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बजट पर है आर्थिक गतिविधियों को ऊर्जा देने की जिम्मेदारी

क्या 2017 का बजट ऐसा हो सकता है जो देश में इनोवेशन को प्राथमिकता दे

Pankaj R Patel

इस बार का आम बजट 2016 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुई उथल-पुथल के माहौल में पेश किया जाने वाला है.

घरेलू मोर्चे पर भी नोटबंदी के क्रांतिकारी फैसले की वजह से अर्थव्यवस्था फिलहाल डांवाडोल है. हालांकि इस कदम के दूरगामी फायदे होंगे. मगर फिलहाल तो नकदी संकट की वजह से कारोबार धीमा हुआ है. आर्थिक गतिविधियां कम हुई हैं. अब देश कैशलेस इकॉनमी की तरफ कदम बढ़ा रहा है, तो रास्ते में कुछ परेशानियां तो आएंगी ही.


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इस माहौल में 2017-18 के आम बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. ऐसा लगता है कि ये देश का आर्थिक माहौल बदलने की दिशा में बड़ा कदम होगा. नए साल पर सरकार बजट के जरिए कुछ ऐसे तोहफे देगी जिससे लोगों को आगे बढ़ने का हौसला मिलेगा.

अब सरकार कोशिश कर रही है कि देश से भ्रष्टाचार का खात्मा किया जाए, ताकि काले धन के जरिए देश में जो समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है उसे जड़ से उखाड़ फेंका जा सके. लोग टैक्स की चोरी न करें, काला धन की जमाखोरी न करें, इसके लिए सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए.

बजट में सरकार को टैक्स का दायरा बढ़ाने और टैक्स की दरें कम करने की तरफ कुछ कदम उठाने चाहिए. चाहे कॉरपोरेट हो या आम नागरिक दोनों को टैक्स भरने में कुछ रियायत मिलनी चाहिए. इसकी भरपाई सरकार उन लोगों को टैक्स के दायरे में लाकर कर सकती है, जिनकी आमदनी तो काफी ज्यादा है मगर वो टैक्स नहीं देते. टैक्स की दरें कम होंगी, तो लोग चोरी भी कम करेंगे. साथ ही हमें टैक्स से जुड़े आंकड़ों को भी आसान बनाने की कोशिश करनी चाहिए. इससे टैक्स की नीतियां तय करने और उन्हे लागू करने में सहूलियत होगी.

हमारे देश में कारोबार का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है. सरकार को चाहिए कि बजट में कुछ प्रोत्साहन देकर इन लोगों को भी संगठित कारोबार के सेक्टर में लाने की कोशिश होनी चाहिए. छोटे-छोटे कदम मसलन रजिस्ट्रेशन, नियम-कायदों के जंजाल से छूट, कम टैक्स और सब्सिडी के साथ-साथ कामगारों को सोशल सिक्योरिटी के फायदे देकर और स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग देकर हम असंगठित क्षेत्र को फॉर्मल सेक्टर का हिस्सा बना सकते हैं.

छोटे कारोबारियों को कर्ज मुहैया करने की प्रक्रिया आसान बनाने से लेकर सरकारी सुविधाओं में उन्हें तरजीह देकर ऐसे लोगों को व्यवस्थित तरीके से कारोबार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. साथ ही सरकार को नए छोटे और मझोले कारोबारियों से अपना लेन-देन भी बढ़ाना चाहिए.

बजट में जिस दूसरी बात पर जोर देना चाहिए वो है कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए कुछ कदम उठाना. हमारे देश में ज्यादातर लेन-देन नकद में होता है. ऐसे में कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए हमें देश भर में अभियान छेड़ना होगा. बैंकों को ग्राहकों को डिजिटल लेन-देन के फायदे समझाने होंगे. ठीक उसी तरह जैसे बैंकों ने जन-धन खातो से लोगों को जोड़ने में मदद की थी.

सरकार ने हाल ही में डिजिटल लेन-देन पर कुछ रियायतो का एलान किया था. हमें उम्मीद है कि बजट में इस सिलसिले को आगे बढ़ाया जाएगा. देश का डिजिटल ढांचा बेहतर बनाने और इसके विस्तार को एक मिशन के तौर पर लेना होगा. ताकि देश के दूर-दराज के इलाकों तक भी डिजिटल लेन-देन की सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें. इसके लिए नेशनल ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क का तेजी से विस्तार होना जरूरी है. डिजिटाइजेशन के लिए कनेक्टिविटी बेहद जरूरी है.

इस बार के बजट में पिछले कुछ सालों में शुरू किये गए टैक्स सुधारों के सिलसिले को भी जारी रखा जाना चाहिए. जबरन टैक्स वसूली का सिलसिला खत्म होना चाहिए. टैक्स देने वालों के हितों का खयाल रखने के लिए, उन्हें टैक्स वसूली करने वाले अधिकारियों के जुल्मों से बचाने के लिए बजट में कुछ कदमों का एलान होना चाहिए.

साथ ही टैक्स वसूली करने वाले अधिकारियों का परफॉर्मेंस सिर्फ इस आधार पर नहीं तय होना चाहिए कि उन्होंने टैक्स में कितने पैसे वसूले. बल्कि कितनी ईमानदारी से और काबिलियत से उन्होंने काम किया, इस आधार पर उनके काम की समीक्षा होनी चाहिए.

हमें उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स लागू हो जाएगा. उद्योग जगत, खास तौर से छोटे और मझोले कारोबारियों को खुद को इसके लिए तैयार कर लेना चाहिए. ताकि उन्हें नए टैक्स रिजीम में जाने में दिक्कत न हो. इसके लिए सरकार को वर्कशॉप आयोजित करके लोगों को आने वाले बदलाव के बारे में बताना चाहिए. साथ ही शिकायत सेल बनाकर लोगों की शिकायतों के फौरी निपटारे का इंतजाम भी किया जाना चाहिए. साथ ही जीएसटी को लागू करने की प्रक्रिया ऐसी हो जिससे कारोबार करना आसान हो. जीएसटी को जितनी जल्दी लागू किया जाए उतना ही बेहतर होगा.

एक और अहम कदम जो सरकार को उठाना चाहिए वो रियल एस्टेट के सौदों में स्टैंप ड्यूटी कम करना चाहिए.

साथ ही बजट में कुछ ऐसे कदम भी उठाए जाने चाहिए जिससे बिक्री बढ़े. लोग सामान खरीदें. सरकार को बैंकों के साथ मिलकर ब्याज दरें घटाने की कोशिश करनी चाहिए. जिससे सस्ते मकान से लेकर दूसरी चीजें खरीदने में आसानी हो. इसी के साथ इन्कम टैक्स में भी कुछ रियायतें देनी चाहिए और टैक्स स्लैब में फेरबदल किया जाना चाहिए.

अर्थव्यवस्था की विकास की दर बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देने का सिलसिला भी जारी रखा जाना चाहिए. सरकार नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने का एलान कर सकती है. जिसमें दूसरे देश भी निवेश कर सकें. इस फंड को प्रोफेशनल लोग चलाएं. इस फंड से बड़े प्रोजेक्ट को पूरे करने में सरकारी मदद देने की कोशिश होनी चाहिए. ताकि बुनियादी ढांचे के विकास के बड़े प्रोजेक्ट जैसे सड़क बनाने और मेगा पावर प्रोजेक्ट समय पर पूरे हो सकें.

बजट में कुछ ऐसे कदम भी उठाए जाने चाहिए, जिससे इनोवेशन को बढ़ावा मिले. जैसे सरकार ने ''मेक इन इंडिया'' की शुरुआत करके देश में निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की कोशिश की है. इसी तरह हमें इनोवेशन में भी अपना योगदान बढ़ाना चाहिए. इससे उद्योग जगत के विस्तार में मदद मिलेगी. प्रक्रिया आसान होगी. कारोबार के नए मॉडल विकसित होंगे. इन्हीं की बुनियाद पर हम विकास को रफ्तार दे सकेंगे.

क्या 2017 का बजट ऐसा हो सकता है जो देश में इनोवेशन प्राथमिकता दे? क्या हम इनोवेट इंडिया से ग्रो इंडिया का फॉर्मूला निकाल सकते हैं?

इन सवालों के जवाब वक्त देगा.

(लेखक फिक्की के प्रेसिडेंट हैं और जायडस कैडिला लिमिटेड के सीएमडी हैं)