view all

गुजरात चुनाव 2017: आखिर चुनाव प्रचार से दूर क्यों हैं अहमद पटेल!

2017 के इस विधानसभा चुनाव में अहमद पटेल की सक्रियता कम दिखाई पड़ रही है, इससे पहले हुए चुनावों में गुजरात में अहमद पटेल की तूती बोलती रही है

Syed Mojiz Imam

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के शक्तिशाली राजनीतिक सचिव गुजरात के चुनाव प्रचार में नहीं दिखाई दे रहे हैं. गुजरात के भरूच के रहने वाले अहमद पटेल राज्य से सांसद भी हैं. गुजरात में बाबू भी के नाम से पुकारे जाने वाले अहमद को लेकर कांग्रेस कशमकश में है. कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नवसृजन यात्रा में अहमद सिर्फ नजरो में ही नजर आए. बीजेपी के आईएसआईएस वाले आरोप से कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई है.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने आरोप लगाया कि अहमद पटेल जिस अस्पताल के ट्रस्टी थे उसमें दो सदिंग्ध आतंकवादी पकडे़ गए हैं. जिसका अहमद पटेल ने खंडन किया और गृह मंत्री को चिट्ठी लिखकर इस मामले की जांच कराने की मांग की. इस वाकये के बाद कांग्रेस को लग रहा है कि बीजेपी पहले की तरह ध्रुवीकरण की राजनीति में पार्टी को उलझाना चाहती है.


सूत्रों के मुताबिक इसलिए अहमद पटेल खुलकर प्रचार नहीं कर रहे हैं. हालांकि पार्टी के लोग कह रहे हैं कि अहमद पटेल अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं. इस सिलसिले में अहमद पटेल की प्रतिक्रिया जानने के लिए मैसेज किया गया. जिसका कोई उत्तर नहीं मिला. कांग्रेस के कद्दावर नेता शक्ति सिंह गोहिल ने भी एसएमएस का जवाब नहीं दिया.

गुजरात चुनाव में अहमद पटेल

2017 के इस विधानसभा चुनाव में अहमद पटेल की सक्रियता कम दिखाई पड़ रही है. इससे पहले हुए चुनावों में गुजरात में अहमद पटेल की तूती बोलती रही है. अहमद पटेल दिल्ली में सबसे ताकतवर नेता रहे. 2004 से 2014 के बीच दिल्ली में अहमद पटेल सरकार में ना रहते हुए भी सब कुछ थे. बड़े-बड़े नेताओ को उनसे मिलने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. इसके बरक्स गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस की सारी कोशिश नाकाम रही है.

2002, 2007 और 2012 के चुनाव में बीजेपी की बढ़त बनी रही. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को लग रहा था कि 2012 के चुनाव में पार्टी जीत के कगार पर थी, लेकिन अहमद का नाम आने से मोदी ने बाजी पलट दी. हालांकि कांग्रेस के खाके में ये उस समय नहीं था कि अहमद पटेल को पार्टी मुख्यमंत्री बनाना चाहती है.

हालांकि अहमद ने राज्यसभा चुनाव में अपनी रणनीति और ताकत भी दिखाया किस तरह उन्होनें अब के सबसे ताकतवर नेता अमित शाह को पटखनी दी. इसके बावजूद राहुल गांधी के प्रचार अभियान से दूर ही दिखाई पड़ रहे है. कांग्रेस में उनके खिलाफ वाला गुट भी राहुल गांधी के करीब हो गया है. जिससे अहमद पटेल लाइमलाइट से दूर है.

गांधी परिवार से रिश्ते

अहमद पटेल का गांधी परिवार से रिश्ता काफी पुराना है. इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव मे इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थी. लेकिन अहमद पटेल भरूच लोकसभा के सांसद बने. राजीव गांधी ने जब नौजवान नेताओं को प्रमोट करना शुरू किया तो अहमद पार्टी के महासचिव बने.

1988 में जवाहरलाल नेहरू के जन्मशती समारोह से पहले जवाहर भवन को पूरा कराने की जिम्मेदारी भी पटेल को दी गई. जिससे अहमद पटेल की नजदीकी परिवार से और बढ़ गई. सीताराम केसरी जब कांग्रेस के अध्यक्ष थे तब अहमद पटेल कोषाध्यक्ष बने. लेकिन केसरी का साथ छोड़कर सोनिया गांधी के साथ आए और 2001 से उनके राजनीतिक सचिव है. 1992 से अहमद पटेल कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य भी है.

हो सकते हैं सीएम उम्मीदवार

राहुल गांधी के पार्टी का अध्यक्ष बनने मे ज्यादा वक्त नहीं है. राहुल गांधी ने दिखा दिया है कि नए नेता ही उनकी टीम में शामिल होंगे. कांग्रेस ने हाल में ही झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष पूर्व आईपीएस अजय कुमार को बनाया और पुराने नेताओं को हाशिए पर ढकेल दिया. ना ही सुबोधकांत सहाय की दावेदारी देखी गई ना ही प्रदीप बालमूचू जैसे आदिवासी नेता की. कांग्रेस अगर बीजेपी का किला भेदने में कामयाब हो गई तो अहमद पटेल को सीएम बना सकती है.

ये एक इनाम होगा कि जिस तरह से अहमद पटेल ने परिवार के साथ रिश्ते निभाए हैं. 2001 से सोनिया गांधी के सबसे विश्वस्त रहें हैं. 2004 के एनडीए के इंडिया शाइनिंग के जवाब में कांग्रेस ने बिहार से लेकर केरल तक नए गठबंधन किए. जिससे एनडीए को मात दे पाए जिसकी उम्मीद ना बीजेपी को थी ना ही राजनीतिक विश्लेषकों की. इस पूरी रणनीति के पीछे अहमद पटेल का योगदान था. जिससे तमाम विरोधी दल कांग्रेस की अगुवाई में एक साथ दिखाई दिए.

बीजेपी के निशाने पर अहमद

बीजेपी को पता है कि अहमद पटेल कांग्रेस की दुखती रग है. जिसकी वजह से सोच समझकर खुद गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने उनके ऊपर आरोप लगाए. जिसका खंडन भी किया गया.

बीजेपी ने यही तरीका 2012 के विधानसभा चुनाव में अख्तियार किया था. बीजेपी के बड़े नेताओं ने ये कहना शुरू कर दिया था कि अगर कांग्रेस जीतती है तो अहमद पटेल को सीएम बनाएगी. बीजेपी का पत्ता काम कर गया और बीजेपी को भारी बहुमत मिला. अब कांग्रेस के सामने चुनौती है कि इस बार बीजेपी के इस कार्ड का कैसे जवाब देती है.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)