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तमिलनाडु: विधायकों के खरीद-फरोख्त मामले में एआईडीएमके और डीएमके के बीच विवाद बढ़ा

स्टालिन इस मसले पर सीबीआई और ईडी से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं

Bhasha

एआईएडीएमके के विधायकों के खरीद-फरोख्त के मामले में डीएमके और तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी. धनपाल के बीच बुधवार को सदन में एकबार फिर तनातनी हो गई. मुख्य विपक्षी दल की यह मांग दी थी विधानसभा अध्यक्ष इस मामले पर राज्य के राज्यपाल के संदेश के बारे में सदन को अवगत कराएं.

विधानसभा अध्यक्ष ने डीएमके के नेता एमके स्टालिन की इस अपील को दरकिनार कर दिया. इसके बाद विपक्ष के साथ-साथ कांग्रेस और आईयूएमएल के विधायकों ने सदन से वाक-आउट किया.


क्या है मुद्दा?

तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष धनपाल और मुख्य सचिव गिरिजा वैद्यनाथन को डीएमके और उसके सहयोगी दलों के मेमोरेंडम पर ‘उचित कार्रवाई’ करने का निर्देश दिया था. इस मेमोरेंडम में डीएमके और उसके सहयोगी दलों ने फिर विश्वास मत के लिए वोटिंग करवाने की मांग की है और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों की सीबीआई और ईडी से जांच करवाने की मांग की है.

डीएमके लगातार सदन में मुख्यमंत्री ई प्लानीस्वामी द्वारा 18 फरवरी को हासिल किए विश्वास मत में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला उठा रही है. यह मामला एक टीवी चैनल द्वारा किए ‘स्टिंग ऑपरेशन’ के बाद सबके सामने आया था. विधानसभा में कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद डीएमके ने इस मसले को तमिलनाडु के राज्यपाल के सामने उठाया था.

धनपाल का अड़ियल रुख  

स्टालिन ने संविधान और सदन के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि धनपाल को राज्यपाल का ‘संदेश’ सभी को पढ़कर सुनाना चाहिए. वे यह भी चाहते थे कि राज्यपाल के पात्र पर मुख्यमंत्री भी बयान दें.

विधानसभा अध्यक्ष ने भी संविधान के नियमों का हवाला देते हुए कि उन्हें राव के पत्र के बारे में सदन को जानकारी देने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसमें सिर्फ उनसे ‘कार्रवाई’ करने को कहा गया है.

धनपाल ने यह भी कहा कि नियमों के मुताबिक यह ‘संदेश’ की श्रेणी में नहीं आता है. मुझे सिर्फ राज्यपाल को इस मामले से अवगत करवाना है. मैं ऐसा ही करूंगा और यह पूरी तरह गोपनीय है.

हालांकि उन्होंने यह स्वीकार कि इस मसले पर राजभवन से चिट्ठी आई है और मुख्य सचिव ने भी उन्हें इस बारे में एक पत्र लिखा है.

धनपाल ने यह भी कहा कि आसन सिर्फ सदन से जुड़े मुद्दों पर ही राज्यपाल के संदेश को बताने के लिए बाध्य है, जैसे सरकारी विभागों के बिलों की मदों से जुड़ी मांगों के बारे में.

इसके बाद भी डीएमके और विधानसभा के बीच वाद-विवाद जारी रहा. विधानसभा अध्यक्ष अपने रुख पर अड़े रहे जिसके बाद स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके ने सदन से वाक-आउट किया. इस वाक-आउट में डीएमके के सहयोगी दल कांग्रेस और आईयूएमएल भी शामिल थे.

पिछले हफ्ते राज्यपाल को दिए गए अपने मेमोरेंडम में डीएमके ने उनसे कार्रवाई करने की मांग की है. स्टालिन ने राज्यपाल राव को टीवी चैनल द्वारा किए गए ‘स्टिंग’ की सीडी भी सौंपी है. इस सीडी में एआईएडीएमके के दो विधायक यह स्वीकार करते हुए दिख रहे हैं कि सत्ताधारी दल के विधायकों को प्लानीस्वामी के पक्ष में वोट देने के लिए पैसे दिए गए थे.

स्टालिन इस मसले पर सीबीआई और ईडी से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं. इस बारे में उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की है.