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हिमाचल चुनाव 2017: पच्छाद सीट पर उम्र और अनुभव के बीच टक्कर

इस सीट पर बीजेपी के युवा प्रत्याशी सुरेश कुमार कश्यप के मुकाबले में कांग्रेस के अनुभवी दिग्गज गंगू राम मुसाफिर चुनावी अखाड़े में हैं

FP Staff

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र 55वें नंबर की सीट है. सिरमौर जिले में स्थित पच्छाद सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

बीजेपी ने इस बार के चुनावी दंगल में यहां से वर्तमान विधायक सुरेश कुमार कश्यप को ही रिपीट किया है. सुरेश कश्यप के पास लंबा-चौड़ा राजनीतिक अनुभव नहीं है. सियासत में आने से पहले वो इंडियन एयरफोर्स में कार्यरत थे. 2012 में अपने पहले ही चुनाव में उन्हें कायमाबी मिली और वो विधायक चुन लिए गए. चुनाव में उनके युवा होने का भी फायदा मिला जिसके चलते इलाके के वोटरों ने उन्हें जिताया.


सुरेश कश्यप अपने चुनाव प्रचार में लोगों को समझा रहे हैं कि पच्छाद विधानसभा क्षेत्र मे विकास कार्यों में बीजेपी सरकार के आने के बाद काफी गति आएगी.

सुरेश कुमार कश्यप और गंगू राम मुसाफिर के बीच कड़ा मुकाबला

दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने भरोसेमंद गंगू राम मुसाफिर पर भरोसा किया है. राजनीति के मंजे खिलाड़ी गंगू राम यहां से सात बार के विधायक रह चुके हैं. प्रचार के  आखिरी दिनों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हिमाचल आकर रैलियां और जनसभा करने से गंगू राम को इसका फायदा मिल सकता है.

गंगू राम मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं. इसलिए मुख्यमंत्री ने खास उनके लिए क्षेत्र में आकर प्रचार किया. गंगू राम खुद घर-घर जाकर लोगों से वोट की अपील कर रहे हैं. उनके साथ समर्थकों का हुजूम भी पीछे-पीछे चल रहा है. वो सभी लोगों के गिले-शिकवे दूर करवाने के लिए अहम भूमिका निभा रहे हैं.

पच्छाद सीट पर युवा और अनुभव के बीच कड़ा मुकाबला है. चुनावी दंगल में ऊंट (वोटर) किस करवट बैठेगा दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी इसे लेकर अपने-अपने हिसाब से गणित बैठा रहे हैं. हालांकि वोटरों की खामोशी उम्मीदवारों और नेताओं की चिंताएं बढ़ा रही है.

हिमाचल में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों की सरकारें आई और गईं लेकिन पच्छाद का पिछड़ापन दूर नहीं हो पाया है. देखना होगा कि क्या इस बार चुनाव के बाद इलाके का विकास होगा या ये पहले जैसा ही अपेक्षित बना रहेगा.