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आज भी सरकार बनाने के लिए गठबंधन के खिलाफ हूं: प्रणब मुखर्जी

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि उनका विचार आज भी नहीं बदला है

Bhasha

ऐसे वक्त जब बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस एक गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने महज सरकार बनाने के लिए गठबंधन किए जाने के खिलाफ दलील दी और जोर देते हुए कहा कि ऐसी कोशिशे कांग्रेस पार्टी की पहचान को सिर्फ कम करेंगी.

अपनी नई बुक, 'द कोएलिशन इयर्स: 1996 टू 2012' में मुखर्जी ने कहा है कि उन्होंने 2004 के आम चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए 2003 में गठबंधन बनाने के कांग्रेस के फैसले का समर्थन नहीं किया था. उन्होंने कहा कि उनका विचार आज भी नहीं बदला है.


राष्ट्रपति बनने से पहले कांग्रेस में लंबी पारी निभाने वाले मुखर्जी ने 'एकला चलो की रणनीति' की हिमायत करते हुए कहा कि कांग्रेस एकमात्र इसी तरीके से अपनी पहचान बचा कर रख सकती है.

धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का गठबंधन बनाने के बारे में मुखर्जी ने क्या कहा?

बीजेपी को हराने के लिए धर्मनिरपेक्ष पार्टियों का गठबंधन बनाने के बारे में शिमला सम्मेलन में लिए गए कांग्रेस के फैसले का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि गठबंधन बनाने के लिए विकल्प खुले रखने का मुद्दा पंचमढ़ी सम्मेलन से निश्चित तौर पर अपना रुख बदलना था. दरअसल पंचमढ़ी सम्मेलन में हम इस बात पर सहमत हुए थे कि जहां बिल्कुल जरूरी होगा, गठबंधन पर विचार किया जाएगा.

प्रणब मुखर्जी ने पुस्तक में क्या लिखा?

पूर्व राष्ट्रपति ने पुस्तक में कहा है, 'शिमला में सभी प्रतिनिधियों की राय मांगी गई और सुनी गई. सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह सहित उनमें से ज्यादातर इस बात पर सहमत दिखे कि पंचमढ़ी रणनीति को बदलना होगा. मैं अकेला व्यक्ति था, जिसने अलग विचार रखा था क्योंकि मेरा मानना था कि अन्य पार्टियों के साथ मंच और सत्ता साझेदारी करना हमारी पहचान को कमतर कर देगा.'

अपने राजनीतिक संस्मरण की कड़ी में ये मुखर्जी की तीसरी पुस्तक है. इससे पहले उन्होंने 'द इंदिरा इयर्स' और 'द ट्रब्युलेंट इयर्स' लिखी थी. नई बुक का शुक्रवार को एक कार्यक्रम में विमोचन किया गया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल के अलावा कई नेता भी शरीक हुए थे.

मुखर्जी ने कहा कि पार्टी को एक सरकार गठित करने के लिए अपनी पहचान नहीं खोनी चाहिए. विपक्ष में बैठने में कोई नुकसान नहीं है. गौरतलब है कि कांग्रेस ने कई साल स्वतंत्र रूप से शासन करने के बाद 4 सितंबर से 6 सितंबर 1998 के बीच हुए पंचमढ़ी सम्मेलन में पहली बार गठबंधन की राजनीति की अहमियत को स्वीकार किया था.