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46 सीट लेकर पिता PM बने थे, बेटा 38 पर ही बन जाएगा 'किंग'?

करीब 22 साल पहले 1996 के आम चुनावों में एचडी देवेगौड़ा जनता दल के महज 48 सीट जीतने के बावजूद पीएम बने थे

FP Staff

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस द्वारा जेडीएस को बिना शर्त समर्थन दिए जाने के बाद पार्टी के नेता कुमारास्वामी के सीएम बनने के आसार बेहद मजबूत नजर आ रहे हैं. चुनाव में सिंगल लारजेस्ट पार्टी बनकर उभरी बीजेपी 104 सीटों के बावजूद बहुमत के लिए जरूरी संख्या से आठ कम है. कांग्रेस और जेडीएस मिलकर आसानी से बहुमत हासिल करते दिख रहे हैं. ये कुमारास्वामी के लिए किस्मत वाली ही बात कही जाएगी कि जिन्हें सभी राजनीतिज्ञ किंगमेकर के तौर पर देख रहे थे चुनाव नतीजे आने के बाद असली किंग बनते वही दिखाई दे रहे हैं. जिन नेताओं के किंग बनने की भविष्यवाणी की गई थी वो अब किंगमेकर कुमारास्वामी के आस-पास भी नहीं दिखाई दे रहे हैं. ये कुमारास्वामी के लिए सुखद संयोग है कि जिस कांग्रेस से चुनाव के पहले तक तीखी बयानाबाजियां चल रही थीं उसी ने बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिलते देख बिना शर्त समर्थन का ऑफर दे दिया.

लेकिन भारतीय धर्मशास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि पिता की किस्मत से बेटे से जुड़ी होती है. शायद कुमारास्वामी के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है. करीब 22 साल पहले कुमारस्वामी के पिता एचडी देवेगौड़ा भी ठीक इस तरीके से देश के प्रधानमंत्री बने थे. वो राम मंदिर लहर के बाद बीजेपी के राजनीतिक उठान के दिन थे. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही थी. 1992 से 97 तक पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री रहे. 97 में हुए चुनावों के दौरान न कांग्रेस और न ही बीजेपी बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंच सके. देवेगौड़ा की अगुवाई वाले जनता दल ने चुनाव में 47 सीटों पर विजय पाई थी. समाजवादी देवेगौड़ा के पक्ष में परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि कांग्रेस के समर्थन से वो देश के प्रधानमंत्री बने.


अब कर्नाटक चुनाव के नतीजों के बाद कुमारास्वामी भी कुछ इसी अंदाज में नजर आ रहे हैं. पांच साल के शासन के बाद कांग्रेस सत्ता में जगह बना पाने में नाकामयाब हो गई है बीजेपी जरूरी आंकड़े से दूर है. ऐसे में इतिहास अपने आप को दोबारा दोहराने जा रहे. ठीक 22 साल पुराने वाले अंदाज में. हालांकि इस बार मामला पीएम नहीं सीएम की कुर्सी का है.

इससे पहले भी 42 सीट पर ही सीएम बन चुके हैं

साल 2004 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के धरम सिंह सीएम बने थे. उन्हें जेडीएस का समर्थन हासिल था. लेकिन 2 साल के भीतर ही उन्होंने कांग्रेस से अपना समर्थन वापस ले लिया था और बीजेपी के सहयोग से सीएम बने थे