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सावधान! अब आप दिल्ली-एनसीआर में प्रवेश करने जा रहे हैं

ईएसपीआर के मुताबिक, 2015 में वायु प्रदूषण से दिल्ली में 48,651 लोगों की मौत हुई

Ravishankar Singh

एन्वायरमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च जरनल (ईएसपीआर) ने आईआईटी मुंबई की एक रिपोर्ट जारी किया है. रिपोर्ट में जो बात सामने आई है, उससे दिल्ली में रहने वाला हर शख्स परेशान हो सकता है.

दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी एक गंभीर समस्या बन कर उभरी है.


रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 में वायु प्रदूषण से दिल्ली में 48 हजार 651 लोगों की मौत हुई.

साढ़े सात लाख लोगों को वायु प्रदूषण की वजह से विभिन्न रोगों के शिकार होना पड़ा है. एक लाख 2 हजार लोग वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हुए हैं.

तेजी से बढ़ रही है समस्या

रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण की वजह से शारीरिक विकृति में भी काफी तेजी आई है. तेजी से फैलने वाले शारीरिक विकृति में भारत का नंबर विश्व में तीसरा हो गया है. भारत से ऊपर सिर्फ बांग्लादेश और पाकिस्तान है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डबल्यूएचओ) की सूची में दिल्ली का नाम दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में आने के बाद लोग इस मुद्दे को अब गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है.

आईआईटी कानपुर ने भी पिछले साल मौसम में होने वाले बदलाव से प्रदूषण के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मियों की तुलना में सर्दियों में वायु प्रदूषण में वाहनों का योगदान अधिक होता है.

वायु प्रदूषण से काफी समस्याएं

रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा. साथ ही मृत्यु दर में भी तेजी आई है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 1995 से 2015 के दौरान वायु प्रदूषण से समय पूर्व हो रही मौत में 2.5 गुणा का इजाफा हुआ है.

साल 1995 में ऐसी मौत का आंकड़ा था 19 हजार 716 जो 2015 में बढ़कर 48 हजार 651 हो गई. दिल्ली वालों को वायु प्रदूषण बीमार भी बना रहा है.

दिल्ली शहर के वायु प्रदूषण की चिंता का विषय पीएम 2.5 है. पीएम 2.5 से फेफड़ों के कैंसर, दमा, अस्थमा, मधुमेह, आंखो में जलन, चर्म रोग और फेफड़ों से संबंधित बीमारी हो रही है.

सेंट्रल प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी)  की वेबसाइट से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि पिछली सर्दियों की तुलना में इस सर्दी में पीएम 2.5 के स्तर में काफी तेजी आई है. अमेरिका की एक संस्थान इंस्टीयूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूशन (आईएचएमई)  ने हाल ही में वायु प्रदूषण पर एक रिपोर्ट जारी की है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण से लोगों की औसत उम्र घट रही है. साथ ही लकवा, बांझपन और नपुंसकता भी तेजी आई है.

सरकार को उठाने होंगे जरूरी कदम

भारत में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर देश-विदेश की प्रदूषण पर काम करने वाली कई संस्थाएं रिपोर्ट जारी करती रहती है.

पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने चाहिए.

भारत की मौजूदा निगरानी और सूचना प्रसार प्रणाली को मजबूत बनाने का यह सही समय है.

सरकार को बद्तर स्थिति वाले बिजली संयत्रों को बंद करना चाहिए. पड़ोसी राज्यों के फसल जलाने के मामले को बेहतर तीरीके से निपटना चाहिए.

पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ ने भी भारत के लिए चौंकाने वाला बयान दिया था.

यूनीसेफ के तरफ से कहा गया था नई दिल्ली में रिकॉर्ड स्तर पर वायु प्रदूषण दुनिया के लए खतरे की घंटी है.

अगर आने वाले कुछ दिनों में वायु प्रदूषण कम करने के लिए कुछ कदम नहीं उठाए गए तो भारत की राजधानी में धुंध और लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना सामान्य बात बन जाएगी.