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क्या गुजरात के लिए चुनावी तोहफा है जीएसटी राहत!

जीएसटी की इस लिस्ट में कई ऐसी चीजे हैं जिनका सीधा संबंध गुजरात से है

Animesh Mukharjee

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इस लोकतंत्र का सबसे बड़े उत्सव होते हैं चुनाव. अब चूंकि उत्सव है तो उपहार, त्योहारी, नेग या ईदी भी तो बंटनी ही चाहिए. इसलिए समय-समय पर बांटे जाने वाले उपहारों की घोषणा हमारे नेता और सरकारें करते रहते हैं.

चुनाव के ये त्योहार छोटे बड़े हर प्रकार के हो सकते हैं. उपहार में भव्य मंदिर बनवाने जैसे वादों से लेकर साड़ी, लैपटॉप और टीवी जैसी छोटी चीजें भी हो सकती हैं. कभी-कभी तो पूरे देश को लखपति बनाने जैसे जुमले भी उपहार में दे दिए जाते हैं, जिनमें जनता को कुछ मिलता तो नहीं है मगर आने वाले दिनों के अच्छे होने का अहसास होता रहता है. इसी कड़ी में नया नाम है जीएसटी में किए गए सुधार.


बताया जा रहा है कि कई चीजों पर जीएसटी कम करने का उद्देश्य छोटे व्यापारियों को राहत देना है. मगर इस लिस्ट में कई ऐसी चीजे हैं जिनको देख कर आपको लगेगा कि ये देश से ज्यादा गुजराती वोटर्स को लुभाने की कवायद है.

लिस्ट पर नजर डालने से पहले एक बात जान लीजिए कि नोटबंदी से उपजी समस्याओं के बाद जीएसटी लगने से गुजरात के सूरत, अहमदाबाद और वडोदरा जैसे राज्यों के व्यापारी बुरी तरह नाराज हो गए थे. कई प्रदर्शन हुए, ‘विकास पागल हो गया है’ जैसे नारे लगे. जिन जगहों पर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक छत्र साम्राज्य माना जाता था, वहां भी सरकार की कड़ी आलोचना होने लगी.

सूरत जैसे व्यापारिक केंद्र देश भर में माल सप्लाई करते हैं. जब पूरे देश से जीएसटी के चलते मांग में कमी आई तो वहां के व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ी. वो भी दशहरे, दीपावली और शादियों के आने वाले सीजन में, जो साल भर में कमाई का सबसे बड़ा समय माना जाता है.

तो देखिए उन उत्पादों की लिस्ट जिनपर जीएसटी कम किया गया है. आप उम्मीद कर सकते हैं कि आपके राज्य में जब चुनाव हों तो आपको भी अपनी स्थानीय वस्तुओं पर छूट मिले.

खाखरा और आम पापड़

गुजरात में खाखरा रोज का नाश्ता है. खाखरा को गुजरात की पहचान से जोड़कर पूरी दुनिया में देखा जाता है. इसलिए गुजरात के इस राज्य भोजन को 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत पर लाने का सीधा अर्थ 6 करोड़ गुजराती भाई-बहनों को खुश करना है. इसी तरह से आम पापड़ चर्चित तो पूरे देश में है पर गुजरात से इसका खास नाता है. अब ये बात सब जानते हैं कि आदमी की खुशी का रास्ता पेट से होकर जाता है. ऐसे में गुजराती खाने को अलग से छूट मिलना लाजमी है. अब राज ठाकरे नाराज होते रहें कि बड़ा पाव को क्यों शामिल नहीं किया.

जरी और कपड़ा उद्योग

गुजरात को भारत का मैनचेस्टर भी कहा जाता है. सूरत कपड़े और जरी के व्यापार के लिए जाना जाता है. ऐसे में जरी को 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत टैक्स के दायरे में लाने का सीधा अर्थ विशेष रूप से वहां के व्यापारियों को राहत देना है.

इसी तरह से तमाम तरह के धागों को 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के दायरे में कर दिया गया है. इसका भी सबसे बड़ा फायदा कपड़ा उद्योग को मिलेगा. जिसका सबसे बड़ा समूह गुजरात में है. इसके साथ ही छपाई की सेवाओं पर भी जीएसटी में राहत दी गई है.

टैक्स में राहत निश्चित तौर पर एक अच्छी बात है. मगर कई सवाल भी खड़े हुए हैं. मसलन इस फाइनेंशियल इयर में शुरुआत वैट से हुई कुछ दिनों तक अलग स्लैब का जीएसटी लगा और अब अलग दर पर जीएसटी लगने के बाद किस तरह से टैक्स, मुनाफे और लागत का निर्धारण किया जाएगा, साफ नहीं है.