिल की सजग और शातिर नजर ने कांग्रेस की खत्म हो चुकी उम्मीदों को जिंदा कर दिया. 57 साल के गोहिल, गुजरात सरकार में 2 बार मंत्री रह चुके हैं और गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे हैं. गोहिल गुजरात के एक प्रतिष्ठित राजघराने से ताल्लुक रखते हैं और राजनीती उन्हें विरासत में मिली है.

गोहिल फिलहाल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वो अक्सर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर निशाना साधते हैं. कई कांग्रेसी भी मानते हैं कि गोहिल खुद कमाकर खाने वाले एकमात्र प्रवक्ता है, मतलब वो खुद कागजात और तथ्य निकलते हैं और फिर प्रेस कांफ्रेंस करते हैं न की अन्य प्रवक्ताओं की तरह पार्टी के बताए मुद्दे पर.

(न्यूज़ 18 से साभार अरुण सिंह की रिपोर्ट )