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हिमाचल चुनाव: बागी हुए प्रवीण शर्मा बीजेपी के लिए बने मुसीबत

पालमपुर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए अचानक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. और प्रवीण शर्मा बस मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं

Matul Saxena

पालमपुर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए अचानक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. इस सीट पर बुटेल परिवार के पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी प्रवीण शर्मा को हटाकर प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष इंदु गोस्वामी को सीट आवंटित कर बीजेपी हाई कमांड ने महिलाओं को राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व देने की पहल की है.

यह पहल प्रवीण शर्मा की बगावत के कारण बीजेपी की गले की फांस बन कर रह गई है. शांता कुमार को अपना राजनैतिक गुरू मानने वाले प्रवीण शर्मा ने गुरू की सलाह दरकिनार कर पार्टी से बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया. प्रवीण शर्मा अब एक ही बात मतदाताओं से कह कर सहानुभूति वोट बटोरने का प्रयास कर रहे हैं.


प्रवीण शर्मा का कहना है उन्हें इस बात का मलाल नहीं है कि उनके स्थान पर महिला को टिकट क्यों दिया गया. उनका तो बस एक ही सवाल पार्टी से है कि अगर टिकट देना था तो पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से किसी महिला को टिकट देते; बाहरी महिला को टिकट देकर पालमपुर क्षेत्र वासियों के साथ ज्यादती की गई है.

बगावत से कांग्रेस को हो सकता है फायदा

वैसे वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी आशीष बुटेल के पिता बृज बिहारी लाल बुटेल से प्रवीण शर्मा का पिछले पिछले तीन विधानसभा चुनावों में आमना-सामना हो चुका है. इसमें से दो चुनाव बृजबिहारी लाल बुटेल ने जीते थे और एक में प्रवीण शर्मा को विजय हासिल हुई थी. पिछले चुनावों में प्रवीण शर्मा बुटेल से 10,000 मतों से पराजित हुए थे. इनकी पराजय का एक कारण गद्दी समुदाय के वोटों का दूलो राम के खाते में जाना भी था जो बीजेपी छोड़कर नव-गठित प्रादेशिक राजनैतिक पार्टी के उम्मीदवार बन चुनाव में उतरे थे. तब उन्हें 6000 वोट मिले थे.

2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान दूलो राम ने फिर बीजेपी का दामन थाम लिया था. अब दूलोराम बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार इंदु गोस्वामी के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं लेकिन धूमल के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं के बाद उनका क्या रुख रहता है, ये देखने वाली बात है.

इंदु गोस्वामी का प्रचार धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है और प्रधानमंत्री मोदी की पालमपुर रैली के बाद ही अधिकृत प्रत्याशी की स्थिति का आकलन हो पाएगा. आशीष बुटेल इस बगावत में कांग्रेस की जीत देख रहे हैं. उनके प्रचार का प्रमुख केंद्र पिता के विकास कार्यों का बखान है. कुल मिलाकर सीट कोई भी पार्टी हथिया सकती है.