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गुजरात की लड़ाई में बीजेपी का चेहरा तो पीएम मोदी ही रहेंगे

2002 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक हर बार गुजरात में चुनाव मोदी के ही इर्द-गिर्द होता रहा

Amitesh

गुजरात में अपने जन्मस्थल वडनगर पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस जगह को नमन किया जहां उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई. उस जगह को याद कर भावुक हो गए जिस जगह उनका बचपन बीता और उस जगह भी गए जहां वो रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे.

गुजरात के दो दिन के दौरे के वक्त वडनगर की अपनी मातृभूमि पहुंचकर मोदी रोमांचित हो उठे, भावुक भी. बचपन की सारी यादें तरोताजा हो गईं और कुछ पुराने मित्रों से भी मिलने का मौका मिल गया.


लेकिन, वडनगर में प्रसिद्ध हाटकेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना कर उन्होंने वडनगर से वाराणसी तक के सफर का भी जिक्र कर दिया. मोदी ने बाबा भोले की धरती वाराणसी और वडनगर का जिक्र कर एक बार फिर से अपने राजनीतिक विरोधियों को कठघरे में खड़ा कर दिया.

विरोधियों के वार को मात देने में माहिर हैं मोदी

मोदी ने कहा, 'मैंने अपनी यात्रा वडनगर से शुरू की और अब काशी पहुंच गया हूं. वडनगर की भांति काशी भी भोले बाबा की नगरी है. भोले बाबा के आशीर्वाद ने मुझे बहुत शक्ति दी है और यही ताकत इस धरती से मुझे मिला सबसे बड़ा उपहार है.'

मोदी ने कहा, 'भोले बाबा के आशीर्वाद ने मुझे जहर पीने और उसे पचाने की शक्ति दी. इसी क्षमता के कारण मैं 2001 से अपने खिलाफ विष वमन करने वाले सभी लोगों से निपट सका. इस क्षमता ने मुझे इन वर्षों में समर्पण के साथ मातृभूमि की सेवा करने की शक्ति दी.'

मोदी ने अपने उपर हुए विरोधियों के हमले और आलोचनाओं को झेलने के बावजूद जिस तरह से 2001 से 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी सेवा की और फिर 2014 में प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गए, एक बार फिर से वो यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि फिर गुजरात विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही फिर से उनके उपर बयानों के वाण चलेंगे और फिर उनके विरोधी उनके काम पर सवाल खड़ा करेंगे. इसके पहले ही उन्होंने विषपान की बात कर गुजरात के लोगों के सामने अपने-आप को ला खड़ा किया है.

2001 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही विधानसभा और लोकसभा के हर चुनाव को मोदी ने गुजराती अस्मिता से जोड़कर देखा है. 2002 के गुजरात दंगों के बाद लगातार हर चुनाव में मोदी पर हमला होता रहा, विरोधियों की तरफ से उनके ऊपर दंगों का दोष मढ़ा जाता रहा जबकि, मोदी इन सभी चुनावों को गुजराती अस्मिता से जोड़कर विरोधियों को मात देते रहे.

2007 के चुनाव में तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का मौत का सौदागर वाला बयान उल्टा ही पड़ गया था. इसे भी पांच करोड़ गुजराती समुदाय की अस्मिता से जोड़कर मोदी ने कांग्रेस को पटखनी दे दी थी.

मोदी के ही इर्द-गिर्द ही घूमता है गुजरात चुनाव

2002 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक हर बार गुजरात में चुनाव मोदी के ही इर्द-गिर्द होता रहा. मोदी विरोध के नाम पर कांग्रेस समेत बाकी सभी विरोधी गुजरात के भीतर सांप्रदायिक माहौल को लेकर मोदी पर हमलावर रहे. लेकिन, बेहतर कानून-व्यवस्था, 2002 के बाद कर्फ्यू मुक्त गुजरात और गुजरात के विकास मॉडल के सहारे मोदी ने हर बार विरोधियों को मात ही दिया.

अब फिर से तैयारी इसी बात को लेकर हो रही है. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार गुजरात में चुनाव हो रहे हैं. पहले आनंदीबेन पटेल और फिर विजय रुपाणी गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन, अब जबकि चुनाव सामने आ गया है तो फिर मोदी को आना पड़ा है. क्योंकि गुजरात की जीत और हार सीधे उनकी प्रतिष्ठा और लोकप्रियता से जुड़ गया है. इस बार भी गुजरात विधानसभा चुनाव में लड़ाई मोदी से ही होगी.

गुजरात के लोगों को साधने के लिए मोदी लगातार गुजरात के दौरे पर हैं. कांग्रेस ने गुजरात में विकास पागल हो गया है का नारा दिया है. राहुल गांधी विकास के मुद्दे की हवा निकालना चाहते हैं, लेकिन, इस बार भी मोदी विकास के गुजरात मॉडल के सहारे ही विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने में लगे हैं. दावा विकास का है तो फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद भी विकास को ही सर्वोपरि रखा गया है.

कांग्रेस के नारे की हवा निकालने की कोशिश

अभी हाल के गुजरात दौरे के वक्त मोदी ने गुजरात में 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा की विकास की योजनाओं की शुरुआत की है. प्रधानमंत्री मोदी ने द्वारका के बेत और ओखा के बीच सेतु की आधारशिला रखी है, इसके अलावा राजकोट में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का निर्माण, अहमदाबाद से राजकोट के बीच 6 लेन का नेशनल हाईवे और राजकोट से मोरबी के बीच चार लेन के स्टेट हाई वे की भी परियोजना की शुरुआत कर दी है.

इसके पहले पिछले महीने ही अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने 17 सितंबर को सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन कर दिया है. अहमदाबाद से मुंबई तक चलने वाली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की आधारशिला भी पिछले महीने ही रखी गई है.  उस वक्त अहमदाबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ रोड शो भी किया था.

दरअसल, बीजेपी की कोशिश कांग्रेस के नारे की हवा निकालने के लिए की गई है, जिसमें विकास को पागल बताया जा रहा है. प्रधानमंत्री खुद गुजरात में विकास के प्रतीक नई-नई परियोजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं. पहले की परियोजनाओं को अब जमीन पर उतरने के बाद उसे आम जनता को दे रहे हैं. कोशिश विकास के मुद्दे पर ही कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने की है.

गुजरात गौरव यात्रा के दौरान भी बीजेपी ने गुजरात की अस्मिता से विकास को जोड दिया है. बीजेपी का नारा है मैं ही गुजरात हूं, मैं ही विकास हूं. गुजरात गौरव यात्रा 15 अक्टूबर को खत्म होगी जिसके अगले ही दिन 16 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर गुजरात के दौरे पर जा रहे हैं. उस दिन गुजरात के सभी पन्ना प्रमुखों और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को गांधीनगर में संबोधित करेंगे.

लेकिन, दिवाली से पहले जीएसटी में राहत देकर मोदी ने गुजरात के कारोबारियों को थोड़ी राहत जरूर दे दी है. 1995 से लगातार सत्ता में रही बीजेपी के लिए इस बार गुजरात में चुनाव काफी अहम है. लिहाजा बीजेपी की तरफ से इस चुनाव में भी सबसे बडे़ चेहरे मोदी ही हैं और उन्हीं के नाम पर चुनाव जीतने की तैयारी हो रही है.