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राज्यसभा में बीजेपी के नंबर वन पार्टी होने का मतलब क्या है?

नरेंद्र मोदी सरकार के मई 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी की कोशिश रही है कि राज्यसभा के भीतर अपनी ताकत को बढ़ाया जाए

Amitesh

बीजेपी अब राज्यसभा में कांग्रेस से सीटों के मामले में आगे निकल गई है. ऊपरी सदन में अब बीजेपी के 58 जबकि कांग्रेस के 57 सदस्य हो गए हैं. मध्यप्रदेश में हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार साम्पतिया उइके निर्वाचित हुईं. यह सीट केंद्रीय मंत्री अनिल दवे के निधन के कारण खाली हुई थी.

उच्च सदन में निर्वाचित बीजेपी सांसद साम्पतिया उइके के शपथ लेने के साथ ही बीजेपी ने संसदीय इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत कर दी है.


नरेंद्र मोदी सरकार के मई 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी की कोशिश रही है कि राज्यसभा के भीतर अपनी ताकत को बढ़ाया जाए.

पिछले 65 साल से कांग्रेस राज्यसभा में नंबर वन पार्टी बनी हुई थी. भले ही लोकसभा के भीतर बहुमत किसे भी मिले, सरकार किसी की भी रहे लेकिन, कांग्रेस अब तक उच्च सदन में अपना वर्चस्व कायम करने में सफल रही थी.

लेकिन, अब राज्यसभा में कांग्रेस का नंबर दो पार्टी की हैसियत में आना उसके घटते जनाधार को दिखाता है. क्योंकि कई राज्यों में लगातार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है. इस हार के चलते कांग्रेस के विधायकों की संख्या भी कम हो रही है जिसका सीधा असर राज्यसभा चुनावों में दिख रहा है.

लेकिन, कांग्रेस की परेशानी बस इतनी भर नहीं है. कांग्रेस को अगले एक हफ्ते में फिर से झटका लग सकता है. आठ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी कांग्रेस को मुश्किलें हो सकती हैं.

इस दिन बंगाल की छह और गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग है. फिलहाल कांग्रेस के पास बंगाल की दो और गुजरात की एक राज्यसभा सीट है. लेकिन, विधायकों की संख्या के हिसाब से बंगाल में कांग्रेस को इस बार एक ही राज्यसभा की सीट मिलने वाली है.

उधर, गुजरात में कांग्रेस के मौजूदा राज्यसभा सांसद अहमद पटेल को अपनी सीट बचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. ऐसे में कांग्रेस की सीट बढ़ने के बजाए घट ही सकती है.

दूसरी तरफ, बीजेपी अपनी मौजूदा सीट को बरकरार रखने में सफल रहेगी. गुजरात से उसके दो राज्यसभा सांसद फिर से चुनकर आ जाएंगे. इस बार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह बीजेपी की तरफ से राज्यसभा उम्मीदवार हैं.

लेकिन, बीजेपी बेसब्री से अगले साल अप्रैल में होनेवाले राज्यसभा चुनाव का इंतजार कर रही है. अगले साल यूपी के लिए राज्यसभा की 9 सीटों पर चुनाव होना है.

विधानसभा की लगभग तीन चौथाई सीटें जीतकर सत्ता में आई बीजेपी इन 9 में से 8 सीटों पर जीत दर्ज करेगी. यानी अगले साल होनेवाले राज्यसभा चुनाव के बाद बीजेपी की सीटों में भारी इजाफा होगा.

राज्यसभा में एनडीए की की ताकत बढ़ी है

राज्यसभा में एनडीए की ताकत में भी इजाफा हुआ है. जेडीयू के बीजेपी के साथ आने के बाद से ही राज्यसभा में बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई है. इस वक्त राज्यसभा में जेडीयू के 10 सांसद हैं.

हालांकि शरद यादव और अली अनवर जैसे सांसद बीजेपी के साथ जाने के अपनी पार्टी के फैसले से खुश नहीं दिख रहे हैं. लेकिन, पार्टी व्हिप लागू होने पर उन्हें पार्टी के फैसले के साथ रहना होगा.

बीजेपी की कोशिश एआईएडीएमके को एनडीए में शामिल करने की है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक मॉनसून सत्र के बाद होने वाले कैबिनेट विस्तार में एआईएडीएमके को जगह भी मिल सकती है. इसके लिए पार्टी के दोनों धड़ों को मना भी लिया गया है.

फिलहाल एआईएडीएमके के राज्यसभा में 13 सांसद हैं. अगर ये पार्टी एनडीए के साथ आ जाती है तो फिर एनडीए बहुमत के करीब पहुंच सकता है.

मोदी सरकार बनने के बाद से ही कई महत्वपूर्ण बिल पर चर्चा और वोटिंग के दौरान राज्यसभा के भीतर सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार विपक्ष अपना संशोधन पास कराने में सफल हो जाता है तो कई बार सरकार को एआईएडीएमके और बीजेडी जैसे दूसरे गैर-कांग्रेसी दलों के सहयोग से राहत मिल जाती है.

मौजूदा सत्र में भी पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के वक्त विपक्ष अपना संशोधन पास कराने में सफल हो गया था. हालांकि उस वक्त एनडीए के 30 सांसदों की गैर-मौजूदगी को सबसे बड़ा कारण माना गया.

लेकिन, अब शायद इस तरह की शर्मिंदगी की नौबत ना आए. क्योंकि बीजेपी अब नंबर वन हो गई है. अब उसकी कोशिश एनडीए को बहुमत के पार पहुंचाने की है.