गोवा में गुरुवार शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम जाएगा. राज्य में विधानसभा की कुल 40 सीटों पर 4 फरवरी को एक ही चरण में चुनाव होना है.
गुरुवार शाम पांच बजे से राज्य में निषेधाज्ञा लागू हो जाएगी. जिसके बाद ऐसे सारे लोग जो राज्य के वोटर्स नहीं है, उन्हें विधानसभा क्षेत्रों में रहने का कानूनन अधिकार नहीं रह जाएगा.
4 फरवरी के चुनाव के लिए राज्य में बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. राज्य में क्षेत्रीय पार्टियों का भी दखल है लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच ही बताया जा रहा है.
आम आदमी पार्टी का दक्षिणी गोवा और उसके तटीय इलाकों में अच्छा प्रभाव है. जबकि उत्तरी गोवा में बीजेपी ने अपनी पैठ बना रखी है. आप पार्टी को लगता है कि कैथोलिक ईसाइयों के बीच उनकी अच्छी लोकप्रियता है जिसका उन्हें फायदा मिलेगा. जबकि बीजेपी को एंटी इनकम्बेंसी का नुकसान मिल सकता है.
गोवा में बीजेपी की मुश्किल बढ़ाने के लिए महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी, गोवा सुरक्षा मंच और शिवसेना का गठबंधन है. हालांकि बीजेपी भी कई छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के संपर्क में है.
चुनावों से ठीक पहले मनोहर पर्रिकर की गोवा में वापसी ने भी संकेत दिए हैं कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है. खासकर सीएम के पद को लेकर कुछ कलह है.
इस बार गोवा में कसीनो एक बड़ा चुनावी मुद्दा है. कांग्रेस और आप पार्टी ने कहा है कि वो जीते तो कसीनो को गोवा से बाहर कर देंगे.
नोटबंदी भी एक चुनावी मुद्दा है. नोटबंदी के बाद गोवा की रौनक जश्न वाली पार्टियों पर असर पड़ा है, जिसकी वजह से सीधे तौर पर पर्यटन प्रभावित हुआ है.
गोवा में 2012 में मनोहर पर्रिकर की अगुवाई में बीजेपी ने बहुमत की सरकार बनाई थी. लेकिन इस बार बीजेपी के लिए हालात आसान नहीं हैं.
गोवा की 40 विधानसभा सीटों में से 21 सीटें बीजेपी के पास, 9 सीटें कांग्रेस और बाकी 10 सीटें छोटी रिजनल पार्टियों के पास हैं.