इस साल की शुरूआत में उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के किसानों को एक सपना दिखाया था. और वह सपना था किसानों की ऋण माफी का. कर्जमाफी के उस सपने को आंखों में लिए लाखों किसान प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की उस योजना का दम साधे इंतजार कर रहे हैं जिसे सरकार ने उत्तर प्रदेश ‘फसल ऋण मोचन योजना’ का नाम दिया है. प्रदेश में चुनाव जीतने के बाद योगी सरकार की जिस योजना पर सबसे ज्यादा निगाहें टिकी हैं वह किसानों के कर्ज माफी की योजना ही है.
लेकिन योगी सरकार ने अपने इस सबसे बड़े चुनावी वादे को जब अमली जामा पहनाना शुरू किया तो यह ऋण मोचन की बजाय एक भद्दा मजाक ही नजर आ रही हैं. यूपी के कुछ जिलों में सरकार ने इस योजना के पहले चरण में कर्जमाफी के सर्टिफिकेट्स बांटने शुरू कर दिए हैं लेकिन इसके बाद जो तस्वीर उभर कर सामने आई हैं चौंकाने वाली है.
प्रदेश के हमीरपुर जिले में सरकार के राज्य मंत्री मनोहर लाल पूरे लाव-लश्कर के साथ किसानों को ऋण माफी का सर्टिफिकेट बांटने पहुंचे लेकिन जब किसानों की नजर उन सर्फिकेट्स में लिखी हुई रकम पर पड़ी तो वह सरकार के इस मजाक चौंक गए. कई किसानों का जो ऋण माफ किया गया वह इतना कम है कि उसका होने ना होने का कोई मतलब नजर नहीं आ रहा है.
हमीरपुर जिले के उमरी गांव की शांति देवी का महज 10 रुपए 37 पैसे का कर्ज माफ किया गया. जबकि उनपर 1.55 लाख रुपए का कर्ज था. समाचार पत्र हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक मौदहा गांव के मुन्नी लाल पर 40,000 रुपए का कर्ज थ लेकिन उनका बस 215 रुपए का कर्ज ही माफ हो सकता है. इस मौके पर जब सर्टिफेकेट बांट रहे मंत्री से इसकी चर्चा की गई तो उन्होंने इस प्रिंटिंग मिस्टेक बता दिया. मंत्री जी तो यह कह कर चले गए लेकिन प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी इसी तरह से मजाक की खबरें आ रही हैं. बिजनौर जिले कुछ किसानों के तो महज नौ पैसे, 84 पैसे और दो रुपए- तीन रुपए की कर्ज माफी की खबरें हैं. किसानों के साथ हो रहा इस तरह का मजाक सरकार की उनके प्रति संवेदनहीनता को ही बयान कर रहा वह भी उस योजना के लिए जिसका वादा खुद प्रधानमंत्री मोदी ने किया था.
क्या है कर्ज माफी योजना?
यूपी के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानामंत्री मोदी ने भाजपा की सरकार बनने पर पहली कैबिनेट मीटिंग में ही किसानों के कर्ज की माफी का वादा किया था. भाजपा को जबरदस्त बहुमत मिला और योगी आदित्यनाथ की सरकार भीबन गई. शायद यह पहली कैबिनेट मीटिंग में कर्जमाफी के वादे को पूरा करने की तैयारियों का ही दबाव था कि सरकार बनने के आधे महीने बाद तक पहली कैबिनेट मीटिंग ही नहीं हो सकी. बहरहाल जब मीटिंग हुई तो तय हुआ कि लघु और सीमांत किसानों का एक लाख रुपए तक का कर्ज ही माफ किया जाएगा. इसके लिए सरकार ने करीब 36000 करोड़ रुपए के बजट का भी प्रावधान किया है.
कौन से किसान हैं दावेदार
इसके बाद कर्ज माफी के नियमों को बनाने का काम शुरू किया गया. एक हेक्टेयर तक की भूमि के मालिको को सीमांत किसान और दो हेक्टेयर की भूमि के मालिक किसानों को लघु किसान मानकर उनके लिए ऋण माफी की योजना तैयार हुई. सरकार के मुताबिक इस प्रदेश में करीब 86 लाख किसान इस योजना के दायरे में आ रहे हैं. इसके अलावा जो सबसे अहम शर्त इस योजना में रखी गई है उसक मुताबिक मार्च 2016 से पहले के कर्ज ही माफ किए जाएंगे. यानी प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के करीब साल पहले के कर्जदार ही इस योजना के लाभार्थी बन सकेंगे.
योगी सरकार की कर्ज माफी की इस योजना का लाभ उठाने के लिए उसके योग्य किसानों को कम पापड़ नहीं बेलने पड़ रहे हैं. पहले तो किसानों को अपने बैंक अकाउंट को आधार से लिंक कराना अनिवार्य है. उसके बाद गांव-गांव के स्तर पर किसानों के अपनी भूमि की जानकारी देने के लिए हलफनामा देकर यह साबित करना है कि वे इस योजना के वास्तविक हकदार है. साथ ही लेखपाल के स्तर के अधिकारी का सर्टिफेकेट भी किसान को हासिल करना होगा.
इतनी मशक्कत बाद भी किसानों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि आखिरकार उनका कितना कर्ज माफ हो रहा है. बैंक और सरकारी अधिकारियों के स्तर पर कोई स्पष्ट जानकारी मुहैया नहीं कराई जा रही है. योगी सरकार के आने के बाद किसानों के शादी –विवाह जैसे बहुत सारे काम अब कर्ज माफी की आस पर ही टिके हैं. ऐसे में इतनी सारी ऊहापोह के बीच जब किसानों को दो पैसे और चार पैसे की कर्जमाफी के सर्टिफिकेट्स हाथ में मिलते हैं तो इसे सरकार का भद्दा मजाक ही समझा जाएगा.