view all

ईवीएम विवाद: क्या है वीवीपीएटी, जिसकी बात कर रहे हैं केजरीवाल

चुनाव के नतीजे सामने आते ही लगातार ईवीएम पर सवाल उठ रहे हैं

FP Staff

ईवीएम मशीन पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी की जीत के बाद मायावती ने ईवीएम पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा ईवीएम में गड़बड़ी की वजह से बीजेपी जीती है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी ईवीएम की स्पष्टता को लेकर संदेह जता रहे हैं. उनका कहना है कि पंजाब चुनाव में भी ईवीएम में गड़बड़ी की गई है. कांग्रेस पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने भी इसका समर्थन किया है.


अब ईवीएम पर उठ रहे सवालों का जवाब केवल चुनाव आयोग ही दे सकता है.

यह जवाब भी सैंपलिंग के तौर पर चुनाव आयोग जो वीवीपीएटी मशीन ईवीएम के साथ लगाता है, उसमें प्राप्त मतों को गिनती से दिया जा सकता है.

वीवीपीएटी मशीन क्या है?

वोटर वेरिफायड पेपर ऑडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) मतपत्र रहित मतदान प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को फीडबैक देने का एक तरीका है. इसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की स्पष्टता के लिए किया जाता है. इससे मतदाता को यह पता चल सकता है कि वोट उसकी इच्छा से पड़ा है या नहीं. इससे वोट में हेरफेर की कोई गुंजाइश नहीं रहती.

यह क्या करती है?

वीवीपीएटी के साथ प्रिंटर की तरह का एक उपकरण इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ा होता है. जब वोट डाला जाता है तब इसकी एक रसीद निकलती है. उस पर क्रम संख्या, नाम तथा उम्मीदवार का चुनाव चिह्न दिखता है. इसमें मतदाता के उम्मीदवारों के नाम का बटन दबाते ही, उस उम्मीदवार के नाम और पार्टी के चिह्न की पर्ची अगले 10 सेंकेड में मशीन से बाहर निकल जाती है. इसके बाद यह एक सुरक्षित बक्से में गिर जाती है. यह उपकरण वोट डाले जाने की पुष्टि करता है और इससे मतदाता ब्योरों की पुष्टि कर सकता है. रसीद एक बार दिखने के बाद ईवीएम से जुड़े कंटेनर में चली जाती है.

केजरीवाल का कहना है कि इन रसीदों का मिलान ईवीएम के नतीजों से किया जाए. अगर मिलान में आंकड़े सही पाए जाते हैं तो इससे चुनाव आयोग विश्वसनीयता पर उठ रहे सवाल खत्म होंगे.