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लालू पर लगे कुछ आरोप, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं

बिना टिकट ट्रेन में सफर करने से लेकर कार शो-रूम की सारी गाड़ियां जबरन उठा लेने तक के आरोप लग चुके हैं लालू पर

FP Staff

सारे नियम कानूनों को धता बता लालू प्रसाद यादव के घर पर सरकारी डॉक्टरों की तैनाती से बिहार में सियासत गरम है. पर, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. बिना टिकट ट्रेन में सफर करने से लेकर कार शो-रूम की सारी गाड़ियां शादी के लिए जबरन उठा लेने तक के आरोपों से लालू का परिवार घिरा रहा है. ऐसे ही कुछ चर्चित मामलों से हम आपको रू-ब-रू कराते हैं.

1. पटना के शो-रूम से गाड़ियां लालू की बेटी की शादी में (सात जून, 2002)


शुक्रवार की रात लालू और राबड़ी की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्या की शादी एक अणे मार्ग, पटना में थी. लगभग 25 हजार बाराती इस शादी में शरीक होने आए. तय हुआ कि बारातियों को चमचमाती नई गाड़ियों से दरवाजे तक लाया जाए. फिर क्या था. लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कार्यकर्ताओं ने मारूति और महिंद्रा के शो रूम से बिना नंबर प्लेट वाली नई गाड़ियां निकलवा ली. कहा जाता है कि इसके पीछे भी राबड़ी के दोनों भाइयों साधु यादव और सुभाष यादव का हाथ था.

2. लालू के सास-ससुर की बिना रेलवे टिकट के यात्रा – 13 फरवरी, 2007. उस दिन यह

संवाददाता भी उत्तर बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से यात्रा कर रहा था. हाजीपुर रेलवे स्टेशन पर बुजुर्ग दंपति सवार हुई जिसे टीटीई के हुजूम ने फर्स्ट एसी के एक कूपे में सीट दी. गहमागहमी के बीच पता चला कि ये छपरा तक ही जाएंगे. जब अटेंडेंट से मैंने पूछा कि छपरा तक की दूरी के लिए फर्स्ट एसी का टिकट तो बनता ही नहीं है, उसका जवाब था- का बात करते हैं साहब.

रेल मंत्री के सास ससुर हैं. ये खबर ट्रेन से ही ब्रेक हुई और देखते ही देखते मीडिया की सुर्खी बन गई. तब लालू प्रसाद यादव खुद रेल मंत्री थे और उस दिन सोनिया गांधी के साथ रेल कोच फैक्ट्री का उदघाटन करने रायबरेली गए हुए थे.

लालू के ससुर शिव प्रसाद चौधरी और सास श्रीपति देवी की बेटिकट यात्रा को लालू ने बेहद चालाकी से मैनेज किया. दरअसल मेरी उपस्थिति में ही फोन पर आए आदेश के बाद टीटीई ने खुद अपनी जेब से फाइन देकर टिकट बनाया. लालू ने उसी टीटीई को बिना किसी दबाव में काम करने के लिए अगले दिन सम्मानित कर दिया.

3. राजधानी का प्लेटफॉर्म बदलवाना (2006)

ये वाकया भी लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते हुआ. उनके साले सुभाष यादव को गुवाहाटी राजधानी से दिल्ली तक की यात्रा करनी थी. वो पटना जंक्शन पर पहुंचे. गुवाहाटी राजधानी का टाइम रात नौ बजे के आस-पास है.

गुवाहाटी राजधानी आम तौर पर प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर रूकती है. लेकिन उस दिन सुभाष यादव ने प्लेटफॉर्म नंबर एक पर राजधानी रोकने की जिद ठान ली और रेलवे को झुकना पड़ा. जब इसकी आलोचना शुरू हुई तो रेलवे ने लीपापोती करने की ठानी और एक पंक्ति का बयान जारी कर रहा कि सुभाष यादव ने जान पर खतरा बताया था, इसलिए ऐसा किया गया.

4. सरकारी एंबुलेंस की तैनाती – मामला 2016 का है. कई दिनों से एक

सरकारी एंबुलेंस राबड़ी देवी के घर के सामने खड़ी थी. राबड़ी के आवास में ही लालू भी रहते हैं. दरअसल ये 108 नंबर सेवा के तहत आम जनता के लिए इस्तेमाल होने वाली एंबुलेंस थी. निजी रसूख का इस्तेमाल करते हुए इसे स्थायी तौर पर आवास पर रखने का मौखिक आदेश दिया गया. जब ई-टीवी ने प्रमुखता से ये खबर दिखाई तो नौ अप्रैल, 2016 को वहां से एंबुलेंस वापस लगा दी गई.