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गुजरात चुनाव: मुसलमानों को टिकट देने से क्यों बच रही हैं राजनीतिक पार्टियां

1980 में 12 मुस्लिम विधायक थे जो 2012 में घटकर सिर्फ 2 रह गए हैं

FP Staff

गुजरात में 9 दिसंबर और 14 दिसंबर को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. पिछले तीन दशक में गुजरात में मुस्लिम प्रतिनिधियों की संख्या में तेज गिरावट हुई है. यह इस बात का सबूत है कि इन 30 साल के दौरान राज्य में पोलराइजेशन कितनी तेजी से बढ़ा है.

राज्य की आबादी में मुस्लिम की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी है. जबकि 2012 के चुनाव में 182 सदस्यों की विधानसभा में सिर्फ 2 मुसलमान है. विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या के मुकाबले यह सिर्फ 1 फीसदी है.


बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ने अल्पसंख्यक समुदाय के बहुत कम लोगों को टिकट दिया है. हालांकि माना जाता है कि कम से कम 187 सीटों पर मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. 1980 के चुनाव में 17 मुसलमान चुनाव की दौड़ में थे. इनमें से 12 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 1990 में सिर्फ 11 मुसलमानों को टिकट मिला था. इनमें से तीन उम्मीदवारों को जीत मिली थी.

2012 के चुनावों में सिर्फ 5 मुसलमान ही चुनाव की दौड़ में थे. इनमें से सिर्फ दो ही जीत का मुंह देख पाए. 1980 के मुकाबले मुसलमान विधायकों की संख्या में तेजी से कमी आई है. फिलहाल कांग्रेस के वरिष्ठ लीडर अहमद पटेल गुजरात से इकलौते मुस्लिम एमपी हैं. इस साल पटेल ने बहुत कम मार्जिन से जीत हासिल की थी.

लोकसभा में गुजरात से एक भी मुस्लिम प्रतिनिधि नहीं है. गुजरात के कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा, हालांकि पार्टी उन इलाकों में मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है, जहां उनके जीतने का चांस ज्यादा होगा.