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हिमाचल चुनाव 2017:  कांग्रेस से फिर आनी सीट हथियाना चाहेंगे बीजेपी के किशोरी लाल

पिछले 5 विधानसभा चुनावों से ये सीट 4 बार कांग्रेस के पास रही है, ऐसे में बीजेपी इस गढ़ को तोड़ना चाहेगी

FP Staff

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. राज्य में 68 सीटों पर 9 नवंबर को चुनाव होने वाले हैं. इसके चलते विभिन्न विधानसभा सीटों पर अपनी दावेदारी ठोंक रहे उम्मीदवार चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं.

कुल्लू के आनी तहसील विधानसभा क्षेत्र पर मुकाबला हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रहा है. ये सीट दोनों ही पार्टियां हर चुनाव में एक दूसरे से हथियाती रही हैं सामने वाले के हाथों गंवाती रही हैं.


इस बार भी मामला वैसा ही है. मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों में 4 बार इस सीट पर कांग्रेस ही काबिज रही है, ऐसे में इन चुनावों में बीजेपी जीतने की हर कोशिश करेगी.

बीजेपी की ओर से इस सीट पर विधायक रह चुके किशोरी लाल फिर इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं. वहीं इस सीट से कांग्रेस ने परस राम को मैदान में उतारा है. वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन इस बार कहना मुश्किल है कि जनता कांग्रेस के उम्मीदवार पर कितना भरोसा जताएगी क्योंकि बीजेपी के उम्मीदवार किशोरी लाल पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं, वहीं परस राम इस सीट से पहली बार लड़ रहे हैं. जो भी हो मामला रोचक है क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस मजबूत रही है और आश्चर्य नहीं होगा अगर जनता कांग्रेस में फिर से भरोसा जताए.

फिलहाल इस सीट से कांग्रेस के खूब राम विधायक हैं. खूब राम पहले भी इस सीट से 2 बार विधायक रह चुके हैं लेकिन बीजेपी से. 1982 और 1990 के विधानसभा चुनावों में खूब राम बीजेपी से लड़े थे और जीते थे. उन्हें क्रमश: 14599 और 22407 वोट मिले थे.

इसके बाद खूब राम 2012 में कांग्रेस से लड़े और 21,664 वोटों से जीते. उनके मुख्य प्रतिद्वंदी किशोरी लाल को 20,002 वोट मिले. अब किशोरी लाल फिर से मैदान में हैं और अपनी कुर्सी वापस हथियाना चाहेंगे.

चूंकि आनी कूल्लू और शिमला के बॉर्डर पर स्थित है और एक खूबसूरत जगह है, ऐसे में इस क्षेत्र को एक विकसित टूरिस्ट स्पॉट होना चाहिए लेकिन इलाके में ऐसा कुछ नहीं है. इस सीट पर काबिज सरकारों ने इस ओर खास ध्यान नहीं दिया है. किसी जमाने में अंग्रेजों के लिए खास आरामगाह होने के बावजूद आनी में टूरिज्म पर उतना काम नहीं हुआ है, जितना होना चाहिए. इसलिए अवाम इस बार कुछ ठोस कामों के आधार पर ही अपने वोट डालना चाहेगी.