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राफेल सौदे की जांच पर सुनवाई पूरी, SC ने सभी याचिकाओं पर सुरक्षित रखा फैसला

अटॉर्नी जनरल ने बहस में केंद्र की ओर से सौंपे गए सीलबंद लिफाफे में केवल विमानों की कीमत बताने की जानकारी दी और कहा कि दोनों देशों के बीच हुए समझौते में इसके तकनीकी और रक्षा पहलू को लेकर जानकारी गोपनीय रखी गई है

FP Staff

राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. लगभग 5 घंटे तक चली सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने सभी याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

सुनवाई के दौरान बेंच ने सभी संबंधित पक्षों की तरफ से पेश दलीलों को सुना.  कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और सरकार के साथ-साथ वायुसेना अधिकारियों से भी विस्तार से उनका पक्ष सुना. सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने वायुसेना के एयर मार्शल और उप-एयर मार्शल से कहा, कोर्ट में अलग तरह की लड़ाई होती है इसलिए आप जाइए और युद्ध के मैदान में अपना कौशल दिखाइए.

इससे पहले सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि राफेल सौदे की कीमतों पर तभी कोई बहस हो सकेगी, जब कोर्ट यह तय करेगी कि उन पहलुओं का सार्वजनिक होना जरूरी है.

चीफ जस्टिस ने रक्षा मंत्रालय का पक्ष सुनने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि हम वायुसेना से मामले की सुनवाई कर रहे हैं इसलिए एयरफोर्स का कोई अधिकारी आकर अपनी जरूरतें बताए. सूत्रों के मुताबिक कोर्ट को जानकारी दी गई कि कुछ देर में एयरफोर्स के एक अधिकारी आ रहे हैं.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बहस में केंद्र की ओर से कोर्ट को सौंपे गए सीलबंद लिफाफे में केवल विमानों की कीमत बताने की जानकारी देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच इस समझौते की जानकारी नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि इस सौदे की कीमतों के बारे में नहीं बल्कि इसके तकनीकी और रक्षा पहलू को लेकर जानकारी गोपनीय रखी गई है.

अधिवक्ता प्रशांत भूषण का विरोध किया है। राफेल मामले पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने अधिवक्ता भूषण से कहा, 'हम आपको पूरी सुनवाई का मौका दे रहे हैं। इसका सावधानीपूर्वक इस्तेमाल कीजिए, केवल जरूरी चीजों को ही कहिए।' इसके बाद सुनवाई के दौरान उन्होंने न्यायालय से कहा, 'सरकार गोपनीयता प्रावधान की आड़ ले रही है, उसने राफेल विमानों की कीमत का खुलासा नहीं किया है।'

बुधवार सुबह याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होने पर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि एनडीए सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया के तहत मंगवाए गए टेंडर प्रक्रिया से बचने के लिए अंतर-सरकार समझौते का रास्ता अपनाया.

भूषण ने कोर्ट में एक दस्तावेज दाखिल किया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक गलती पकड़ते हुए कहा कि जल्दबाजी में वो गलत जानकारी न दें. इसके बाद भूषण ने स्वीकार किया कि जल्दबाजी में उनसे गलती हुई. भूषण ने कहा कि राफेल सौदा विमानों की पुरानी कीमतों के मुकाबले 40 प्रतिशत महंगे में हुई है.

उन्होंने कहा कि इस सौदे के संबंध में फ्रांस सरकार की ओर से कोई शासकीय गारंटी नहीं है. उन्होंने कहा कि शुरू में केंद्रीय कानून मंत्रालय ने इस मुद्दे पर आपत्ति की थी मगर बाद में उसने अंतर-सरकार समझौते के प्रस्ताव पर सहमति जताई.

प्रशांत भूषण अपनी और दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी की ओर से कोर्ट में बहस कर रहे थे.

इससे पहले सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने कोर्ट से 5 जजों की बेंच बनाकर इस मामले में सुनवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार ने अदालत को जो सीलबंद लिफाफे सौंपे हैं उसके मुताबिक इस सौदे में भारी भ्रष्टाचार हुआ है.

राफेल सौदे की जांच पर सुनवाई खत्म, SC ने सभी याचिकाओं पर सुरक्षित रखा फैसला