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Happy New Year 2019: मोदी, राहुल समेत इन राजनीतिक चेहरों पर रहेगी पूरे साल नजर

नया साल हर एक क्षेत्र में नए बदलाव लेकर आएगा. लेकिन 2019 में सबकी नजरें टिकी हैं, तो राजनीति में आने वाले बड़े बदलावों पर...

Subhesh Sharma

नया साल हर एक क्षेत्र में नए बदलाव लेकर आएगा. लेकिन 2019 में सबकी नजरें टिकी हैं, तो राजनीति में आने वाले बड़े बदलावों पर... 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं. साथ ही साथ महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों में कई बड़ी राजनीतिक शख्सियतों की किस्मत का फैसला होना है. आइए नजर डालते हैं उन चेहरों पर जिनपर रहेगी 2019 में नजर.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: 2019 का लोकसभा चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के लिए अग्निपरीक्षा सरीखा होगा. एक बार फिर से मोदी सरकार आएगी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं ये कह पाना मुश्किल है. पीएम मोदी को मात देने के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर पूरा विपक्ष एकजुट हो रहा है. ऐसे में महागठबंधन के साथ लड़ना उनके लिए भी आसान नहीं होने वाला है. 2019 में पीएम मोदी के सामने विपक्षी गठबंधन से पार पाने की चुनौती होगी.


अगर 2019 में एनडीए कम सीटें जीतकर लाती है तो भी पीएम मोदी की राह मुश्किल होने वाली है. बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में एनडीए को दूसरे दलों के समर्थन की जरूरत होगी. ऐसे हालात में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी का राजनीतिक रुतबा भी कम होगा. इसलिए कहा जा रहा है कि अगर ऐसी स्थिति आई तो शायद नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का पद सौंपने में एक राय न बन पाए. पीएम के दावेदारी में दूसरे चेहरे सामने आ सकते हैं. इस लिहाज से देखें तो पीएम मोदी के लिए 2019 सबसे अहम रहने वाला है. देखना दिलचस्प होगा कि 2019 में उनका जादू चलता है या नहीं.

राहुल गांधी: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए 2019 ठीक वैसा ही निर्णायक साल साबित होने वाला है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए. कांग्रेस पार्टी पहली बार राहुल के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ने वाली है. ऐसे में राहुल के कंधों पर पार्टी को जीत दिलाने का बोझ है. साथ ही साथ उन पर विपक्ष को जोड़ कर रखने का भी दबाव है. हाल ही में राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस को मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत भी मिली है. जिससे उनके हौसले जरूर बुलंद होंगे. लेकिन बीजेपी को मात देना इतना आसान नहीं होगा. राहुल गांधी खुल कर कह चुके हैं कि वो प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. लेकिन महागठबंधन में उनके नाम पर भी सबकी सहमति नहीं है. उनका पीएम बनने का सपना तभी पूरा हो सकता है, जब कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी. 2019 में राहुल की राजनीति की असली परीक्षा होगी.

अमित शाह: 2019 बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण होने वाला है. उनके ऊपर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलवाने की जिम्मेदारी होगी. अमित शाह जिस बूथ लेवल के माइक्रो मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं, उसकी असली परीक्षा 2019 में ही होगी.

अगर बीजेपी अच्छी सीटें लाने में कामयाब होती है तो निश्चित ही अमित शाह का राजनीतिक कद और ऊंचा होगा. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर अमित के लिए मुश्किल होगी. बीजेपी के अध्यक्ष के बतौर अमित शाह का कार्यकाल लोकसभा चुनाव तक बढ़ाया गया है अगर वो बीजेपी को जीत दिलाने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें बीजेपी अध्यक्ष का पद भी खोना पड़ सकता है.

मायावती: बीएसपी प्रमुख मायावती के लिए 2019 की दौड़ आसान नहीं होगी. लेकिन उनके पास एक बेहतरीन वापसी का मौका है. मायावती के नेतृत्व में पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी एक भी सीट नहीं जीत पाई, तो वहीं यूपी चुनाव में पार्टी का परफॉर्मेंस इतना खराब था कि वो सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई. लेकिन 2014 के मुकाबले अब हालात बदल चुके हैं. दलितों और पिछड़ों में मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा है, जिसका फायदा मायावती को मिल सकता है. साथ ही यूपी में अखिलेश यादव का साथ मिल जाने से भी उनकी स्थिति पहले से मजबूत हुई है. पिछले दिनों हुए यूपी में हुए उपचुनाव के नतीजों से भी मायावती उत्साहित हैं, जहां पर बीएसपी समर्थित उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई. 2019 सबकी निगाहें एसपी और बीएसपी के गठबंधन पर होंगी और अगर गठबंधन होगा तो मायावती बड़े रोल में दिखेंगी.

देवेंद्र फडणवीस: महाराष्ट्र में 2019 में विधानसभा चुनाव होने हैं. और यहां बीजेपी की ही सरकार है. लेकिन यहां उसके साथ सरकार में शिवसेना भी शामिल है. महाराष्ट्र में 2014 में बीजेपी और शिवसेना की गठबंधन वाली सरकार बनी थी. लंबी खींचतान के बाद देवेंद्र फडणवीस को राज्य का सीएम बनाया गया. लेकिन फडणवीस के लिए बतौर सीएम सफर इतना आसान नहीं रहा है. अपनी साथी पार्टी शिवसेना से लगातार उन्हें हमले झेलने पड़े और किसानों के गुस्से का भी उन्हें खूब सामना करना पड़ा है. ऐसे में 2019 में फिर से फडणवीस सीएम बनते हैं, इस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है.

उद्धव ठाकरे: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के लिए साल 2019 बेमिसाल साबित हो सकता है. क्योंकि उनके पास महाराष्ट्र में 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने का अच्छा मौका है. महाराष्ट्र में 2014 में बीजेपी-शिवसेना की गठबंधन वाली सरकार बनने के बाद से ही, शिवसेना लगातार बीजेपी पर दबाव बनाती आ रही है. फिर चाहे वो किसान का मुद्दा हो, मराठा समुदाय का या फिर सरकार से समर्थन वापस लेने का. प्रदेश में फडणवीस सरकार की गिरती लोकप्रियता का फायदा उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी को मिल सकता है. साथ ही उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना भी पूरा हो सकता है.

चंद्रबाबू नायडू: 2019 में आंध्र प्रदेश में चुनाव होने हैं. इसलिए राज्य के सीएम चंद्रबाबू नायडू की साख दांव पर लगी है. कुछ महीने पहले तक एनडीए के घटक दल का हिस्सा कही जाने वाली टीडीपी अब बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी. टीडीपी अध्यक्ष और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने पर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. यहां तक की वो संसद में अविश्वास प्रस्ताव भी लेकर आई. आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की इस मांग का फायदा नायडू को भी पहुंचा है. क्योंकि जनता के बीच उनकी पकड़ और मजबूत हुई है. साथ ही उनके सीएम बनने की संभावनाएं भी और बढ़ गई हैं.

मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा में भी 2019 में विधानसभा चुनाव होने हैं. यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी एक बार फिर से सरकार बनाने की तैयारी में है. लेकिन खट्टर के लिए एक बार फिर से बहुमत की सरकार बना पाना आसान नहीं होगा. क्योंकि इस बार हरियाणा में बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा खट्टर सरकार महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध और राम रहीम को बचाने के आरोपों के चलते विवादों में भी घिरी रही है. ऐसे में एक बार फिर से सरकार बनाने में सीएम खट्टर को अपनी तैयारियां और भी बेहतर करनी होंगी.