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एक्जिट पोल 2017: क्या जनता का मिजाज भांप पाईं सर्वे एजेंसियां

एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद यूपी के दंगल को लेकर लोगों की उत्सुकता बढ़ी

Sanjay Singh

शायद ही किसी को पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव पूर्व सर्वे के आंकड़ों की अब याद होगी. ये वो आंकड़े थे जिसे कई एजेंसियों ने 1 फरवरी या उससे पहले मुहैया कराया था.

लेकिन मौजूदा वक्त में उत्सुकता एक्जिट पोल के नतीजों को लेकर है जिसे चुनाव आयोग ने एक दिन के लिए देर कर दिया था.


इसकी वजह ये थी कि यूपी के एक विधानसभा सीट अलापुर और उत्तराखंड की एक सीट कर्णप्रयाग पर सपा और बसपा उम्मीदवार की मौत हो जाने की वजह से 9 मार्च को मतदान रद्द कर दिया गया था.  

कौन समझ पाया जनता का मिजाज

मई 2016, में पांच राज्यों असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी के विधानसभा चुनाव नतीजे सामने आने के बाद जनता के मिजाज का सही आकलन न कर पाने के लिए चुनाव विशेषज्ञों की जमकर आलोचना की गई थी.

यहां तक कि इससे पहले दिल्ली, बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र के चुनावों को लेकर भी चुनाव सर्वेक्षणों के नतीजे गलत साबित हुए थे. यही हाल इससे पहले 2013 और 2012 में हुए चुनावों को लेकर भी हुआ था.

ऐसा कई बार हो चुका है कि सर्वेक्षण के नतीजे चुनाव के असल नतीजे सामने आने के बाद गलत साबित हुए हैं. लेकिन आलोचनाओं से बेपरवाह सर्वे एजेंसियां अपना काम आगे बढ़ाती रहीं. जैसे जैसे चुनाव होते गए एजेंसियां सर्वे का काम बढ़ाती रहीं. 

लगातार गलत हुए हैं सर्वे

लेकिन सर्वे के लगातार गलत होने के बावजूद भी लोग इसका हवाला देना नहीं भूलते. चाहे चुनाव पूर्व सर्वे हो या फिर एक्जिट पोल, चुनावी चर्चा के बीच यह काफी अहमियत रखता है.

प्रजातंत्र के सबसे बड़े उत्सव चुनाव में सर्वे और एग्जिट पोल एक तरह से रंग बिखेरते हैं. इसकी वजह से कारोबार को बढ़ावा मिलता है.

तो राज्य से संबंधित लोग जो वहां और बाहर रहते हैं वो इसे लेकर काफी उत्साहित रहते हैं. इतना ही नहीं इससे मतदान के बाद की सुस्ती खत्म होती है. और चुनाव के अंतिम नतीजे का इंतजार काफी रोचक हो जाता है.

सही आंकड़ा बताने में नाकाम रही हैं एजेंसियां

ये सही है कि कई बार सर्वेक्षण एजेंसियां सही आंकड़े बता पाने में नाकामयाब रहती हैं.

बावजूद इसके सर्वे से नतीजों के ट्रेंड के बारे में जानकारी जरूर मिल जाती है. ये चुनावी नतीजों को लेकर होने वाले चर्चाओं को खास बना देती है. तो जबतक मतगणना पूरी नहीं हो जाती इससे चुनावी माहौल गर्म बना रहता है.

उत्तर प्रदेश को लेकर अलग अलग एजेंसियों और मीडिया हाउसेस की तरफ से कराए गए चुनाव पूर्व सर्वेक्षण पर ही ध्यान दें तो 31 जनवरी को इंडिया टुडे-एक्सिस ने बीजेपी को 180-91 सीटें दी थी.

सपा कांग्रेस गठबंधन को इस एजेंसी के मुताबिक 166-178 सीटें मिलने का दावा किया गया था. जबकि बीएसपी को 39-43 सीटें मिलने का दावा किया गया था.

कितना सच होगा एक्जिट पोल?

टाइम्स नाऊ-वीएमआर ने 31 जनवरी को अपने सर्वेक्षण में बीजेपी को 202 सीटें, सपा-कांग्रेस गठबंधन को 147 सीटें और बीएसपी को 47 सीटें दी है.

एबीपी न्यूज और लोकनीति ने बीजेपी को 118-128 सीटें, सपा कांग्रेस गठबंधन को 187-197 सीटें तो बीएसपी को 76-86 सीटें दी है.

वीडीपी एसोसिएट ने बीजेपी को 207 सीटें, सपा-कांग्रेस गठबंधन को 128 सीटें और बीएसपी को 58 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है.

जबकि द वीक-हंसा रिसर्च ने बीजेपी को 192-196 सीटें, सपा-कांग्रेस गठबंधन को 178-182 सीटें और बीएसपी को 20-24 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी. 

दंगल का सुल्तान कौन?

अब जबकि एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ चुके हैं तो यूपी के दंगल में सुल्तान कौन बनेगा इसे लेकर लोगों में उत्सुकता बढ़ी हुई है.

यूपी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी जिम्मेदारी उठा रखी है. तो अखिलेश और राहुल गांधी के साथ आ जाने के बाद यूपी की सियासत काफी दिलचस्प बन गई है.

इसके साथ ही पंजाब और गोवा में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी से भी सियासी मुकाबला काफी रोचक हो गया है. इसमें दो राय नहीं कि इन चुनाव नतीजों का असर राष्ट्रीय राजनीति पर व्यापक होगा.