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गुजरात चुनाव 2017ः 'ऑटो रिक्शा' की सवारी करेंगे शरद यादव

दक्षिणी गुजरात की आदिवासी बहुल लगभग दर्जन सीटों पर बसावा के प्रभाव को देखते हुए शरद गुट ने ‘भारतीय ट्राइबल पार्टी’ बनाई है

Bhasha

शरद गुट का जेडीयू चुनाव चिन्हा से दावा खारिज कर दिया गया है. लिहाजा वे अपने इरादों से पीछे हटनेवाले नहीं है. गुजरात चुनाव में ऑटो रिक्शा चुनाव चिन्ह के साथ अपने उम्मीदवार उतारने जा रहे हैं.

यादव ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि चुनाव आयोग की ओर से जेडीयू पर उनके दावे को खारिज करने का उन्हें पहले ही अंदेशा था. यही वजह है कि उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी पार्टी बनाने की तैयारी कर ली थी.


यादव ने पार्टी का नाम बताने से इंकार करते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि उनके उम्मीदवार ऑटो रिक्शा चुनाव चिन्ह पर गुजरात में चुनाव लड़ेंगे. इस बाबत कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत पूरी हो गई है.

शरद ने बनाई भारत ट्राइबल पार्टी 

उन्होंने कहा कि गुजरात चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची के साथ ही उनके उम्मीदवार भी घोषित किए जाएंगे. शरद गुट के उम्मीदवार गुजरात विधानसभा चुनाव जेडीयू विधायक छोटूभाई बसावा के नेतृत्व में लड़ेंगे.

सूत्रों के मुताबिक दक्षिणी गुजरात की आदिवासी बहुल लगभग दर्जन सीटों पर बसावा के प्रभाव को देखते हुए शरद गुट ने ‘भारतीय ट्राइबल पार्टी’ बनाई है. चुनाव आयोग में जेडीयू पर अपने गुट के दावे की लड़ाई हारने के बारे में यादव ने कहा कि आयोग के फैसले से संघर्ष के रास्ते का अंत नहीं हुआ है, लड़ाई जारी रहेगी.

उन्होंने कहा कि देश की जनता हकीकत से वाकिफ है और कौन सही है, कौन गलत, इसका भी फैसला जनता करेगी.

चुनाव चिन्ह विवादा जा सकता है सुप्रीम कोर्ट 

उल्लेखनीय है कि आयोग ने जेडीयू के चुनाव चिन्ह पर नीतीश और शरद गुट के दावे को लेकर पिछले तीन महीनों से चल रही सुनवाई के बाद शुक्रवार को पारित आदेश में नीतीश गुट को ही असली जदयू बताया था.

इस साल जुलाई में नीतीश की अगुवाई वाली सरकार बिहार में चुनाव पूर्व हुए महागठबंधन को छोड़कर केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल हो गई थी. इसके विरोध में शरद गुट ने बागी रुख अख्तियार कर चुनाव आयोग में पार्टी पर अपने दावे की अर्जी पेश कर दी थी.

आयोग के फैसले को चुनौती देने के सवाल पर यादव के सहयोगी जावेद रजा ने बताया कि इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय जाने सहित अन्य विकल्पों के कानूनी पहलुओं पर विचार विमर्श किया जा रहा है. जल्द ही इस पर फैसला कर आगे का रास्ता तय किया जाएगा.