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गोरखपुर में हुई मौतों की जिम्मेदारी सीएम योगी के दरवाजे तक जाती है

बतौर सांसद लोकसभा में 57 बार स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल पूछने वाले योगी आखिर क्यों गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से अनभिज्ञ रहे?

Sumit Kumar Dubey

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीते एक सप्ताह में 63 बच्चों की मौत का मामला बढ़ता जा रहा है. विपक्षी पार्टियां योगी सरकार पर तीखे प्रहार कर रही हैं. राज्य सरकार रक्षात्मक मुद्रा में है. रक्षात्मक होने के कारण ये भी है कि दिमागी बुखार इस इलाके में नई समस्या नहीं है और वर्तमान सीएम योगी इस इलाके के करीब 19 सालों से सांसद हैं.

दरअसल गोरखपुर समेत पूरे पूर्वांचल में इंसेफलाइटिस यानी दिमागी बुखार का खौफ इतना ज्यादा है कि उसे मौत का दूसरा नाम कहा जाता है. खासतौर से बीते कई सालों से बच्चे लगातार इसका शिकार हो रहे हैं.


करीब दो साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी गोरखपुर में एम्स का उद्घाटन करने गए थे तब उन्होंने ऐलान किया था कि अब इस बीमारी से वह एक भी बच्चे को मरने नहीं देंगे.

सूबे में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड बहुमत से बनी सरकार और गोरखपुर के ही सांसद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उम्मीद जगी थी अब पूर्वांचल के बच्चे इस जानलेवा बीमारी के डर के बिना सो सकेंगे.

लेकिन पिछले तीन दिनों में गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में हुए मौत के तांडव ने ऐसे कई सवाल खड़े कर दिए हैं जिनकी जिम्मेदारी सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरवाजे तक जाती है.

मौत के तांडव के बाद अब हो रही है लीपापोती

गोरखपुर के सबसे बड़े अस्पताल में बीते एक सप्ताह में 60 से ज्यादा बच्चे मौत की नींद सो चुके हैं और इसकी वजह सिर्फ इंसेफलाइटिस ही नहीं बल्कि यूपी सरकार की लापरवाही है. अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने की वजह से हुई इन मौतों की खबर बाहर आने के बाद अब प्रशासन लीपापोती में लगा है लेकिन कुछ ऐसे तथ्य है झुठलाना प्रशासन के लिए मुमकिन नहीं है.

गोरखपुर के इस अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत अचानक ही पैदा नहीं हुई थी. ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने बाकायदा प्रशासन को इस बात की जानकारी दी थी कि वह सप्लाई बंद देगी. बताया जा रहा है कि इस कंपनी का करीब 60 लाख रुपए अस्पताल पर बकाया था. पुष्पा सेल्स ने बाकायदा चिट्ठी लिखकर इस बात की चेतावनी भी दी थी वह अस्पताल को लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई रोक देगी.

लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. स्थानीय अखबारों में यह खबर भी छपी.  कंपनी ने आखिरकार  ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी नतीजतन ,मौत गोरखपुर में कई बच्चों की जिंदगी लील गई.

गोरखपुर से पांच बार से सांसद हैं योगी आदित्यनाथ

बच्चों की मौत की खबर आने के बाद बड़ी बेशर्मी के साथ इस हादसे को ऑक्सीजन सप्लाई के मामले से अलग करने की कोशिश की जा रही है. सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं लेकिन सवाल अब भी बरकरार है और यह सवाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संजीदगी पर खड़ा हुआ है.

योगी आदित्यनाथ पांच बार से गोरखपुर से सांसद हैं. साल 2009 के चुनाव में जब यूपी में भाजपा  के सांसदों की संख्या दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंच सकी थी तब भी योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से जीत हासिल की थी. माना जाता है कि योगी गोरखपुर के रग-रग से वाकिफ हैं. सरकार किसी की भी हो लेकिन गोरखपुर में राज योगी का ही चलता है.

मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ ने बतौर सांसद मौजूदा लोकसभा में 57 बार पूर्वांचल में स्वास्थ्य मामलों के संबंध में सवाल पूछे थे. इस आंकड़े से पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ  मुख्यमंत्री बनने से पहले पूर्वांचल में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कितने संजीदा थे.

दो दिन पहले ही सीएम योगी ने किया था अस्पताल का दौरा

इस पूरे हादसे की सबसे बड़ी विडंबना तो यह है जब गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई के बंद होने और मासूम बच्चों की भूमिका तैयार हो रही थी उस वक्त खुद मुख्यमंत्री योगी बाबा राघवदास मेडीकल कॉलेज के निरीक्षण के लिए आए थे. मुख्यमंत्री के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से 9 अगस्त को उनके इस निरीक्षण की तस्वीरें भी ट्वीट की गईं.

यह नियति का कैसा क्रूर मजाक है कि मुख्यमंत्री इस अस्पताल में दिमागी बुखार से जूझ रहे बच्चों के उसी वार्ड का मुआयना करने गए थे जहां एक दिन बाद मौत का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ जिसने 60 से ज्यादा बच्चों की जिंदगी को खत्म कर दिया.

अब सवाल है कि क्या वाकई मुख्यमंत्री को बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से आने वाली आपदा का इल्म नहीं था? और अगर नहीं था तो क्यों नहीं था?  क्या यूपी के मुख्यमंत्री का इकबाल इतना कम हो गया है कि अधिकारी उनसे इतनी बड़ी बात छुपा सकते हैं? क्या गोरखपुर की हर बात से वाकिफ होने का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ ने अब मुख्यमंत्री बनने के बाद सब कुछ अधिकारियों के भरोसे छोड़ दिया है. सवाल बहुत सारे हैं और जवाब के नाम पर लीपापोती की जा रही है.

11  अगस्त के दिन जब गोरखपुर में बच्चों की मौत की खबर से कुछ घंटे पहले ही स्वतंत्रता दिवस के दिन मदरसों में वीडियों रिकॉर्डिंग कराने के यूपी सरकार के आदेश की भी खबर आई. एक ही दिन यूपी से आई इन दो खबरों से यूपी सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में संकेत मिलता है. काश यूपी सरकार ने देशभक्ति की इस नुमाइश के साथ-साथ  के बाबा राघवदास मेडीकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के मामले को भी प्राथमिकता दी होती तो शायद उन मासूमों की जिंदगी बच जाती.