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एक्सक्लूसिव: टूट सकता है महागठबंधन, तेजस्वी होंगे विपक्ष के नेता!

तेजस्वी, अपने परिवार और खासकर पिता लालू प्रसाद की कराई जा रही या हो रही फजीहत से, काफी आहत हैं

Kanhaiya Bhelari

खबर पक्की है. इफ सिचुएशन एराइजेज, तेजस्वी प्रसाद यादव ने मानसिक रूप से विधानसभा में विपक्ष का नेता बनने के लिए अपने आप को तैयार कर लिया है. ‘झुकना नहीं, लड़ना है' की मोड में आ गए हैं.

10, सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास से छनकर आ रही खबरों पर भरोसा करें तो तेजस्वी, अपने परिवार और खासकर पिता लालू प्रसाद की कराई जा रही या हो रही फजीहत से, काफी आहत हैं. उनकी मंशा है इसपर अंकुश लगे.


इस कलंक को खत्म करने की दरकार से बिहार के उप मुख्यमंत्री ने यह ‘क्रांतिकारी’ कदम उठाने का मन बनाया है. मीडिया द्वारा लगातार ये प्रचारित किया जा रहा है कि लालू प्रसाद सत्ता सुख और पुत्रों के राजनीतिक भविष्य के खातिर  धृतराष्ट्र बन गए हैं इसीलिए वो सीएम नीतीश कुमार द्वारा ली जा रही कई ‘उटपटांग’ निर्णय का जोरदार तरीके से विरोध नहीं कर पाते हैं. इस धारणा को मिथ्या साबित करने का संकल्प तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने हाथों में ले लिया है.

आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं तेजस्वी

डर व दबाव में राजनीति नहीं करूंगा, इसकी एक झलक 28 वर्षीय तेजस्वी प्रसाद यादव ने 23 जून को ही नीतीश कुमार के बयान के काट में करारा जवाब देकर दिखा दिया था. दावत-ए-इफ्तार में शामिल होकर लालू प्रसाद के घर से निकलने के बाद नीतीश कुमार ने बयान दिया कि ‘विपक्ष ने हारने के लिए मीरा कुमार को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है’.

नीतीश के बयान पर तेजस्वी प्रसाद यादव ने कुछ इस प्रकार पलटवार किया ‘मैदान में उतरने के पहले हार-जीत का फैसला कैसे हो सकता है और हार-जीत से ज्यादा बड़ी विचारधारा है.'

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पहली बार उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने संवैधानिक बॉस और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की सियासी टिप्पणी पर पलटवार किया है. और, सूत्रों के मुताबिक, यह कड़क बयान काफी सोच समझ और सलाह मशविरा के बाद दिया गया है.

लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के आगमन पर पूर्व की भांति न ही गर्मजाशी दिखाई और न ही अगवानी की. काठ की तरह अंत तक शांत बैठे रहे. राजद चीफ इफ्तार के समय नीतीश कुमार को बेमतलब का ज्यादा भाव नहीं देगें, ये भी रणनीति का ही अंग था.

टूट के लिए तैयार है लालू का कुनबा  

लालू प्रसाद के मुठ्ठी भर क्लोज सिपहसलारों में एक ने विस्तार से फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘उपमुख्यमंत्री ने बयान के माध्यम से क्लियर मैसेज दे दिया गया है कि अब किसी के बनरघुड़की से अपन के लोग डरने वाले नहीं हैं. याचना नहीं अब रण होगा. जिसके लिए तन, मन और धन से लालू प्रसाद के चतुरंगी के सेना तैयार हैं.'

वो आगे कहते हैं, ‘सहने की भी कोई सीमा होती है. ये आदमी अपने अनुभवहीन लटकन से रोज हमारे नेता लालू प्रसाद को गाली दिलवाता है और नीचा दिखाने का काम करवाता है. सहयोगी के नाते इसका धर्म है कि संकट के समय सहायता करे पर करवता उल्टा है. बताइए, नाश्ता करेगा साथ-साथ, खाना भी खाएगा एक ही साथ और खेले-कूदेगा भी एक ही मैदान में, पर सोएगा दूसरे के साथ. ऐसे परिवार रूपी गठबंधन चलता है क्या?’

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के मान्य उत्तराधिकारी तेजस्वी प्रसाद यादव को अब यह बात समझ में आ गई है कि संघर्ष से ही चमक आती है. उपमुख्यमंत्री के जेहन में इस समझ को लाने में लालू प्रसाद यादव के हनुमानों की अहम भूमिका है.

उदाहरण सहित तेजस्वी को एहसास कराया गया कि कैसे सुनियोजित तरीके से यादव परिवार को भ्रष्ट साबित करने का प्रयास किया गया. कैसे बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी को सटा-पटाकर लालू प्रसाद के खिलाफ बोलने को तैयार किया गया.

‘महागठबंधन बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य बीजेपी को बिहार से हमेशा के लिए भगाना था. ये आदमी सरकार बनते ही भगवा पार्टी के गोद में बैठकर हमलोगों का कब्र खोदने लगा.’ ऐसा आरोप है एक लालू भक्त पूर्व सांसद का.

जेडीयू की बैठक से तय होगा महागठबंधन का भविष्य 

बहरहाल, नीतीश कुमार के बयान पर तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा किए गए पलटवार को जेडीयू ने काफी गंभीरता से लिया है. पार्टी के बिहार हेड और राज्यसभा सदस्य वशिष्ठ नारायण सिंह ने मीडिया से बातचीत में कबूल किया है कि ‘तेजस्वी का बयान परेशान करने वाला है.'

सिंह ने नाराजगी भरे स्वर में कहा कि जेडीयू को कोई डिक्टेट नहीं कर सकता है. सरकार में बैठे लोगों से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती है. दूसरों को नसीहत देने से बेहतर होगा कि राजद महागठबंधन धर्म निभाए. इसी बीच जेडीयू पार्टी नेतृत्व ने 2 जुलाई को राज्य कार्यकारिणी और 24 जुलाई को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इमरजेंसी बैठक बुलाई है जिसमें कई सारी मुद्दों के साथ-साथ ऑनगोईंग पॉलिटिकल क्राइसिस पर विस्तार से चर्चा होगी.

अफवाह परवान पर है कि तीन दलों की महागठबंधन सरकार अपनी 5 साल की मियाद को पूरा नहीं करेगी. राजद और जेडीयू के नेताओं द्वारा थोक के भाव में एक दूसरे के खिलाफ प्रतिदिन दिए जा रहे अशोभनीय बयान इस अफवाह को और पुख्ता कर रहे हैं महागठबंधन में टूट होना तय है.

इसी बीच, राजद नेतृत्व ये मान कर चल रहा है तलाक की स्थिति में उसे अपने 80 और कांग्रेस के 27 विधायकों के साथ विपक्ष में बैठना पड़ेगा जिसका नेतृत्व तेजस्वी प्रसाद यादव करेंगे.