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मॉनसून सत्र: कितनी कारगर होगी विपक्ष के वार से निपटने की तैयारी?

इसमें कोई शक नहीं है कि इस बार संसद के मॉनसून सत्र में सरकार को अमरनाथ आतंकी हमला परेशान करने वाला है

Amitesh

संसद के मॉनसून सत्र के एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को लेकर अपनी नाराजगी जता दी. प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने राज्य सरकारों को इस तरह के मामलों में कार्रवाई करने को भी कहा है.

प्रधानमंत्री के इस बयान से साफ है कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष के तेवर और संभावित हमले का अंदेशा सरकार को हो गया है. सरकार इस बात को समझ रही है कि इस बार कई ऐसे मसले हैं जिनको लेकर विपक्ष उसे घेरने की कोशिश करेगा, लिहाजा पहले से ही निपटने की तैयारी हो रही है.


सत्र में आतंकी हमले सरकार को परेशान करेंगे

संसद के मॉनसून सत्र से पहले ऑल पार्टी मीटिंग के लिए जाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

देश के अलग-अलग हिस्सों में गोरक्षा के नाम पर जारी हिंसा से सरकार की छवि पर बट्टा लग रहा है. विपक्ष का आरोप पहले से ही रहा है कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद इस तरह के मामले बढ़े हैं, अब संसद के मौजूदा सत्र में इस पर संभावित हमले के पहले ही प्रधानमंत्री ने अपनी तरफ से सख्ती की बात कर विपक्ष की धार को कुंद करने की कोशिश की है.

इस वक्त सिक्किम से सटी सीमा पर डोकलाम इलाके में चीन के साथ तनातनी जारी है. चीन की दादागिरी का भारत भले ही मुंहतोड़ जवाब दे रहा हो, लेकिन, विपक्ष की तरफ से चीन की सीमा पर जारी हलचल और पाकिस्तान की तरफ से हो रही फायरिंग के मुद्दे को उठाने की तैयारी का अंदाजा सरकार को पहले से ही रहा है. लिहाजा सरकार की तरफ से पहले ही सर्वदलीय बैठक बुला ली गई थी.

संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों के तरकश में कई ऐसे तीर हैं जिनके दम पर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश हो रही है. डोकलाम इलाके में तनातनी के बाद चीन के साथ कटु रिश्ते हों या फिर पाकिस्तान की तरफ से हो रही फायरिंग और आतंकवाद का मुद्दा हो विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है.

अभी हाल ही में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले पर सुरक्षा में लापरवाही का मुद्दा सरकार के गले की हड्डी बना हुआ है. कश्मीर में जारी धरना प्रदर्शन के मुद्दे पर भी विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करने वाला है.

किसानों के हालात को लेकर भी विपक्ष  हमलावर है. कोशिश है किसानों की आत्महत्या और मंदसौर की फायरिंग के मुद्दे को उछालकर सरकार को घेरा जाए.

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद का कहना है कि पार्टी सुरक्षा के मुद्दों खासकर कश्मीर, किसानों, गोरक्षकों के हमले और चीन के साथ सीमा विवाद को मॉनसून सत्र में उठाएगी.

विपक्ष के तेवर से साफ लग रहा है कि सरकार की तमाम कोशिश के बावजूद विपक्ष अपने रुख पर कायम है. विपक्ष सरकार को आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चों पर घेरने की पूरी तैयारी में है.

संसद के मॉनसून सत्र से पहले ऑल पार्टी मीटिंग के लिए जाते ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुलायम सिंह यादव और एच.डी देवगौड़ा.

उधर, सरकार ने मॉनसून सत्र के दौरान 16 बिल पास कराने की तैयारी की है. मौजूदा सत्र में जम्मू-कश्मीर जीएसटी बिल, नागरिकता संशोधन बिल पास कराए जाने हैं. नागरिकता संशोधन बिल के जरिए सरकार अवैध रूप से भारत में प्रवेश करनेवाले  विदेशी नागरिकों के एक खास वर्ग को सरकार भारतीय नागरिकता देना चाहती है.

कांग्रेस भी सरकार को पूरी चुनौती देने के मूड में है

संसद के मॉनसून सत्र की शुरूआत के पहले ही दिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग भी हो रही है. सभी दलों की तरफ से अपनी-अपनी रणनीति को अंतिम धार दे दिया गया है. बीजेपी की अगुवाई में सत्ताधारी एनडीए रामनाथ कोविंद की जीत को लेकर काफी आश्वस्त है तो दूसरी तरफ, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों की कोशिश है अपने कुनबे एकजुट कर विपक्षी एकता दिखाने की.

जेडीयू ने पहले ही इस विपक्षी एकता को तार-तार कर दिया है, लेकिन, बचे हुए 17 दलों की बदौलत कांग्रेस भी सरकार को पूरी चुनौती देने के मूड में है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने माना भी है कि हमारे पास संख्या बल नहीं है, लेकिन, लड़ना जरूरी है और हमें पूरी ताकत से लड़नी चाहिए.

सोनिया गांधी के बयान से साफ है कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष के पास बहुमत नहीं है, लेकिन, बीजेपी को घेरने की रणनीति के तहत ये लड़ाई लड़ी जा रही है. दूसरे शब्दों में कहें तो उनका बयान विपक्ष की संभावित हार को ही बयां कर रहा है.

लेकिन, विपक्षी दलों की बैठक के बाद उनके इस बयान ने जता दिया है कि आने वाले दिनों में सरकार पर एकजुट विपक्ष हमलावर होगा और इसकी एक बानगी संसद के मौजूदा सत्र में भी देखने को मिलेगी.