view all

गोरखपुर त्रासदी: योगी जी अखिलेश अगर नौसिखिया थे तो आप क्या हैं...?

योगी जी सिर्फ विचारधारा से पेट नहीं भरता यूपी की जनता को खाना, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा चाहिए

Afsar Ahmed

11 अगस्त के 24 घंटे यूपी के लिहाज से बड़े हैरान करने वाले रहे. सुबह से ये खबर मीडिया में तनी हुई थी कि 15 अगस्त को योगी सरकार ने सारे मदरसों में वंदे मातरम गाने और वहां की वीडियोग्राफी कराने का फरमान जारी किया था, शाम आते आते चर्चा तो यूपी पर ही हो रही थी लेकिन खबर बदल गई.

दरअसल गोरखपुर जो योगी का गृह जिला और कर्मभूमि भी रहा है वहां के सरकारी अस्पताल से कई बच्चों के ऑक्सीजन के अभाव में मौत की खबर आ गई. इन्हीं 24 घंटों ने जाने अनजाने में ये भी तय किया कि यूपी कहां जा रहा है और उसे कहां जाने की जरूरत है.


ये नजारा बेहद निराशा और नाराजगी पैदा करने वाला है. मेरा योगी जी से पहला सवाल ये है कि आपकी प्राथमिकता क्या है- देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले इस राज्य का विकास या फिर भगवा प्रचार. ये सच है कि किसी के भी काम को एक दिन में आंका नहीं जा सकता लेकिन अब तो आपको वक्त हो चला है. 

सत्ता में आए हुए तकरीबन 5 महीने हो चुके हैं. आप जब सत्ता में आए तो अवैध कत्लखानों के खिलाफ अभियान चलाया गया लेकिन शिक्षा माफिया, बालू माफिया, मेडिकल रैकेट चलाने वालों के खिलाफ आपने कोई अभियान चलाया हो ऐसी कोई खबर नहीं आई.

हेल्थ बजट पर ध्यान क्यों नहीं?

योगी जी जब आप यूपी सरकार का बजट पेश कर रहे थे तब आपने हेल्थ के बजट को लेकर जरा भी गंभीरता नहीं दिखाई. आप 2017-2018 के सिर्फ 13692 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए. जो कि पिछले बजट से भी कम हैं. यह बजट भी यह कहकर दिया कि 108 नंबर वाली 712 इमरजेंसी एंबुलेंस खरीदेंगे. क्या आप भूल गए कि आपके प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी लचर है.

बीते 4 दशकों में बच्चों के लिए काल बन रही इंसेफेलाइटिस से 18 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. आप इसे बेहतर जानते हैं क्योंकि आप भी गोरखुपर से हैं और वहां इसका सबसे ज्यादा प्रकोप है. आपने गोरखपुर के अलावा अन्य जिलों के सरकारी अस्पतालों में घूमकर देखा है क्या कभी. अगर आप घूमते तो आप हेल्थ सेक्टर में इतना कम बजट आवंटित नहीं करते. हां आपने ऐसा किया है.

यह भी पढ़ें: गोरखपुर में हुई मौतों की जिम्मेदारी सीएम योगी के दरवाजे तक जाती है

साथ ही मैं अन्य राज्यों के हालात भी आपको बताता चलूं- मसलन एमपी जहां चालू वित्त वर्ष के लिए 6000 करोड़ का बजट आवंटित किया गया जबकि उसकी आबादी यूपी की तकरीबन तिहाई हिस्से के बराबर है. वहीं छोटी सी दिल्ली के लिए हेल्थ सैक्टर में 5700 करोड़ का बजट आवंटित किया गया जबकि उसकी आबादी यूपी के 10वें हिस्से के बराबर है.

आपको नहीं लगता है कि आपने प्रदेश की जनता के साथ उसके स्वास्थ्य के नाम पर वैसा ही मजाक किया है जैसा कि पिछली सरकारें करती आई हैं.

ये कैसा सुशासन?

आप अपराध की बात करते हैं. पहले यह कहा जाता था कि सपाई हैं तो गुंडई होगी क्योंकि इसी से वो सत्ता में आए हैं. अब आप क्या कहेंगे- सरेआम लोगों को गोली मार दी जाती है, बलात्कार किए जाते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती. हाल ही में यूपी एक छात्रा की हत्या का मामला सामने आया. मालूम पड़ा हत्या का जिस पर आरोप था वो आपकी एंटी रोमियो स्क्वॉड का हिस्सा था.

तो जो पहरेदार हैं वही अब हत्या कर रहे हैं. क्या ये सुशासन है. क्या यूपी के बीते कुछ महीनों के ये आंकड़े आपको हैरान नहीं कर रहे- उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक जब से नई सरकार सत्ता में आई है तब से 9 मई तक ही 803 बलात्कार, 729 हत्याएं, 723 लूट और 2628 अपहरण के मामले सामने आ गए.

क्या आपको नहीं लगता कि अपराध के आंकड़ों ने इस प्रदेश की छवि को सबसे ज्यादा बट्टा लगाया है. अगर लगता होता तो आप पुलिस सुधार में सिर्फ 16 फीसदी का इजाफा न करते. ऐसा हुआ है. आपकी ऐसी ही प्राथमिकता के चलते यहां अपराध का बोलबाला है. हत्या, बलात्कार की घटनाएं यहां आम हैं.

क्या हुआ तेरा वादा?

अब आते हैं यूपी की प्रति व्यक्ति आय पर. हम राष्ट्रीय औसत से आधे पर क्यों हैं. इस पर आपने कभी विचार किया है. ये अभी 48520 रुपए है. आपने इसे बढ़ाने के लिए क्या योजना बनाई है ये भी प्रदेशवासियों को बताइए. आपने वादा किया था कि आप सत्ता में आने के कुछ ही महीनों के अंदर सड़कों के गड्ढे दूर कर देंगे. क्या आपने दूर कर दिए हैं. कहां गया वो वादा. गड्ढे भर गए क्या?

हां, ये भी सच है कि अखिलेश ने 5 साल में कोई तीर नहीं मारा है लेकिन आप ने क्या किया है इन 5 महीनों में ये तो जनता को बताइए. आपको अगर मैं झूठा लग रहा हूं तो मैं आपको हर जिले की सड़कों का हाल फोटो समेत भेज सकता हूं. हां मैं ये कर सकता हूं क्योंकि मैं भी यूपी का ही हूं. आपने सड़कें ठीक करने के लिए चालू वित्त वर्ष में करीब 4 हजार करोड़ का बजट रखा लेकिन उसका कुछ हो पाएगा?

मैं आपसे कहना चाहता हूं कि विचारधारा से पेट नहीं भरता. यूपी की जनता के भरपूर खाने को दीजिए. हमारी नई पीढ़ी को रोजगार दीजिए, उनके स्वास्थ्य शिक्षा का खयाल रखिए. ये आधारभूत जरूरतें हैं फिर विचारधारा की मीनार खड़ी करिएगा. क्यों आपने भी ये लाइन पढ़ी होंगी- भूखे भजन ना होय गोपाला... उम्मीद है इतिहास से सीख कर इन गलतियों को नहीं दोहराया जाएगा.