चुनाव आयोग गुजरात में विधानसभा चुनाव की घोषणा चाहे जब करे, माहौल तो पूरी तरह तैयार है. हालत यह है कि हर दस दिन के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात पहुंच रहे हैं. हर 15 दिन में दो बार राहुल गांधी पहुंच रहे हैं. दोनों पार्टियों से खार खाए लोगों की राजनीति अलग चल रही है.
इन सबके बीच आम आदमी पार्टी भी गुजरात चुनाव में खुद को शामिल कर चुकी है. या यूं कहिए कि तुक्का मारने जा रही है. वह केवल इस लाइन पर चुनाव लड़ने जा रही है कि बीजेपी का विरोध करना है. चाहे इससे कांग्रेस को सपोर्ट ही क्यों ना मिल जाए. इसके लिए उसके पास दिल्ली में सफल सरकार चलाने का मूलमंत्र और यहां किए गए काम हैं.
मजबूत संगठनकर्ता माने जाने वाले दिल्ली के मंत्री गोपाल राय गुजरात चुनाव में आप का नेतृत्व कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है अरविंद केजरीवाल क्यों नहीं? फ़र्स्टपोस्ट के साथ हुई खास बातचीत में इन्हीं सब सवालों का जवाब दे रहे हैं गोपाल राय-
फ़र्स्टपोस्ट- क्या वाकई आम आदमी पार्टी दिल से चुनाव लड़ने जा रही है वहां या फिर खुद को चुनावी राजनीति में बनाए रखने के लिए लड़ रही है?
वहां पर दो लेवल पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. पहले लेवल पर संगठन को एक्टिवेट किया है. जिन जगहों पर संगठन मजबूत स्थिति में हैं, वहीं फाइट करेंगे. जहां हमारी स्थिति थोड़ी कमजोर है, वहां बीजेपी के विरोधी को सपोर्ट कर देंगे.
फ़र्स्टपोस्ट- यानी आप कांग्रेस के लिए काम करेंगे?
नहीं. बेहतर कैंडिडेट जो बीजेपी के खिलाफ होंगे, जो ईमानदार होंगे, उन्हें सपोर्ट करेंगे. वह भी वहां जहां हम एग्जिस्ट करते हैं.
फ़र्स्टपोस्ट- 20 सीटों का चयन किस आधार पर किया है, जहां आप उम्मीदवार खड़ा करने जा रहे हैं?
तीन बेस हैं. पहला कैंडिडेट लोगों तक पहुंच पा रहा है, कैरेक्टरलेस नहीं है. भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं उसपर. दूसरा यह है कि हर बूथ पर एक हमारा इंचार्ज हो. उसको संगठित कर रहे हैं. तीसरा कि लोकल लेवल पर जो टीम है, वह अपने-अपने प्रोपगेंडा को रख सके.
फ़र्स्टपोस्ट- वो क्या चीज है जिसकी बदौलत यूपी विधानसभा में आपको संभावना नहीं दिखी, लेकिन गुजरात में दिख रही है. जबकि यूपी में आप अधिक जाने-पहचाने जाते हैं?
गुजरात को पहले से ही हम लक्ष्य बनाकर चल रहे थे. वहां डेढ़ साल से काम चल रहा है. पहले सभी सीटों पर लड़ने का था. लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद हमने उसमें बदलाव किया. गुजरात के संगठन की राय थी कि जहां-जहां हम मजबूत हैं, वहां फाइट करने दिया जाए. खासतौर पर शहरी एरिया. वहां के लोगों का मिजाज है कि कुछ लोग बीजेपी के साथ हैं, बाकि बीजेपी को हराने के लिए काम कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में हमसे कांग्रेस अधिक मजबूत है. शहर में कांग्रेस से बेहतर स्थिति में हम हैं.
फ़र्स्टपोस्ट- यानी आप अपने काम या योजना के आधार पर वोट नहीं मांग रहे, बल्कि बीजेपी के नाराज वोटर को कैश करना चाहते हैं?
दोनों चीजें हैं. वहां बीजेपी से लोग नाराज हैं, वह विकल्प तलाश रहे हैं. हम उनके लिए बेहतर विकल्प बनकर उभर रहे हैं. जो लोग पहले से जुड़े हैं, इसका आधार तो दिल्ली का काम ही है.
फ़र्स्टपोस्ट- क्या कहकर वोट मांगने जा रहे हैं?
हमने एक मॉडल तैयार किया है कि बीजेपी, कांग्रेस और आप के विधायक में क्या फर्क होगा. विधानसभा के अंदर मजबूत आवाज बनकर आप के विधायक ही जा सकते हैं.
फ़र्स्टपोस्ट- वे पांच मुद्दे कौन से होंगे जिसके आधार पर बीजेपी पर हमला करेंगे?
हमारे लिए अच्छी बात यह है कि बीजेपी हर तरह से पैरालाइज्ड हो चुकी है. खासतौर पर नोटबंदी और जीएसटी वहां के लोगों के लिए बड़ा मुद्दा है. लोगों को रोजगार मिला नहीं. जो रोजगार पहले था, नोटबंदी की वजह से वह भी ठप हो गया. बिजनेस क्रैश हुआ है. उसका अॉरनेट मॉडल उनके पास है नहीं. हमने हर विधानसभा के अनुसार मेनिफेस्टो तैयार किया है.
फ़र्स्टपोस्ट- क्या नोटबंदी का बैकअप प्लान आम आदमी पार्टी के पास है?
बैकअप प्लान तो हम आप नहीं बना सकते हैं. केवल विरोध ही कर सकते हैं.
फ़र्स्टपोस्ट- तो आप यह कह रहे हैं कि केवल विरोध कर वोट लेंगे, लोगों को ऑप्शन नहीं सुझाएंगे?
विरोध का मैटर नहीं है. लोगों के दिमाग में यह सवाल चल रहा है कि कौन है जो इसके खिलाफ आवाज उठा सकता है. बीजेपी के खिलाफ कौन बोल सकता है.
फ़र्स्टपोस्ट- जब आप सूरत में यह कह रहे हैं कि विकास पागल हो गया है, तो आपको ये नहीं लगता कि कांग्रेस की भाषा बोल रहे हैं?
मसला कांग्रेस की भाषा नहीं है. कांग्रेस भी जो बोल रही है, वह आम गुजराती की भाषा है. वही कह रहा है कि विकास पागल हो गया है. वह हमारी भाषा भी नहीं है. गुजरात के हर व्हाट्सएप ग्रुप पर चल रहा है. गुजरात के अंदर बीजेपी का अहंकार इतना बड़ा हो गया है कि उनको लगता है कि चाहे आप कुछ भी कर लो, विरोध करोगे तो खत्म कर देंगे.
फ़र्स्टपोस्ट- बीजेपी, कांग्रेस के अलावा इनके खिलाफ लड़ रही है हार्दिक पटेल, जिग्नेश और अल्पेश की तिकड़ी. इसमें आप की संभावना कहां बन पाएगी?
हमारी लड़ाई किसी के साथ नहीं है. हम केवल बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे हैं. जहां हम ताकतवर हैं, वहां क्लीन पॉलिटिक्स करेंगे.
फ़र्स्टपोस्ट- चेहरा कौन-सा है आपके पास वहां?
चेहरा तो विधानसभा का विधायक कैंडिडेट होगा.
फ़र्स्टपोस्ट- मतलब केजरीवाल को इस चुनाव से कोई मतलब नहीं होगा?
हमने अभी यही तय किया है कि अरविंद केजरीवाल इस चुनाव को लीड नहीं करेंगे. स्टेट का संगठन है, वही लीड करेगा.
फ़र्स्टपोस्ट- क्या इसके पीछे यह डर है कि जो थोड़ा बहुत मिलने की उम्मीद है, अगर वह भी ना मिला तो इसकी जिम्मेवारी केजरीवाल के सर ना मढ़ दी जाए?
उसका मसला नहीं है. केजरीवाल दिल्ली में फोकस करेंगे.
फ़र्स्टपोस्ट- चुनाव आयोग की भूमिका को किस तरह से देखते हैं?
देखिए बीजेपी का जो माइंडसेट है, वह पूरी तरह से डेमोक्रेसी को क्रैश करनेवाला है. हर संस्थान या तो उनकी भाषा बोले, नहीं तो उसको खत्म कर देंगे. केवल मोदी के प्रोग्राम की वजह से पूरा शेड्यूल पलट दिया गया.
फ़र्स्टपोस्ट- दिल्ली की कौन सी चीजें हैं जिसकी मार्केटिंग गुजरात में करने जा रहे हैं?
शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी की उपलब्धता, किसानों के लिए 20 हजार प्रति एकड़, दो करोड़ रुपए प्रति गांव स्मार्ट विलेज के लिए, एक करोड़ रुपए शहीदों के परिवारों के लिए. इन्हीं की चर्चा वहां कर रहे हैं. देश की पहली सरकार है जो अपने बजट का 25 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च कर रही है. केंद्र सरकार तो बस 3 प्रतिशत खर्च कर रही है.
फ़र्स्टपोस्ट- आखिरी सवाल. अधिक से अधिक जो मिल जाए, वह आपके लिए बेहतर ही होगा. कम-से-कम क्या उम्मीद कर रहे हैं इस चुनाव में आप?
वहां दो उम्मीद कर रहे हैं, पहली कि बीजेपी हारनी चाहिए. दूसरा है कि गुजरात के अंदर भविष्य की एक मजबूत पार्टी बनने की दिशा में सफलता पाना चाहते हैं.