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चुनाव आयोग ने दी भड़काऊ बयानों से बचने की सलाह

चुनाव आयोग ने भड़काऊ बयानों पर चिंता जाहिर की है

FP Staff

यूपी विधानसभा चुनाव के पांचवे चरण के मतदान के पहले चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से भड़काऊ बयान देने से बचने की एडवाइजरी जारी की है. चुनाव आयोग ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का हवाला देते कहा है कि चुनावों में धार्मिक आधार पर भड़काऊ बयान से सभी दलों को परहेज करना चाहिए. ये मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है.

25 फरवरी को जारी लिए लेटर में सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के अध्यक्ष और महासचिव को भेजा गया है. लेटर में लिखा है कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट 1951 के आधार पर सभी दल के नेताओं को धार्मिक आधार पर बांटने वाली, नफरत फैलाने वाली और समाज में भेदभाव पैदा करने वाले किसी भी बयान से बचना चाहिए.


आयोग ने लिखा है कि हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि राजनीतिक दलों के नेता अपने बयानों में धार्मिक मुद्दों का घालमेल कर रहे हैं. उन्हें ऐसी बातों से बचना चाहिए.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी धार्मिक आधार पर वोट मांगने और धर्म और जात-पात के आधार पर चुनाव प्रचार पर चिंता जताई थी. आयोग ने कहा है कि उन्हें लगता है कि चुनाव प्रचार के दौरान आयोग की एडवाइजरी को नहीं माना जा रहा है और भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं.

यूपी चुनाव की ये नई एडवाइजरी उस वक्त आई है जब यूपी चुनाव में प्रचार के दौरान धार्मिक बयानबाजियों को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी की फतेहपुर रैली में दिए शमशान और कब्रिस्तान वाले बयान या फिर रमजान और दिवाली में बिजली वाले बयान को लेकर पहले से ही विपक्षी दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कसाब वाले बयान और फिर  उस पर समाजवादी पार्टी और बीएसपी का पलटवार भी इसी दायरे में आता है. बीएसपी कई मौकों पर खुलेआम मुस्लिमों को अपने वोट खराब न करने की अपील करती नजर आई हैं.