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मॉनसून सत्र में सहमति की कोशिश लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के तेवर से तकरार की आशंका प्रबल

सरकार की कोशिश के अलावा लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू की तरफ से भी आम सहमति बनाने की कोशिश हो रही है. लेकिन, हंगामे की आशंका हमेशा की तरह बरकरार है.

Amitesh

मॉनसून सत्र से पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक के जरिए विपक्ष को मनाने की पूरी कोशिश की है. सरकार अपनी तरफ से यह संदेश दे रही है कि हम हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार हैं. सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा ‘सर्वदलीय बैठक सकारात्मक रही, सभी दलों ने अच्छे से सत्र चलाने में समर्थन की बात भी कही.’

सर्वदलीय बैठक में मौजूद प्रधानमंत्री ने भी सभी दलों से खासकर विपक्षी दलों से अपील की है कि ‘इस सत्र को अच्छे से चलाएं, देश की जनता को उम्मीद है कि सत्र चले, उपयोगी बने.’ उन्होंने बैठक के दौरान यह भी कहा कि ‘जो मुद्दे विपक्ष की तरफ से सर्वदलीय बैठक में उठाया जा रहा है उसे दोनों सदनों में उठाया जाए.’


सरकार के एजेंडे में कई बिल

दरअसल, सरकार संसद के मॉनसून सत्र में कई महत्वपूर्ण बिल पास कराना चाहती है. एजेंडे में सबसे ऊपर तीन तलाक बिल और पिछड़े वर्ग के लिए बने आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल शामिल है. इसके अलावा बलात्कार के दोषियों को सख्त सजा के प्रावधान वाला बिल भी सरकार के एजेंडे में ऊपर है.

हालांकि इसके अलावा भी सरकार कई दूसरे महत्वपूर्ण बिल पास कराने की कोशिश करेगी. लेकिन, मुख्य फोकस इन्हीं तीन बिल पर रहने वाला है. तीन तलाक बिल में संशोधन को लेकर कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने सरकार पर पहले से ही दबाव बनाया है. शीतकालीन सत्र में लोकसभा से पास होने के बावजूद यह बिल राज्यसभा से पास नहीं हो सका है.

विपक्ष इस बिल में संशोधन की मांग पर अड़ा हुआ है. विपक्ष की मांग है कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए. विपक्षी दलों को तीन तलाक के मुद्दे पिर सजा के प्रावधान पर आपत्ति है. लेकिन, सरकार की तरफ से तीन तलाक से जुड़े बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग को खारिज कर दिया गया था. बिल को मौजूदा स्वरूप में ही पास कराने पर सरकार अड़ी हुई है.

तीन तलाक बिल पर सियासत

मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से छुटकारा दिलाने के लिए इस बिल को पास कराने की कोशिश हो रही है. लेकिन, वोट बैंक की राजनीति यहां भी हावी है. जहां बीजेपी इसे मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने वाला बिल बता रही है, वहीं दूसरी तरफ, विपक्ष इस बिल का खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहा है. लेकिन, सजा के प्रावधान पर अपनी आपत्ति जता कर बिल को समर्थन देने को राजी नहीं हो रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तीन तलाक बिल पर कांग्रेस के रवैये को लेकर तंज कसा है. मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मुस्लिम प्रेम पर पर तंज सकते हुए कहा कि ‘उनकी पार्टी केवल मुस्लिम पुरुषों के लिए है या मुस्लिम महिलाओं के लिए भी है.’ मोदी की कोशिश कांग्रेस को तीन तलाक के बिल के मुद्दे पर घेरने की है. बीजेपी चाहती है कि कांग्रेस को इस बिल के विरोध में दिखाया जाए.

विपक्ष के सख्त तेवर

लेकिन, सर्वदलीय बैठक की बैठक के बाद भी जिस तरह के आसार नजर आ रहे हैं, उससे नहीं लगता है कि संसद में सरकार आसानी से विधायी काम करा लेने में सफल हो पाएगी. विपक्ष के तेवर से लग रहा है कि कई मुद्दों को लेकर वो सरकार को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा.

कांग्रेस ने पहले से ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का फैसला किया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल पास कराने के लिए सरकार को बिना शर्त समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है. अब कांग्रेस महिला आरक्षण बिल के सहारे सरकार के तीन तलाक बिल पास कराने की कोशिश  की हवा निकालने की तैयारी में है.

इसके अलावा बैंकिंग सेक्टर में फ्रॉड और किसानों की आत्महत्या, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे के सहारे विपक्ष सरकार पर हमलावर होने की तैयारी में है.

कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों की तरफ से भी सरकार को घेरने की तैयारी हो रही है. आप की तरफ से दिल्ली में सरकार के कामकाज को लेकर मुद्दा संसद में उठाया जा सकता है. इसका संकेत सर्वदलीय बैठक के दौरान भी दिख गया. आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सर्वदलीय बैठक में यह मुद्दा उठाया कि दिल्ली में सरकार को चलने नहीं दिया जा रहा है. संजय सिंह ने कहा सरकार को काम करने दिया जाए.

दूसरी तरफ, उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के मुद्दे को लेकर कई विपक्षी दल सरकार को घेरने में लगे हैं. उच्च शिक्षा में नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर एसपी नेता रामगोपाल यादव ने कहा है कि ‘जबतक इस पर चर्चा नहीं होती है, हम हाउस नहीं चलने देंगे.’ विपक्ष की तरफ से देश के कई हिस्सों में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाएं और उसको रोकने में सरकार की नाकामी को भी उठाने की तैयारी हो रही है.

राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव पर भी तकरार !

हालांकि मौजूदा सत्र में राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव का मुद्दा भी गरम रहने वाला है. इस मुद्दे पर एक बार फिर से दोनों ही पक्षों में टकराव दिख सकता है. हालाकि संसदीय कार्य मंत्री विजय गोयल का कहना है कि ‘सरकार चाहती है कि उपसभापति का चुनाव आम सहमति से हो.’ लेकिन, विपक्ष की इस मुद्दे पर एकता सरकार के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है.

सूत्रों के मुताबिक, इस पद पर टीएमसी या एनसीपी अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकती है. माना जा रहा है कि टीएमसी की तरफ से इस पद के लिए राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय का नाम सामने आ सकता है.

अगर टीएमसी अपना उम्मीदवार खड़ा करती है तो कांग्रेस उसके उम्मीदवार को समर्थन दे सकती है. लेकिन, कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इसके बदले में टीएमसी के साथ सौदा करने की तैयारी में है.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस चाहती है कि लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में टीएमसी उसके साथ गठबंधन करे और गठबंधन में उसके लिए बारह सीटें छोड़े. इसके बदले में कांग्रेस उसके उम्मीदवार को उपसभापति के चुनाव में समर्थन करेगी.

हालांकि सरकार की तरफ से बीजेडी औ एआईएडीएमके को साथ लाने की तैयारी हो रही है. अगर इनका समर्थन मिल जाता है तो सरकार की तरफ से उपसभापति के लिए शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल उम्मीदवार हो सकते हैं. हो सकता है कि संसद के मॉनसून सत्र में उपसभापति का चुनाव भी न हो, फिर भी दोनों पक्ष अपनी-अपनी तैयारी में लगे हैं.

सरकार और विपक्ष दोनों की नजर 2019 के लोकसभा चुनाव पर है. लिहाजा सत्र के दौरान उठाए गए हर कदम के केंद्र में अगला लोकसभा चुनाव ही है. ऐसे में कोई भी पक्ष अपने रवैये में नरमी शायद ही लाए.

हालांकि सरकार की कोशिश के अलावा लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू की तरफ से भी आम सहमति बनाने की कोशिश हो रही है. लेकिन, हंगामे की आशंका हमेशा की तरह बरकरार है.