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गोवा से याद आता है राज्यपाल को देवीलाल का थप्पड़

गोवा में विधानसभा चुनाव के बाद जो कुछ हुआ, वह साल 1982 की एक घटना की यादें ताजा कर गया

Mridul Vaibhav

गोवा में विधानसभा चुनाव के बाद जो कुछ हुआ, वह एक पुराने राजनीतिक घटनाक्रम की यादें ताजा कर गया. बात है, साल 1982 की और मामला हरियाणा विधानसभा से जुड़ा है.

उस समय सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को बहुमत नहीं होते हुए भी राज्यपाल जीडी तपासे ने पार्टी नेता चौधरी भजनलाल को शपथ दिला दी थी. तब लोकदल के नेता चौधरी देवीलाल इतना नाराज हुए कि उन्होंने तपासे को चांटा जड़ दिया और प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया.


भारतीय राजनीति में आयाराम-गयाराम सिद्धांत के जनक और होर्सट्रेडिंग के मास्टर कहे जाने वाले भजनलाल ने देवीलाल से मात नहीं खाई.

उन्होंने सदन में अपना बहुमत हैरानीजनक ढंग से साबित कर दिखाया. उन्होंने देवीलाल के खेमे में जो तोड़फोड़ की अौर खरीद-फरोख्त का जैसा खेल खेला, वह भारतीय राजनीति में पतनशीलता का अविस्मरणीय नमूना माना जाता है.

हरियाणा की 90 सदस्यों वाली विधानसभा के चुनाव हुए थे और नतीजे आए तो त्रिशंकु विधानसभा अस्तित्व में आई. कांग्रेस-आई को 35 सीटें मिलीं और लोकदल को 31 सीटें. छह सीटें लोकदल की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को मिलीं.

राज्य में सरकार बनाने की दावेदारी दोनों ही दलों ने रख दी. कांग्रेस के भजनलाल तेजतर्रार नेता थे तो देवीलाल भी कम नहीं थे. देवीलाल अभी दावेदारी रखकर लौटे ही थे कि तपासे ने कांग्रेस के भजनलाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. उनके साथ कई मंत्रियों ने भी शपथ ले ली.

जब चौधरी देवीलाल को इस बात का पता चला तो वे विधायकों को लेकर राजभवन पहुंचे. उन्होंने राजभवन में अपने समर्थक विधायकों की परेड करवाकर एक तरह से अपने साथ बहुमत होने की बात को साबित कर दिखाया. लेकिन तपासे नहीं माने.

राज्यपाल के आचरण और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के चीरहरण को लेकर विधायक और देवीलाल गुस्से से भरे थे. देवीलाल के साथ भाजपा नेता डॉ. मंगलसेन भी थे. ये सब मांग कर रहे थे कि भजनलाल और उनके मंत्रिमंडल को तत्काल बर्खास्त करो और लोकदल की सरकार बनाओ.

देवीलाल और राज्यपाल तपासे के बीच बहुत तीखी बहस छिड़ी. विधायकों ने राजभवन में कहा, 'गोलियां चल जाएंगी. यह हरियाणा है. तुम जानते नहीं हो.' बहुत ही गरमागरम वाक्य हवा में उछाले गए.

आक्रामक देवीलाल के सामने तपासे सिर्फ मिमिया रहे थे. उन दिनों केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और भजनलाल हरियाणा के एक छात्र नेता. तपासे भजनलाल और केंद्र के बीच पिस रहे थे.

देवीलाल ने तपासे की ठुड्डी पकड़कर उन्हें खरी-खोटी सुनाई, 'तुम इंदिरा गांधी के चमचे हो. तुम्हें मालूम है, तुमने इस देश के लोकतंत्र का क्या कर दिया है.'

तपासे ने उनका हाथ झटका तो चौधरी देवीलाल ने तपासे को एक जोरदार चांटा रसीद कर दिया, जिसकी गूंज दिल्ली तक हुई और पूरे देश में जैसे भूचाल आ गया.

लेकिन देवीलाल भाजपा और जगजीवन राम कांग्रेस के विधायकों और कुछ निर्दलीयों को साथ लेकर अपना बहुमत दिखाते रहे. उधर भजनलाल ने शपथ लेकर अपना बहुमत साबित कर दिया. उस समय ही 'होर्सट्रेडिंग' जैसे शब्द उछले और राजनीति में स्थापित हो गए. भजनलाल इस राजनीतिक अपसंस्कृति के राष्ट्रीय प्रतीक बनकर उभरे.

भजन लाल: हरियाणा

यह भी एक रोचक किस्सा है कि किस तरह भजनलाल ने देवीलाल के खेमे में विधायकों की तोड़फोड़ की. ये विधायक पंजाब में उस समय अकाली दल की सरकार और मुख्यमंत्री प्रकाशसिंह बादल की सुरक्षा वाले मजबूत किलेबंद घेरे में थे.

यह ऐसा जमाना था जब न तो मोबाइल फोन थे और न सोशल मीडिया. लेकिन भजनलाल ने तमाम राजनीतिक चालाकियों के सहारे छल-कपट से देवीलाल को सियासी मात दे दी.

देवीलाल हारे नहीं. न ही वे झेंपे. उन्होंने हरियाणा में एक न्यायरथ निकाला और कांग्रेस के खिलाफ इतनी बड़ी लड़ाई खड़ी कर दी कि उसके सामने भजनलाल एकदम बौने साबित हुए.

उस समय के राजनीतिक तेवर की कहानी बहुत अलग और शायद आज के राजनेताअों के बस की बात भी नहीं.

अलबत्ता, इतना जरूर है कि अब हालात बदल गए हैं. उस समय जो कांग्रेस कर रही थी, वह अब भाजपा कर रही है. लेकिन उस समय जो लोकदल और भाजपा कर रहे थे, वह कांग्रेस के पस्त और निढाल नेताओं के बस की बात नहीं.

तपासे और देवीलाल के बीच यह टकराव हुआ, उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी और राजनीतिक मामलों को उनके बेटे राजीव गांधी देखा करते थे.