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नोटबंदी: बदलते नियम, सरकार से टूटता भरोसा

बहुत से लोग जो मोदी सरकार और प्रधानमंत्री पर भरोसा करते थे, वे भी अब नाराज हैं.

Sanjay Singh

वित्त मंत्री अरुण जेटली मोदी सरकार में प्रधानमंत्री के बाद दूसरे नंबर पर माने जाते हैं. पर बदकिस्मती यह है कि फिर भी मीडिया में उनके कहे हुए पर कोई विश्वास नहीं कर पा रहा है.

इतना तो सभी जानते हैं कि सरकार और सरकारी संस्थाओं में काम फाइल में दर्ज लिखित आदेशों से होता है.


इस बात से साफ होता है कि पुराने नोटों की 5000 रुपए से ज्यादा राशि बैंक में जमा न होने के आदेश पर जो सफाई अरुण जेटली मीडिया के सामने दे रहे थे वह महज दिखावा ही है.

उस बात को कह देने भर से लाखों ग्राहकों और बैंक कर्मियों की परेशानी हल नहीं होने वाली है. पब्लिक हो या प्राइवेट सभी बैंक रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के लिखित आदेश पर काम करते हैं.

लगातार नए आदेश आना, नियम बदलना, नए नियम का पिछले नियम को खारिज कर देना. भले ही ये फैसले कोई भी ले रहा हो प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री या वित्त सचिव, इस तरह रोज नियम बदलकर सरकार और रिजर्व बैंक सिर्फ आम जनता की मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस  के अनुसार 5000 रुपए तक की पुरानी करेंसी जमा करवाने का नियम, 8 नवंबर को हुई नोटबंदी की घोषणा के बाद से आया 59वां नियम है.

इस नियम से मोदी सरकार के प्रति भरोसा तो कम हुआ ही है साथ ही जिन लोगों ने अब तक पुरानी करेंसी जमा नहीं करवाई है, उनमें डर भी फैला है. बहुत से लोग बैंकों के सामने लगी कतारें छोटी होने के इंतजार में थे. कुछ इसलिए बेफिक्र थे कि 30 दिसंबर तक का समय तो है ही.

भाजपा और मोदी सरकार से कईयों का विश्वास उठा है. और यकीन मानिए ये सिर्फ मोदी के विरोधियों या उनके आलोचकों तक सीमित नहीं है. बहुत से लोग जो मोदी सरकार और प्रधानमंत्री पर भरोसा करते थे, वे भी अब नाराज हैं.

भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के डायरेक्टर जनरल और वरिष्ठ पत्रकार केजी सुरेश ने मंगलवार को एक फेसबुक पोस्ट लिखी, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली के बयान के बावजूद बैंकों द्वारा पहली बार खाते में पुरानी करेंसी डिपाजिट करने आए लोगों को परेशान किया जा रहा है. इनमें कई गृहिणियां भी शामिल हैं जो 30 दिसंबर तक बैंक की कतारों के कम होने का इंतजार कर रही थीं. नोटबंदी सरकार द्वारा लिया गया एक उम्मीद भरा फैसला था, पर बैंक इन उम्मीदों पर खरे उतरने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं.’

उनकी इस बात के कई अर्थ निकाले जा सकते हैं. उनकी बात भले ही छोटी है पर इस बात में वजन है.

सरकार के इस फैसले को लेकर आम जनता में जो प्रतिक्रिया उन्हें दिखी उन्होंने इस पोस्ट के जरिये उसे सामने रखा है.

मैं खुद कई गृहिणियों से मिला हूं जो इन संस्थानों द्वारा रोज बदले जा रहे नियमों से परेशान हैं.

नियमों के साथ ऊपर बैठे लोगों के बयान भी रोजाना बदल रहे हैं. प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और वित्त सचिव के विरोधाभासी बयानों पर फ़र्स्टपोस्ट में पहले ही कई लेख लिखे जा चुके हैं.

मंगलवार शाम को वित्त मंत्री जेटली द्वारा दिए बयान को ध्यान से पढ़िए. उन्होंने कहा, ‘अगर वे (लोग) बैंक जाकर पुरानी करेंसी में कितनी भी राशि एक बार में जमा करवाते हैं, तो कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा. यानी ये 5000 रुपए की शर्त उनपर लागू नहीं होती जो एक बार में सारे पैसे डिपाजिट कर रहे हैं.’

वहीं उस आदेश को पढ़िए जो रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को जारी किया था, '30 दिसंबर तक किसी भी एक बैंक खाते में 5000 रुपए से अधिक के पुराने नोट जमा नहीं किए जा सकेंगे. अगर कोई इससे अधिक राशि जमा करना चाहता है तो कम से कम दो बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में उसे बताना होगा कि अब तक उन्होंने यह नोट जमा क्यों नहीं किए थे. जवाब से संतुष्ट होने पर ही यह राशि खाते में जमा की जाएगी. जो कारण वे बताएं उसका रिकॉर्ड मेन्टेन करना होगा जिससे ऑडिट होने पर इसे दिखाया जा सके. साथ ही कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) में उन खातों को चिह्नित कर दिया जाए जिनमें ऐसे डिपाजिट किए जा चुके हैं.'

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आदेश भी लगभग रिजर्व बैंक के आदेश के साथ ही आया, उसमें लिखा है, ‘सभी बैंक पुराने नोट जमा करते हुए अब तक उन्हें जमा न करवाये जाने के कारण को जानने के प्रति सतर्क रहें. 5000 या उससे कम राशि यथावत ग्राहकों के खाते में जमा की जा सकती है. पर 19 दिसंबर से 30 दिसंबर 2016 तक 5000 रुपए से अधिक राशि जमा करवाने पर रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई प्रक्रिया का पालन करना होगा. हालांकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना 2016 के तहत जनता 500 व 1000 रुपए के पुराने नोट 30 दिसंबर तक टैक्स, पेनाल्टी, सेस/सरचार्ज के रूप में जमा करवा सकती है.’

इस आदेश को सही बताते हुए वित्त मंत्रालय का कहना था, ‘इन नोटों के बंद होने की घोषणा हुए पांच हफ्तों से ज्यादा हो चुके हैं. ऐसी उम्मीद है कि अब तक अधिकतर लोग पुराने नोटों को जमा करवा चुके होंगे. इस बात को ध्यान में रखते हुए और बैंकों में लगी लंबी लाइनों को कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि 5000 रुपए से ज्यादा के पुराने नोट 30 दिसंबर 2016 तक एक ही बार खाते में जमा करवाए जा सकेंगे.’

वित्त मंत्री के इस नियम की सफाई में दिए गए बयान से लगता है कि शायद वे खुद ही नहीं जानते थे कि उनका मंत्रालय क्या आदेश जारी कर चुका है या फिर वे इस नियम पर लोगों की नेगेटिव प्रतिक्रिया जानकर सरकार के लिए डैमेज कंट्रोल कर रहे थे.

इस फैसले पर जनता की नाराजगी का कारण वो विज्ञापन भी है जो 11 नवंंबर को वित्त मंत्रालय ने जारी किया था. जिसमें जेटली ने लोगों को सलाह दी थी कि भीड़ और लंबी लाइनों से बचने के लिए बाद की तारीखों में बैंक में पैसे जमा करवाने जाएं.

पब्लिक सेक्टर बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फर्स्टपोस्ट  से बातचीत में कहा कि बैंक वित्त मंत्री के टीवी पर दिए गए बयानों के अनुसार नहीं काम कर सकते हैं. वे रिजर्व बैंक द्वारा जारी आदेशों पर काम करते हैं.

अगर वित्त मंत्री टीवी पर दिए गए बयान को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें 19 नवंबर की तारीख में मंत्रालय और आरबीआई द्वारा जारी सर्कुलर में बदलाव करने के लिए कहना चाहिए.

वरना वित्त मंत्री द्वारा दी गई इस सफाई का वही हश्र होगा जो सरकार द्वारा 30 दिसंबर तक घर में शादी होने पर 2.5 लाख रुपए निकालने की छूट वाले नियम का हुआ था.

रिजर्व बैंक द्वारा उस मामले में जारी सर्कुलर में पैसे निकालने की ऐसी शर्तें थीं कि ग्राहकों के लिए पैसा निकालना पहाड़ तोड़ने जैसा मुश्किल हो गया था. बहुत कम ही उन शर्तों का पालन करते हुए 2.5 लाख रुपए निकाल पाए.

रिजर्व बैंक द्वारा घर में विवाह होने पर बैंक से 2.5 लाख रुपए की छूट दी गयी थी पर उसके साथ ये शर्ते रखी गईं:

1. उन्हीं खातों से पैसे निकाले जा सकेंगे जिनकी केवाईसी जानकारी पूरी होगी.

2. या तो वह व्यक्ति निकासी कर सकता है जिसका विवाह है या उसके माता-पिता (दोनों में से कोई एक)

3. चूंकि यह राशि कैश भुगतान के लिए दी जा रही है तो यह प्रमाणित करना होगा कि जिन व्यक्तियों को ये पैसा दिया जा रहा है, उनका बैंक खाता नहीं है.

4. निकासी के लिए दी गयी एप्लीकेशन के साथ निम्न डॉक्यूमेंट होने जरूरी हैं, विवाह का प्रमाण, विवाह का कार्ड, अगर मैरिज हॉल, कैटरर आदि को बुकिंग के लिए एडवांस पेमेंट दिया गया है तो उसकी रसीद की कॉपी. साथ ही जिन लोगों को इस प्राप्त कैश से भुगतान किया जाएगा, उनके नाम की लिस्ट, जिसमें उन व्यक्तियों द्वारा प्रमाणित भी किया गया हो कि उनके बैंक खाते नहीं हैं. इस लिस्ट में उन्हें पेमेंट करने का उद्देश्य भी लिखा होना चाहिए.

बैंकों से यह भी कहा गया कि वे इन सभी प्रमाणों का रिकॉर्ड सही से रखें जिससे जरूरत पड़ने पर इसकी जांच की जा सके.

उधर चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव जीतने के बाद बीजेपी सातवें आसमान पर है. अमित शाह ने इसे नोटबंदी के फैसले को मिले समर्थन के रूप में देखा है.

उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी के फैसले के बाद 5 राज्यों में नगर निगम चुनाव हुए हैं, 8 नवंंबर के बाद हुए चुनाव में जहां बीजेपी जीती है वहां लोगों ने बीजेपी और नोटबंदी के निर्णय दोनों को स्वीकार किया है.’

वही प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट किया, ‘बीजेपी और अकाली दल के साथ खड़े होने के लिए चंडीगढ़ के लोगों का शुक्रिया. ये लोगों के ‘गुड गवर्नेंस’ में विश्वास को दिखाता है.’

बीजेपी फिलहाल तो खुश हो सकती है पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए उन्हें होशियार रहना होगा.