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यूपी चुनाव: सपा की साइकिल पर आयोग का फैसला सुरक्षित

चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचकर अखिलेश और मुलायम खेमे ने साइकिल सिंबल को लेकर अपना-अपना पक्ष रखा

FP Staff

उत्तर प्रदेश के चुनाव में 'साइकिल' की सवारी कौन करेगा. इसका फैसला अब तक नहीं हो सका है. चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के साइकिल सिंबल पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

शुक्रवार को मुलायम गुट और अखिलेश गुट ने चुनाव आयोग के सामने लगभग साढ़े चार घंटे चली सुनवाई में अपना-अपना पक्ष रखा. अखिलेश यादव की ओर से कपिल सिब्बल ने विधायकों और सांसदों के समर्थन का दावा किया. सुनवाई के बाद आयोग ने कहा कि 'वो चुनाव चिन्ह पर जल्द अपना फैसला सुनाएगा'.


मुलायम ने चुनाव आयोग पहुंचकर खुद 'साइकिल' पर दावेदारी को लेकर अपना पक्ष रखा. मुलायम के साथ अंबिका चौधरी और शिवपाल यादव भी चुनाव आयोग के दफ्तर में मौजूद थे.

समाजवादी पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में चुनाव आयोग पहुंचे मुलायम सिंह के तेवर कड़े दिखे. हालांकि, उन्होंने साफ किया कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है और अगर कोई मतभेद है तो उसे जल्द ही वो दूर कर लेंगे.

मुलायम ने कहा कि चुनाव सिंबल को लेकर भी पार्टी में दो राय नहीं है. दो जनवरी को लखनऊ के जनेश्वर मिश्रा मैदान में बुलाए गए अधिवेशन को मुलायम ने असंवैधानिक बताया. उन्होंने अधिवेशन में लिए गए फैसले को भी असंवैधानिक करार दिया.

अखिलेश गुट से रामगोपाल यादव, किरणमय नंदा, अक्षय यादव ने भी चुनाव आयोग पहुंचकर अपना पक्ष रखा.

चुनाव आयोग से साइकिल सिंबल अगर फ्रीज होता है. तो ऐसे में माना जा रहा है कि मुलायम गुट लोकदल के चुनाव चिह्न पर चुनाव में जा सकता है. जबकि अखिलेश गुट का चुनाव चिह्न क्या होगा, इसपर सस्पेंस बना हुआ है.

चुनाव आयोग की कोशिश हर हाल में 17 जनवरी तक सिंबल विवाद को सुलझा लेने की है. ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी में विधानसभा के पहले चरण का चुनाव 11 फरवरी को है. इसके लिए 17 जनवरी से नामांकन भरने की शुरुआत होगी.