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तीन दशक से चले आ रहे ट्रेंड को हिमाचल ने एक बार फिर दोहराया

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों से लगभग साफ हो चुका है कि बीजेपी सत्ता में वापसी कर रही है और वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार को जनता ने नकार दिया है

FP Staff

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों से लगभग साफ हो चुका है कि बीजेपी सत्ता में वापसी कर रही है और वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार को जनता ने नकार दिया है. इस राज्य में कांग्रेस और बीजेपी की प्रतिद्वंदता है. राज्य की जनता लगभग 3 दशक से एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को मौका देती आई है. 68 विधानसभा सीट वाले इस राज्य में इस बार भी वैसा ही हुआ है.

इस बार के हिमाचल चुनाव में बीजेपी ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर सीधा निशाना साधा और भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया. वहीं कांग्रेस ने केंद्र में बीजेपी की सरकार द्वारा जीएसटी को ढंग से लागू नहीं करने को मुद्दा बनाया. लेकिन नतीजों से ये साफ होता है कि बीजेपी का मुद्दा ज्यादा प्रभावी रहा.


कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2009 से 2012 के दौरान जब वीरभद्र सिंह इस्पात मंत्री थे, तब उनके परिवार और उनपर 6 करोड़ रुपए का भ्रष्ट्राचार के आरोप लगे. सिंह ने आरोपों के बाद इस्तीफा दे दिया था.

इन्हीं आरोपों के जांच के लिए सीबीआई ने वीरभद्र सिंह के शिमला आवास पर उस वक्त छापा मारा जब उनकी बेटी की शादी चल रही थी. यह पहला मौका था जब सीबीआई ने एक मुख्यमंत्री के घर पर रेड किया हो.

फिलहाल हिमाचल में कांग्रेस का शासन है लेकिन बीजेपी सत्ता में वापसी के लिए जरूरी सीट प्राप्त कर चुकी है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य में वीरभद्र सिंह को पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था. प्रदेश कांग्रेस कमिटी में चल रहे उठा-पटक को शांत करने के लिए सिंह के नाम की घोषणा की गई थी. राहुल ने सिंह के कार्यकाल और काम की तारीफ भी की थी और कहा था कि यह गुजरात मॉडल से कहीं ज्यादा अच्छा है.

वहीं, बीजेपी ने मोदी मैजिक और नए नेता के जादू को नकारते हुए 73 साल के प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. हालांकि पार्टी उनके नाम पर राज्य में वापसी कर ली हो लेकिन वो खुद की सीट बचाने में नाकामयाब हो गए हैं.