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गुजरात चुनाव: कांग्रेस को रास नहीं आ रही आतंकवाद और कश्मीर पर तकरार

ताजा घटनाक्रम के बाद कांग्रेसी रणनीतिकारों को भी लगने लगा है कि आतंकवाद का मुद्दा चुनाव के केंद्र में आने पर बढ़त बीजेपी को मिल सकती है

Amitesh

गुजरात विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ ही फिर से बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर हो गए हैं. अपने-अपने हिसाब से मुद्दों की तलाश और उसका चुनावी फायदा उठाने की कोशिश लगातार हो रही है. आतंकवाद पर हमलावर होकर बीजेपी पहले से ही राष्ट्रवाद की अपनी सियासी जमीन मजबूत करती रही है.

अब चुनाव की घोषणा के बाद आईएसआईएस से जुड़े आतंकवादी की गिरफ्तारी और उनके गुजरात कनेक्शन ने बीजेपी के लिए एक ऐसा हथियार दे दिया है जिसके दम पर वो कांग्रेस को पीछे धकेलना चाहती है.


कांग्रेस को पीछे धकेलने की बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव और गुजरात से ही राज्यसभा सांसद अहमद पटेल के साथ गिरफ्तार आतंकवादी की कड़ी जोड़ने की कोशिश बीजेपी की तरफ से हो रही है.

पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अहमद पटेल का राज्यसभा से इस्तीफा मांगा था. उन्होंने अहमद पटेल पर आरोप लगा दिया था कि हाल ही में गिरफ्तार किया गया आतंकी संगठन आईएसआईएस का संदिग्ध आतंकवादी उस अस्पताल में काम करता था, जिस अस्पताल मे अहमद पटेल पहले एक ट्रस्टी थे.

बीजेपी के हमलावर रुख ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी है 

अहमद पटेल पर हमला विजय रूपाणी के अलावा बीजेपी के दूसरे नेताओं की तरफ से भी हुआ. आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस के बड़े नेता के कनेक्शन को दिखाकर बीजेपी गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने में लगी है.

आतंकवादी की गिरफ्तारी और उस पर बीजेपी के हमलावर रुख ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी है. कांग्रेस के नेता अबतक गुजरात में 22 साल के बीजेपी शासन काल और उस दौरान विकास के फेल होने के मुद्दे को उठाने में लगे हुए थे. लेकिन, इस ताजा घटनाक्रम के बाद कांग्रेसी रणनीतिकारों को भी लगने लगा है कि आतंकवाद का मुद्दा चुनाव के केंद्र में आने पर बढ़त बीजेपी को मिल सकती है.

बीजेपी के पलटवार के बाद घबराई कांग्रेस अब बचाव की मुद्रा में है. कांग्रेस की तरफ से बीजेपी पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप तो लगाया जा रहा है. लेकिन मामले की गंभीरता के बाद अब अहमद पटेल ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है.

अहमद पटेल ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे अपने पत्र में कहा है कि इस पूरे मामले की जांच निष्पक्ष एजेंसी के माध्यम से कराए जाने का आदेश दिया जाना चाहिए. अहमद पटेल का कहना है कि चुनाव जीतने भर के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ इस तरह का खिलवाड़ नहीं होना चाहिए.

उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘आतंकवाद से लिंक के आरोप एजेंसियों की ओर से जांच के बाद तय किए जाने चाहिए न कि किसी राजनीतिक नेता की ओर से पार्टी हेडक्वॉटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस तरह कहा जाना चाहिए.’

आतंकवाद पर चर्चा से बढ़ेगा ध्रुवीकरण 

अहमद पटेल की तरफ से यह पत्र गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत बीजेपी के नेताओं की तरफ से किए जा रहे प्रहार के बाद आया है जिसमें कांग्रेस का हाथ आतंकवाद के साथ बताकर अहमद पटेल को घेरा जा रहा है.

अहमद पटेल गुजरात से ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं और हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में बड़े सियासी ड्रामे के बाद उन्हें जीत मिली थी. कांग्रेस की तरफ से भले ही किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाया गया हो, लेकिन इस वक्त कांग्रेस के चाणक्य के तौर पर गुजरात में अहमद पटेल ही काम कर रहे हैं. ऐसे में आईएसआईएस के गिरफ्तार आतंकवादी के मुद्दे पर अहमद पटेल को कठघरे में खड़ा कर बीजेपी कांग्रेस की रफ्तार को चुनावी मंझधार में कुचल देना चाहती है.

इसके पहले के गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी ने आतंकवाद से लेकर कई दूसरे अपराधियों के सफाए के मुद्दे पर भी कांग्रेस को पछाड़ दिया था. सोहराबुद्दीन से लेकर इशरत जहां के मसले को भी लेकर विरोधियों ने बीजेपी को जितनी ही घेरने की कोशिश की थी, उतनी ही बीजेपी को फायदा मिला था. बीजेपी ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी सरकार के बेहतर और सख्त कदम की दुहाई देकर कांग्रेस की हवा निकाल दी थी.

आतंकवाद के मुद्दे पर जितनी ही चर्चा होगी उतना ही चुनावों के दौरान ध्रुवीकरण होगा. इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा, इसी छटपटाहट ने अब अहमद पटेल को सफाई देने पर मजबूर कर दिया है.

कश्मीर पर दिए बयान से भी बीजेपी कांग्रेस को धकेलने में लगी है

लेकिन, बीजेपी आतंकवाद के अलावा कश्मीर पर भी कांग्रेस को पीछे धकेलने में लगी है. यूपीए सरकार के दौरान गृहमंत्री रह चुके कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम के कश्मीर पर बयान को लेकर भी बीजेपी हमलावर हो गई है.

सीधे प्रधानमंत्री ने कर्नाटक से भी चिदंबरम पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेसी नेताओं की भाषा पाकिस्तान की भाषा की तरह हो गई है. चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर को अधिक स्वायत्तता देने की बात कही थी जिसके बाद लगातार बीजेपी की तरफ से कांग्रेस को घेरा जा रहा है.

कश्मीर पर प्रधानमंत्री ने भले ही कर्नाटक में बयान दिया है लेकिन इसका सीधा असर गुजरात में दिखेगा. कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरकर राष्ट्रवाद के एजेंडे को फिर से गुजरात चुनाव के केंद्र में लाने की कोशिश हो रही है. पहले के अनुभवों के डर से ही कांग्रेस आतंकवाद से लेकर कश्मीर के मुद्दे पर इस तरह की चर्चा से फिलहाल कतरा भी रही है और घबरा भी रही है.