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बिहार: तेजप्रताप को याद दिलाइए वो सूबे के हेल्थ मिनिस्टर भी हैं

आखिर बिहार के स्वास्थ मंत्री तेजप्रताप के घर में वो बीमार कौन है जिसके लिये पूरा विभागीय अमला अपनी सेवाओं में जुट गया

Kinshuk Praval

कृष्ण-कन्हैया बने तेजप्रताप अबतक ये समझ ही नहीं सके हैं कि वो सिर्फ लालू के बेटे नहीं बल्कि सूबे के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं. तेजप्रताप पर बिहार के करोड़ों मरीजों के बेहतर इलाज की जिम्मेदारी है. लेकिन वो अपने रसूख को अपनों के इलाज के लिए ही दवा समझ बैठे हैं. यही वजह है कि उन्होंने अपने घर पर तीन सीनियर डॉक्टरों और दो नर्सों की ड्यूटी ही लगा डाली. बिना ये सोचे कि इन डॉक्टरों के अस्पताल से घर विस्थापन पर कितने मरीजों के इलाज पर असर पड़ेगा.

दिल्ली के एम्स की तर्ज पर पटना का आईजीआईएमएस हॉस्पिटल दस दिनों तक तीन सीनियर डॉक्टरों की गैरमौजूदगी का शिकार रहा क्योंकि उसके तीन डॉक्टर अस्पताल के मरीजों को छोड़कर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के घर स्पेशल ड्यूटी में तैनात थे.


आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजप्रताप यादव के आदेश के बाद तीन डॉक्टरों और दो नर्सों की टीम दस दिनों से लालू के निवास पर ‘अज्ञात मरीज’ के इलाज में तत्पर रही.

खास बात ये है कि आईजीआईएमएस में इलाज के लिये वैसे भी डॉक्टरों की कमी है इसके बावजूद लालू यादव के लिए समर्पित टीम लगा दी गई. मीडिया ने जब आईजीएमएमस के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट पीके सिन्हा से इसके बारे में पूछा तो उनका जवाब था कि डॉक्टरों की तैनाती लालू प्रसाद यादव के निवास पर नहीं बल्कि आईजीएमएस के बोर्ड ऑफ गवनर्स के चेयरमैन तेज प्रताप यादव के घर की गई थी.

जब अस्पताल अधीक्षक से बीमार व्यक्ति का नाम पूछा गया तो उन्होंने नाम बताने से साफ मना कर दिया.

डॉक्टरों की टीम को देखते हुए संदेह होता है कि जिस तरह से आईजीएमएस के अलग-अलग विभाग के बड़े डॉक्टर तेजप्रताप के कहने पर लालू निवास पर लगाए गए तो मामला हल्का-फुल्का नही कहा जा सकता. आईजीआईएमएस अस्पताल के सामान्य औषधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रो. नरेश कुमार के साथ एक जनरल सर्जरी के विशेषज्ञ हैं और एक फॉरेन्सिक मेडिसीन विभाग के डॉक्टर तैनात किये गए थे. वहीं दो मेल नर्सों को भी तैनात किया गया.

पहला सवाल ये है कि आखिर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप के घर में वो बीमार कौन है जिसके लिये पूरा विभागीय अमला अपनी सेवाओं में जुट गया.

दूसरा सवाल ये है कि आखिर आईजीएमएस के डॉक्टरों को किसी वजह से स्पेशल ड्यूटी के तहत लालू निवास पर लगाया गया जबकि सरकारी नियमों के मुताबिक ऐसी तैनाती नहीं की जा सकती है.

दिलचस्प है कि मामला खुलने के बाद आनन-फानन में ही तीनों डॉक्टरों को लालू निवास से हटा दिया गया.

लेकिन अभी तक स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इस मामले में कोई सफाई नहीं आई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मंत्री दुश्मनों के इलाज में व्यस्त चल रहे हैं. हाल ही में तेजप्रताप यादव ‘दुश्मन मारक पूजा’ में तल्लीन रहे और फिर किसी ‘गुप्त अनुष्ठान’ में वृंदावन निकल गए. ऐसे में बिहार के मरीजों की जिंदगी उस स्वास्थ्य मंत्री के हाथों में है जो अस्पताल के डॉक्टरों को निजी सुरक्षा के लिये ज्यादा जरूरी समझता है.

आईजीएमएस अस्पताल में दिग्गज डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं और विडंबना ये है कि उसका चेयरमैन वो शख्स है जो कॉलेज तक नहीं गया है.

चेयरमैन होने का ये मतलब नहीं हो सकता कि वो अस्पताल के संसाधनों और डॉक्टरों का निजी इस्तेमाल करें. कहा जाता है कि जब भी लालू बीमार पड़ते हैं तो आईजीएमएस से डॉक्टरों की टीम उनके आवास पर तैनात की जाती है. यानी ऐसा पहली दफे नहीं हुआ है. बस पहली दफे वीआईपी ट्रीटमेंट का ये मामला उजागर हो गया है.

माना जा सकता है कि लालू प्रसाद यादव की तबियत खराब चल रही है. उन पर चारा घोटाले और बेनामी संपत्ति का दबाव बढ़ता जा रहा है. बेटों पर भी मॉल की मिट्टी के घोटाले के आरोप मिट्टी की तरह मले जा रहे हैं.

ऐसे में ये नया मामला बिहार में लालू राज का सबसे ताजा उदाहरण है जहां बेटे ने औषधि के नाम पर पूरा संजीवनी पहाड़ ला कर रख दिया.

जाहिर तौर पर तेजप्रताप वही सब कर रहे हैं जो उन्होंने अपने पिता के सीएम रहते वक्त देखा और सीखा. तेजप्रताप ने देखा है कि किस तरह लालू राज में उनके मामाओं की मौज थी. तेजप्रताप ने देखा है कि किस तरह सिर्फ पिता के नाम पर पूरे बिहार में वो कुछ भी करने के लिये बेखौफ थे.

किशोरावस्था का वही अहसास युवावस्था में नए जोश के साथ बह रहा है. अब सोने पे सुहागा ये है कि लालू पुत्र अब स्वास्थ्य मंत्री भी बन चुके हैं.

लेकिन सवाल ये भी है कि स्वास्थ मंत्री के पिता के इलाज के लिये आईजीआईएमएस के सीनियर डॉक्टरों की स्पेशल तैनाती का कानूनी अधिकार किसके पास है? क्या पटना का बड़ा अस्पताल वीआईपी लोगों के इलाज के लिये ही बनाया गया है?

8 दिनों तक लगी इस ड्यूटी से समझा जा सकता है कि आईजीएमएमस में ओपीडी और सर्जरी पर कितना असर पड़ा होगा. वहीं दो नर्सों के न होने से भर्ती मरीजों की देखभाल पर भी कितना असर पड़ा होगा.

आईजीआइएमएस अस्पताल एक ऑटोनोमस बॉडी है. ऐसे में क्या पटना आईजीएमएस पर बिहार सरकार  के नियम चल सकते हैं? तेजप्रताप यादव आईजीआईएमएस के चेयरमैन हैं तो क्या वो अपने पद का इस्तेमाल गैरलोकतांत्रिक तरीके से करेंगे.

एक तरफ बिहार की बीमार जनता अस्पतालों में इलाज के लिये मारामारी झेल रही है तो दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल से डॉक्टर नदारद हैं क्योंकि उन्हें अपने मंत्री को नाराज नहीं करना है.

बिहार में जहां गरीबों के लिये अस्पताल की छत तक नसीब होती वहीं दूसरी तरफ जनता के मसीहा बने लोगों के घर नामी डॉक्टर स्पेशल ड्यूटी में तैनात होते हैं. अस्पतालों का जर्जर हाल, डॉक्टरों की कमी तो कभी डॉक्टरों की हड़ताल के बीच मरीजों का रामभरोसे इलाज होता है. हालात ऐसे हैं कि मेडिकल सुविधाओं के लिये ज्यों-ज्यों इलाज किया वैसे-वैसे ही मर्ज बढ़ता चला गया है. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री को अपने विभाग का सही इस्तेमाल केवल घर की चारदीवारी के भीतर ही नजर आता है. फिलहाल बिहार में मरीज बेहाल हैं और लालू के घर अस्पताल है.