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वडगाम सीट: क्या जिग्नेश मेवाणी दिखा पाएंगे अपना दम?

2012 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के मणिराम वाघेला ने 90000 के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी

FP Staff

उना आंदोलन के बाद से गुजरात के एक दलित आंदोलनकारी का नाम पूरे देश में गूंज रहा है. वो जिग्नेश मेवाणी हैं. जिग्नेश गुजरात की राजनीति में तेजी से उभर रही 'तिकड़ी' के सदस्य हैं. जिग्नेश पहले तो चुनाव लड़ने को लेकर उतने प्रतिबद्ध नहीं दिखाई दे रहे थे लेकिन उन्होंने 27 नवंबर को चुनावी समर में कूदने की घोषणा कर दी है. उन्हें कांग्रेस का समर्थन हासिल है.

जिग्नेश मेवाणी का ये निर्णय बनासकांठा जिले की वडगाम सीट से वर्तमान विधायक मणिभाई वाघेला के उस वक्तव्य के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य कांग्रेस ने उन्हें इस सीट से चुनाव नहीं लड़ने का निर्देश दिया है और यह मेवाणी के साथ समझौते का हिस्सा है.


इस सीट पर जिग्नेश मेवाणी को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का समर्थन मिलने के बाद मुकाबला अब दोतरफा हो गया है. बीजेपी ने इस सीट से विजय चक्रवर्ती को उम्मीदवार बनाया है. विजय चक्रवर्ती भी राजनीति में बहुत ज्यादा पुराने नहीं हैं. जिग्नेश मेवाणी के इस सीट से उतरने के बाद माना जा रहा है कि यहां मुकाबला एकतरफा भी हो सकता है.

हालांकि इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक जब बीजेपी उम्मीदवार विजय चक्रवर्ती से जिग्नेश मेवाणी को दूसरी पार्टियों द्वारा समर्थन दिए जाने की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि मैं तो जिग्नेश मेवाणी का नाम भी नहीं जानता. वो बोले, मैं एक एक ऐसी पार्टी का प्रत्याशी हूं जिसका एजेंडा सिर्फ विकास है और हमारे नेता हमारे आदर्श हैं. मैं वडगाम से अपनी जीत सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करूंगा.

जिग्नेश की जीत के पीछे आंकड़े भी काफी मुनादी कर रहे हैं. वडगाम एससी सुरक्षित सीट है. इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. पिछले चार में से तीन चुनाव कांग्रेस ने यहां से जीते हैं. सिर्फ 2007 में बीजेपी ने यह सीट कांग्रेस से हथिया ली थी. तब कांग्रेस के नेताओं का कहना था कि ऐसा एक मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार के खड़े होने के कारण हुआ. कांग्रेस का समर्थन जिग्नेश को मिलने के बाद उनके लिए चुनावी लड़ाई थोड़ी आसान हो गई है.

2011 की जनगणना के मुताबिक वडगाम की कुल जनसंख्या तकरीबन ढाई लाख के आस-पास है जिसमें 16.2 प्रतिशत एससी और 25.3 प्रतिशत मुस्लिमों की संख्या है. ये दोनों ही कांग्रेस के कोर वोटर रहे हैं. ऐसे में इनके वोट का झुकाव जिग्नेश की तरफ हो सकता है.

2012 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के मणिराम वाघेला ने 90000 के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी.