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66 सीटों वाली आप को हुआ तख्ता पलट का डर तो काट दिया विश्वास का टिकट?

आखिर कैसे 66 सीटों के बहुमत के साथ विधानसभा में बैठने वाली आप को तख्तापलट का डर सताने लगा

Kinshuk Praval

कुमार विश्वास पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता के ताजा आरोप के बाद ये सवाल फिर से दो विकल्पों के साथ उठता है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? राज्यसभा के टिकट के लिए या फिर 66 सीटों वाली आप में तख्तापलट की साजिश के लिए? दरअसल अ’विश्वास’ के दौर से गुजरने के बाद अब पार्टी में कुमार को लेकर ‘राय’ शुमारी तेज हो गई है. आप के सीनियर लीडर गोपाल राय ने कुमार विश्वास पर दिल्ली सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया. उनकी दलील है कि इसी वजह से कुमार को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया गया. गोपाल राय के मुताबिक कुमार विश्वास की पार्टी के भीतर कथित साजिश एमसीडी चुनाव के बाद सामने आई थी.


गोपाल राय का ये आरोप बहुत गंभीर है. लेकिन इस आरोप से आम आदमी पार्टी की असुरक्षा की इन्तेहाई भी दिखाई देती है. आखिर कैसे 66 सीटों के बहुमत के साथ विधानसभा में बैठने वाली आप को तख्तापलट का डर सताने लगा. चाहे कैसा भी समीकरण बिठाया जाए लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार को अल्पमत में नहीं लाया जा सकता. साल 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजपी को केवल तीन सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस तो खाता भी नहीं खोल सकी थी. पार्टी में दो फाड़ होने की स्थिति में भी दिल्ली सरकार को कोई खतरा नहीं था.ऐसे में गोपाल राय के दावे समझ से परे हैं.

आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल पार्टी का चेहरा हैं. उनके राजनीतिक आचरण की वजह से ही 49 दिनों की सरकार के बावजूद दिल्ली की जनता ने ‘पांच साल-केजरीवाल’ के नारे पर मुहर लगाई. भारी बहुमत से जिताया. यहां तक कि विधानसभा में विपक्ष का रोल भी एक तरह से खत्म कर दिया. ताकि केजरीवाल अपने वादों को पूरा करने के लिए बिना किसी विरोध के काम करके दिखाएं. दिल्ली बदलने का दावा इत्मीनान से पूरा करें. ऐसे में ‘केजरीवाल एंड टीम’ के भीतर तख्तापलट का डर कैसे घर कर गया ये सोचने वाली बात है.

दूसरा बड़ा सवाल है कि अगर कुमार फिल्म बाहुबली की कहानी की तरह एक बड़ी साजिश रच रहे थे तो उन्हें ‘राजमहल’ से बेदखल क्यों नहीं किया गया? विश्वास को पार्टी से बाहर निकालकर दूसरे कथित बागियों को संदेश देने का काम क्यों नहीं किया गया?

भले ही गोपाल राय के आरोपों से आम आदमी पार्टी ने किनारा कर लिया लेकिन जो संदेश भिजवाना चाहते थे वो दे ही दिया. अगर कुमार विश्वास ने पार्टी के भीतर इतनी बड़ी बगावत की तैयारी कर ली थी तो फिर उन्हें राजस्थान का प्रभारी क्यों बना दिया गया. ये पोस्टिंग किस तरह की अनुशानसात्मक कार्रवाई थी? कुमार के राजस्थान जाने से दिल्ली की सल्तनत पर मंडराता कथित खतरा कैसे टल गया?

गोपाल राय दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुके हैं. साथ ही वो  विधायक और मंत्री भी रहे हैं. इसके बावजूद गोपाल राय के बयान से पार्टी इत्तेफाक नहीं रखती. लेकिन ये बयान सार्वजनिक मंच पर कुमार विश्वास पर सबसे बड़ा हमला है. पार्टी की अंदरूनी कलह को सामने लाते हुए गोपाल राय का खुलासा ये भी इशारा कर रहा है कि उनके भीतर भी कहीं मलाल पल रहा है.

शायद तभी कुमार विश्वास ने पलटवार करते हुए तंज किया कि गोपाल राय भी किम जोंग से परेशान हैं इसलिए ऐसी बातें कर रहे हैं. जाहिर तौर पर किम जोंग यानी तानाशाह के जरिए कुमार विश्वास के निशाने पर पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ही थे. कुमार विश्वास ने कहा भी था कि ‘सर जी ने उनसे कहा था कि उन्हें मारेंगे जरूर लेकिन शहीद नहीं होने देंगे’. कुमार विश्वास की वही स्थिति है. पार्टी से बाहर न कर अरविंद केजरीवाल ने उनकी शहादत को ठंडे बस्ते में भविष्य के लिए डाल दिया.

एमसीडी चुनाव में आप की बड़ी फजीहत हुई थी. चुनाव जीतने का सपना चकनाचूर हो गया. हार का ठीकरा कहीं फोड़ना था तो ऐसा लगता है कि कुमार विश्वास उसके लिए भी सबसे सही किरदार लगे. तभी कुमार पूछ रहे हैं कि ‘7 महीने बाद गोपाल राय की कुंभकर्णी नींद कैसे खुली’.

गोपाल राय के आरोपों पर कुमार विश्वास ने कहा कि 'इस माहिष्मति की शिवगामी देवी कोई और है. हर बार नए कटप्पा पैदा किए जाते हैं’. कभी किम जोंग तो कभी 'शिवगामी देवी' का नाम लेकर कुमार की निगाहें और निशाना अरविंद केजरीवाल पर ही ठहरते हैं.

भले ही पार्टी ने कुमार के पर कतर दिए लेकिन गोपाल के आरोपों ने कुमार का कद पहले से ऊंचा कर दिया. कुमार खुद को सांत्वना दे सकते हैं कि वो अब उस शख्सीयत के तौर पर उभरे हैं जिन्हें भले ही राज्यसभा का टिकट नहीं मिला लेकिन वो दिल्ली सरकार गिराने की ताकत रखते हैं. वो बाहुबली भले ही नहीं हों लेकिन आम आदमी पार्टी में खलबली जरूर मचाते रहेंगे. बहुत मुमकिन हो कि आने वाले कल में उन्हें राजस्थान से भी रुखसत  कर दिया जाए और फिर बताया जाए कि कुमार राजपूतों की नगरी में दिल्ली फतह करने के लिए मेवाड़ की सेना तैयार कर रहे थे. देखने वाली बात होगी कि तब कौन नया कटप्पा सामने आता है.