शनिवार को डीएमके ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए ‘चुनावी तानाशाही’ करने का आरोप लगाया. साथ ही भाजपा के ‘भगवाकरण के सपनों’ को शिकस्त देने का प्रण भी किया.
पार्टी के अध्यक्ष एम के स्टालिन के नेतृत्व में जिला सचिवों, सांसदों और विधायकों की बैठक में कहा गया कि पार्टी संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखने के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार है.
28 अगस्त को स्टालिन को पार्टी प्रमुख बनाए जाने के बाद ये पहली बैठक थी. इस बैठक में नोटबंदी, राफेल सौदे, नीट और मौजूदा आर्थिक स्थिति जैसे मुद्दे पर केन्द्र की आलोचना की गई.
बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया, ‘भाजपा सरकार तमिलनाडु के हितों की अनदेखी कर रही है. बहुसंख्यकों को प्रभावित और सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रही है. यहां तक कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और भाजपा का विरोध करने वालों को राष्ट्र विरोधी करार दिया जा रहा है.’
राज्य में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके की भी आलोचना की गई. डीएमके ने आरोप लगाया कि एआईएडीएमके भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गई है और उसे सत्ता से बेदखल करने का प्रण लिया गया.