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जेटली ने की अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर हुए राजनीतिक नुकसान कम करने की कोशिश

विपक्ष की उस कोशिश को सरकार नाकाम करना चाहती है, जिसके जरिए विपक्ष सरकार को अर्थव्यवस्था की मंदी के नाम पर उसे बैकफुट पर धकेले हुए है

Amitesh

कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की तरफ से कई बड़ी योजनाओं का ऐलान कर दिया. अगले पांच साल तक विकास की कई परियोजनाओं की रूपरेखा पेश कर सरकार विकास के मुद्दे पर कुछ करते हुए दिखना चाहती है. इस उम्मीद में कि लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ सके.

सरकार पहले से ही अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर घिरी हुई है. लेकिन, अब अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर सरकार कुछ करते दिखना चाहती है. सरकार की कोशिश है कि मंदी से उबार कर एक बार फिर से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जाए. खासतौर से विपक्ष की उस कोशिश को सरकार नाकाम करना चाहती है, जिसके जरिए विपक्ष सरकार को अर्थव्यवस्था की मंदी के नाम पर उसे बैकफुट पर धकेले हुए है.


जीएसटी और रोजगार के मुद्दे पर घिरी है सरकार

नोटबंदी के असर को कम कर वापस अर्थव्यवस्था और पूरी व्यवस्था को पटरी पर लाने के बाद सरकार विपक्ष की धार को कुंद कर चुकी थी. लेकिन, जीएसटी लागू होने के बाद सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. कर सुधार की दिशा में इस नए प्रयोग ने फिर से सरकार को मुश्किल में डाल दिया है.

उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले विपक्ष ने नोटबंदी के सरकार के फैसले को लेकर कई सवाल खड़े किए थे. लेकिन, चुनावी नतीजों ने नोटबंदी पर सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी थी. अब जबकि गुजरात विधानसभा चुनाव सर पर है. ऐसे में कांग्रेस और राहुल गांधी की तरफ से लगातार जीएसटी के मुद्दे पर सरकार पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

जीएसटी लागू होने के बाद छोटे व्यापारी परेशान हैं. उनके भीतर नाराजगी भी है. इसी नाराजगी का फायदा उठाने के लिए विपक्ष लगातार कोशिश में है. रोजगार के मुद्दे पर भी सरकार निशाने पर है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने रोजगार सृजन के लिए कुछ खास नहीं किया.

विकास के सहारे कांग्रेस को पीछे ढकेलने की कोशिश

गुजरात विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के विकास के मॉडल को लेकर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का नारा विकास पागल हो गया है का जवाब देने में बीजेपी लगी हुई है. पिछले एक से डेढ़ महीने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात का पांचवा दौरा और विकास की कई परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन करने से साफ है कि बीजेपी विकास के मुद्दे से ही कांग्रेस की रणनीति को खत्म करना चाहती है.

कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार की तरफ से अगले पांच साल यानी 2022 तक सात लाख करोड़ के विकास की परियोजना का ऐलान करने के बाद साफ है कि इससे विकास के मुद्दे को भी धार मिलेगी और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में काम होने से आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था की सुस्ती भी खत्म होगी.

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कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार की तरफ से जिन योजनाओं का ऐलान हुआ उसके मुताबिक, भारतमाला प्रोजेक्ट के नाम से अगले पांच साल में 34,800 किलोमीटर सड़कें बनाई जाएंगी. इसके अलावा 9000 किलोमीटर तक इकनॉमिक कॉरिडोर बनाए जाएंगे. इंटर कॉरिडोर या फीडर रूट 6000 किलोमीटर तक बनाए जाएंगे. 5000 किलोमीटर तक नेशनल कॉरिडोर बनाया जाएगा.

कोस्टल एयरपोर्ट को भी कनेक्ट करने के लिए सरकार नई सड़कें बनवाएगी. इसमें 2.09 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. 1.06 लाख करोड़ निजी निवेश से हासिल होगा. 2.19 लाख करोड़ सीआरएफ या टोल से वसूला जाएगा.

जेटली को है अर्थव्यवस्था में तेजी की उम्मीद

सिंचाई, हाउसिंग, रेलवे और पावर पर सरकार ने काफी खर्च करने का प्लान किया है. सड़क निर्माण पर सरकार ने ऐतिहासिक सड़क परियोजना बनाई है. इसके तहत 83,677 किलोमीटर सड़क बनाई जाएगी. इस पर 6.92 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे.

सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हुआ है. 11.47 लाख करोड़ रुपए इस फिस्कल ईयर का कुल खर्च है. कैपिटल एक्सपेंडिचर पर भी सरकार का काफी फोकस रहा है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन तमाम योजनाओं के बारे में बताते वक्त कहा कि ‘मैक्रो इकनॉमी बुनियादी तौर पर मौजूद है. आगे आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी. पिछले कुछ दिनों में कई रिफॉर्म हुए हैं, जिससे अभी भले ही ग्रोथ कमजोर हुई हो लेकिन आगे आने वाले दिनों में ग्रोथ बढ़ेगी.’

वित्त मंत्री अरुण जेटली का बयान सरकार की पूरी प्लानिंग का खुलासा करता है जिसके तहत सरकार आने वाले दिनों में आर्थिक वृद्धि को लेकर हर संभव प्रयास करते दिखना चाहती है. अर्थव्यवस्था की मंदी के चलते राजनीतिक नुकसान से भी अपने-आप को बचाने की यह कोशिश हो रही है.