view all

DUSU चुनाव: जातिगत समीकरण के खेल में इस बार का DUSU चुनाव क्यों दिलचस्प?

DUSU चुनाव में सालों से कब्जा जमाए ABVP और NSUI के दबदबे को इस बार AISA और CYSS से कड़ी चुनौती मिल रही है. दोनों का संयुक्त गठबंधन पूरे कैंपस में बदलाव रैली निकाल कर छात्रों को इस बार बदलाव का नारा दे रही है

Ravishankar Singh

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव 2018 के लिए घमासान अपने चरम पर है. DUSU चुनाव लड़ रहे तीनों प्रमुख छात्र संगठनों ने अपने-अपने पैनल को चुनते वक्त जातिगत समीकरणों का विशेष ख्याल रखा है. सभी छात्र संगठनों ने अपने-अपने पैनल में जाट-गुर्जर और ओबीसी उम्मीदवारों को दूसरे जाति के मुकाबले ज्यादा तरजीह दी है. कैंपस में छात्राओं से जुड़े मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की बात करने वाले इन छात्र संगठनों ने लड़कियों की भागीदारी को भी विशेष तरजीह नहीं दी. तीनों पैनल्स मिलाकर सिर्फ तीन लड़कियां और दो स्वतंत्र उम्मीदवार ही मैदान में हैं. लिहाजा इस बार भी छात्र संगठनों ने उम्मीदवारों को चुनते वक्त मनी और मसल्स पावर पर ही विशेष ध्यान रखा है.

छिल्लर विश्वविद्यालय में पिछले दो सालों से DUSU चुनाव लड़ने की तैयारी में लगा हुआ था


NSUI, ABVP और AISA-CYSS के गठबंधन ने एक-एक लड़कियों को मैदान में उतारा है. अध्यक्ष पद पर एक, उपाध्यक्ष पद पर तीन, सचिव पद पर एक भी नहीं और सह सचिव के पद पर एक लड़की चुनाव मैदान में है.

अगर बात करें पूरे पैनल्स की तो एनसयूआई ने अपने पैनल में दो जाट, एक दलित और एक यादव को टिकट दिया है. NSUI ने अध्यक्ष पद पर हरियाणा के बहादुरगढ़ के छात्र सन्नी छिल्लर को टिकट दिया है. सन्नी छिल्लर ने साल 2016 में भी DUSU चुनाव में नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बाद में टिकट नहीं मिल पाया था. कुछ छात्रों का कहना है कि छिल्लर दिल्ली की छात्र राजनीति में जाना-माना नाम है. छिल्लर विश्वविद्यालय में पिछले दो सालों से DUSU चुनाव लड़ने की तैयारी में लगा हुआ था. सन्नी के बारे में कहा जा रहा है कि वह एक मजबूत प्रत्याशी है.

वहीं ABVP ने अध्यक्ष पद के लिए गुर्जर समुदाय से आने वाले अंकिव बसोया को टिकट दिया है. ABVP का कहना है कि अंकिव बसोया दिल्ली से आते हैं और पिछले 5-6 सालों से संगठन से जुड़े हैं. अंकिव का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है और विश्वविद्यालय से जुड़े मुद्दे को अंकिव जोर-शोर से उठाते रहे हैं. छात्रों को मेट्रो में पास और डीयू के हर कॉलेज के कैंपस में सैनिटरी नैपकिन, वेंडिंग मशीन लगाना अंकिव की प्राथमिकता में सबसे ऊपर है.

वहीं उपाध्यक्ष पद पर NSUI ने दिल्ली की रहने वाली लीना को मौका दिया है. कहा जा रहा है कि एनसयूआई ने पहले उपाध्यक्ष पद के लिए आकाश चौधरी का नाम रखा था, लेकिन आकाश चौधरी अध्यक्ष पद का टिकट मांग रहे थे. ऐसा कहा जा रहा है कि ABVP के उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी शक्ति सिंह के सामने आकाश चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. लिहाजा NSUI ने उपाध्यक्ष पद के लिए दलित और वह भी महिला कार्ड खेल दिया.

ये भी पढ़ें: भारत बंद: क्या शिवराज सिंह चौहान को भी वनवास पर भेज देंगे सवर्ण

ABVP के उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी शक्ति सिंह पूर्वांचल से आते हैं और राष्ट्रीय स्तर के बॉक्सर भी रह चुके हैं. कैंपस में पूर्वांचल वोटरों की अच्छी-खासी तदाद को देखते हुए ही आकाश चौधरी ने लड़ने से मना कर दिया. शक्ति सिंह साल 2010 में राज्य और नेशनल स्तर के टूर्नामेंट खेल चुके हैं. शक्ति सिंह यूपी के बलिया जिले के रहने वाले हैं. इससे पहले उनके दादा राजनीति में थे. कुलमिलाकर ABVP ने यूपी-बिहार के वोटों को अपनी और खींचने के लिए शक्ति सिंह को मैदान में उतारा है.

आकाश चौधरी ने उपाध्यक्ष पद पर लड़ने से मना कर दिया था बाद में NSUI ने सचिव पद का प्रत्याशी बनाकर जाट कार्ड खेल दिया. आकाश चौधरी राजस्थान से आते हैं. वहीं ABVP ने सेक्रेटरी पोस्ट के लिए सुधीर डेढ़ा को मैदान में उतारा है. सुधीर डेढ़ा गुर्जर समुदाय से आते हैं.

NSUI ने जॉइंट सेक्रेटरी पोस्ट पर हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले सौरभ यादव को मैदान में उतारकर यादव कार्ड खेला है. वहीं ABVP ने ज्योति चौधरी को उतार कर जाट कार्ड खेल दिया है.

पिछले कई सालों से देखा जा रहा है कि दिल्ली छात्रसंघ चुनाव में NSUI और ABVP का ही कब्जा रहा है. दूसरे छात्र संगठन DUSU चुनाव में कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाए हैं, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की छात्र विंग छात्र युवा संघर्ष समिति (CYSS) और वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) के एक साथ चुनाव लड़ने के फैसले ने DUSU चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है.

CYSS ने जॉइंट सेक्रेटरी पोस्ट के लिए सनी तंवर को मैदान में उतारा है

DUSU चुनाव में सालों से कब्जा जमाए ABVP और NSUI के दबदबे को इस बार AISA और CYSS से कड़ी चुनौती मिल रही है. CYSS-AISA के लगभग सारे कैंडिडेट फ्रेशर्स हैं. दोनों का संयुक्त गठबंधन पूरे कैंपस में बदलाव रैली निकाल कर छात्रों को इस बार बदलाव का नारा दे रही है. CYSS ने जॉइंट सेक्रेटरी पोस्ट के लिए सनी तंवर को मैदान में उतारा है. सन्नी तंवर गुर्जर बताए जा रहे हैं.

बता दें कि CYSS और AISA इस बार मिलकर DUSU चुनाव लड़ रही है. अध्यक्ष पद पर आइसा के अभिज्ञान, उपाध्यक्ष पद पर AISA की अंशिका सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. सचिव पद पर CYSS के चंद्रमणि देव और सह सचिव के पद पर सन्नी तंवर चुनाव लड़ रहे हैं. DUSU की पूर्व अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी की चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर CYSS और AISA के साझे पैनल पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का परिचय मीडिया से करवाया.

CYSS-AISA के साझे पैनल की और से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अभिज्ञान ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘जब मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश किया तो छात्र राजनीति को केवल एक ही रूप देखा था, जो कि गुंडागर्दी और पैसों से चलता था, लेकिन जब मैं AISA से मिला तो पता चला कि एक और विकल्प है जो कि छात्रों के अधिकारों की बात करता है. बातचीत के माध्यम से राजनीति करता है. इसी बात को लेकर AISA से जुड़ा और आज AISA और CYSS के साझे पैनल पर DUSU में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहा हूं. मुझे पूरा यकीन है कि हम मिलकर DUSU परिसर में एक सकारात्मक राजनीति की शुरुआत करेंगे.’

वहीं उपाध्यक्ष पद की उम्मीदवार अंशिका सिंह ने कहा, ‘मैं जब कॉलेज जाती हूं तो अक्सर छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और बदतमीजी की घटनाएं देखती और सुनती हूं. कई बार देखा कि जब किसी छात्रा ने आवाज उठाने की कोशिश की तो उसे डराया और धमकाया जाता है. हम इस बार DUSU में एक ऐसा विकल्प देने जा रहे हैं जो कि महिला उत्पीड़न नहीं बल्कि महिला सुरक्षा की बात करता है. हम प्रशासन से डिमांड करेंगे की महिला सुरक्षा के मद्देनजर पूरे कैंपस में सीसीटीवी लगवाया जाए. प्रशासन ने जो एक आसीसी कमेटी बनाई है वो पूरी ईमानदारी के साथ काम करे. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि प्रशासन ने जो सेनेटरी नैपकिन, वेंडिंग मशीन कैंपस में लगाने का दावा किया है, वो कहीं है नहीं, वो कैंपस में लगाए जाएं.’

राजनीति करने नहीं राजनीति बदलने आया हूं

CYSS की और से सचिव पद पर चुनाव लड़ रहे चंद्रमणि देव मीडिया से बात करते हुए कहते हैं, मैं पूर्वांचल से आता हूं. मैंने कैंपस में देखा कि यहां के छात्रों के लिए हॉस्टल एक बहुत ही बड़ी परेशानी की वजह है. विद्यार्थियों की संख्या बहुत अधिक है और उसकी तुलना में हॉस्टल बहुत कम. हॉस्टल की कमी के कारण यहां पर कमरों की ब्लैकमेलिंग चलती है. सेटिंग से रिश्वत देकर रूम का इंतजाम कराना पड़ता है. अगर हम DUSU पैनल में आते हैं तो हम लोग प्रशासन से नए हॉस्टल खोलने की मांग रखेंगे ताकि हॉस्टल की दलाली का ये धंधा जो दशकों से कैंपस में चल रहा है वो बंद हो और छात्रों को सही दाम में और सुगमता से हॉस्टल में कमरे मिल सकें.’

वहीं सहसचिव के पद पर इस साझे पैनल से चुनाव लड़ रहे सन्नी तंवर ने मीडिया से कहा कि कॉलेज के हालातों के देखते हुए जब मैंने राजनीति में जाने का फैसला लिया. NSUI ने भी मुझसे संपर्क किया. उन्होंने कहा की आप CYSS में क्यों जाना चाहते हो NSUI ज्वाइन कर लो. मैंने कहा कि मैं राजनीति करने नहीं राजनीति बदलने आया हूं. मैंने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के द्वारा किए गए काम देखे हैं. जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में परिवर्तन किया है, उसी तरह में उनकी छात्र विंग CYSS के साथ जुड़कर दिल्ली विश्वविद्यालय में सकारात्मक परिवर्तन के लिए संघर्ष करना चाहता हूं.’

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राजा चौधरी जो की पिछली बार DUSU में अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय चुनाव लड़े थे और लगभग 4 हजार वोट हासिल किए थे, उन्होंने मीडिया के सामने CYSS और आइसा के पैनल को समर्थन दिया.

कुलमिलाकर दिल्ली विश्वविद्यालय DUSU चुनाव के रंग में पूरी तरह रंग गया है. कैंपस की राजनीति में भी गर्माहट आ गई है. काफी सालों के बाद वामपंथी विचारधारा से प्रभावित आइसा जेएनयू स्टाइल में कैंपेन कर रही है. इसलिए एनसयूआई और ABVP ने भी पहले की तुलना में ज्यादा आक्रामकता दिखानी शुरू कर दी है. जिस पोस्ट पर एक संगठन ने एक जाति का उम्मीदवार मैदान में उतारा है तो उसी पोस्ट पर दूसरे संगठनों ने दूसरी जाति के कैंडिडेट को मैदान में उतार कर वोट साधने की कोशिश की है.