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हिमाचल चुनाव 2017: ठियोग सीट पर होगी बीजेपी के दिग्गज की कांग्रेस के युवा चेहरे से लड़ाई

दिग्गज कांग्रेसी विद्या स्टोक्स का नामांकन खारिज होने से राहुल के करीबी दीपक राठौर यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, उनका मुकाबला 3 बार विधायक रहे बीजेपी के राकेश वर्मा से है

FP Staff

ठियोग सीट इस बार काफी प्रतिष्ठित और विवादित सीट बन गई है. वैसे हर बार ठियोग विधानसभा सीट पर लड़ाई दिलचस्प होती है. इसकी मुख्य वजह यह रही है कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स यहां से चुनाव लड़ती रही हैं. इस बार पहले उन्होंने बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ्य की वजह पहले चुनाव लड़ने से मना कर दिया था.

उन्होंने पहले यह इच्छा जाहिर की उनकी जगह मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह यहां से चुनाव लड़ें. फिर वीरभद्र सिंह के मना करने के बाद उन्होंने विजयपाल खाची के नाम की सिफारिश की. लेकिन विजयपाल खाची की जगह शीर्ष नेतृत्व ने दीपक राठौर को यहां से टिकट दे दिया. इसके बाद विद्या स्टोक्स नाराज हो गईं.


इसके बाद भारी उतार-चढ़ाव के बाद दीपक राठौर के बाद विद्या स्टोक्स ने भी यहां से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार पर्चा भरा. लेकिन उनका पर्चा खारिज हो गया और दीपक राठौर इसके बाद अधिकारिक रूप से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.

राहुल के करीबी हैं दीपक 

दीपक राठौर राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं और यहां उनका मुकाबला बीजेपी के दिग्गज नेता राकेश वर्मा से है. बीजेपी के राकेश वर्मा विद्या स्टोक्स के चिरप्रतिद्वंद्वी रहे हैं, वे ठियोग से तीन बार विधायक रह चुके हैं. 1993 में वे बीजेपी कैंडिडेट के बतौर चुने गए थे और बाद में 2003 और 2007 में निर्दलीय के रूप में चुनाव जीते. 2012 में विद्या स्टोक्स ने फिर से इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया.

यह राकेश वर्मा की लोकप्रियता ही थी जिसकी वजह से विद्या स्टोक्स को 1993 की हार के बाद अपनी विधानसभा सीट ठियोग से बदलनी पड़ी.

राकेश वर्मा और विद्या स्टोक्स दोनों इस विधानसभा क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं. इस वजह दोनों के हार-जीत का अंतर हमेशा ही कम रहा है और कड़ी टक्कर की वजह से यहां मतदान प्रतिशत भी काफी ऊंचा ही रहता है.

इस बार बीजेपी के दिग्गज राकेश वर्मा के सामने पहली बार चुनाव लड़ रहे दीपक राठौर हैं. दीपक राठौर की उम्मीदवारी से विद्या स्टोक्स काफी नाराज हैं. हालांकि राहुल गांधी ने विद्या स्टोक्स को संतुष्ट करने के लिए उन्हें चुनाव प्रचार समिति के मुखिया बनाया है. लेकिन स्टोक्स की नाराजगी का खामियाजा दीपक राठौर को भुगतना पड़ सकता है. दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में सत्ता में रहने की वजह से कांग्रेस को एंटी-इनकमबैंसी का भी सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में बीजेपी के दिग्गज नेता राकेश वर्मा का पलड़ा थोड़ा भारी दिख रहा है.

चूंकि दीपक राठौर राहुल गांधी के करीबी हैं, इस वजह से संभव है कि राहुल गांधी यहां रैली भी कर सकते हैं.