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‘निर्भया ने मुझसे कहा था, जिन लोगों ने मेरा ये हाल किया उन्हें छोड़ना मत’

41 पुलिसवालों की कहानी जिन्होंने सुलझाया था निर्भया केस

Ravishankar Singh

पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया रेप कांड के सभी आरोपियों को निचली अदालत द्वारा दिए फांसी की सजा को बरकरार रखा था. निर्भया रेप कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. कैसे घटनावाली रात दिल्ली की मानवता शर्मसार हुई और किस तरह से दिल्ली पुलिस ने गुनाहगारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाया.

दिल्ली पुलिस को आरोपियों तक पहुंचने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी. दिल्ली पुलिस के 41 अफसरों ने निर्भया केस को सुलझाने के लिए दिन रात एक कर दिया था.


निर्भया केस से जुड़े 41 पुलकर्मियों को सोमवार को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने सम्मानित किया. सोमवार को निर्भया केस से जुड़े असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर से लेकर डीसीपी रैंक के 41 पुलिसकर्मी एक साथ मिले और मीडिया के साथ उन दिनों की यादों को साझा किया.

41 पुलिसकर्मी की मेहनत ही है जो निर्भया रेप कांड के सभी आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया. इन पुलिसर्मियों की जांच की तारीफ निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने की.

16 दिसंबर 2012 की रात को चलती बस में निर्भया के साथ 6 लोगों ने गैंगरेप किया था. किस तरह एक सफेद बस में निर्भया और उसके साथियों को लिफ्ट दी गई. इन सभी सुरागों तक दिल्ली पुलिस कैसे पहुंची, यह भी एक दिलचस्प किस्से से कम नहीं है.

29 दिसंबर 2012 को निर्भया की मौत हो गई थी. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक हफ्ते के अंदर सभी आरोपियों को पकड़ लिया और तीन सप्ताह के अंदर एक हजार पन्ने की चार्जशीट भी कोर्ट में पेश कर दी.

दिल्ली पुलिस ने निर्भया केस में 50 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए. दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से काम किया वह भी कम दिलचस्प नहीं है.

उस समय निर्भया रेप कांड की जांच अधिकारी और साउथ दिल्ली की डीसीपी रही छाया शर्मा ने बताया, ‘इस केस में भारी दबाव होने के बावजूद हमरी टीम ने दोषियों को गिरफ्तार कर जल्द ही अदालत के सामने पेश कर दिया.’

छाया शर्मा ने कहती हैं, ‘निर्भया ने मुझसे कहा था कि ‘जिन लोगों ने मेरे साथ गंदा काम किया उन्हें छोड़ना मत’

निर्भया कभी अपने बयान से पलटी नहीं: छाया शर्मा

छाया शर्मा के मुताबिक निर्भया के बयान ही थे जिन्होंने आरोपियों को फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया. निर्भया शुरू से अंत तक कभी भी अपने बयान से पलटी नहीं.

छाया शर्मा बयान लेने वाले दिन की याद करते हुए कहती हैं, ‘मैं पहली बार सफदरजंग अस्पताल में उससे मिलने पहुंची थी. उसकी हालत काफी क्रिटिकल थी. बयान लेना भी बहुत जरूरी था क्योंकि डॉक्टर उसकी हालत क्रिटिकल बता रहे थे. निर्भया से हमने बात करनी चाही पर उससे बोला नहीं जा रहा था. बेड पर लेटे-लेटे तो कभी इशारे-इशारे में तो कभी बोल कर अपनी बयान दर्ज करा रही थी.’

छाया शर्मा उस दिन की यादों को शेयर करते हुए कहती हैं, ’रेप पीड़िता बयान देते वक्त अक्सर घबरा जाती हैं. रेप पीड़िता या तो सच बताना नहीं चाहती या फिर घटना के दिन हुए वारदात याद नहीं रहती. पर, उस लड़की का रवैया बेहद साहसी था. उस लड़की की हिम्मत की दाद देनी ही होगी.’

हम आपको बता दें कि निर्भया ने कई बयान दिए. सबसे पहले अस्पताल के डॉक्टरों को बयान दिया फिर एसडीएम और जज के सामने बयान दिए.

निर्भया के सारे बयान सफदरजंग में इलाज के दौरान लिए गए. बाद में निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया जहां पर उसकी मौत हो गई. निर्भया के उन बयानों को ही अदालत ने बाद में डाइंग डिक्लेरेशन माना.

छाया के मुताबिक जब ये मामला दर्ज हुआ था तब पुलिस के आगे सबसे बड़ी चुनौती आरोपियों तक पहुंचने की थी. अक्सर बलात्कार के मामलों में आरोपी पीड़ित को जानता है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं था.

छाया शर्मा के मुताबिक हमारा काम इसलिए बहुत मुश्किल था कि हमें शुरुआत से मामले में तफ्तीश करनी पड़ी. जांच में सबसे पहला अहम सुराग पुलिस को तब मिला जब पता चला कि जिस बस में रेप हुआ उसकी सीट लाल रंग की थी और परदे पीले रंग के थे.

आसान नहीं था केस सॉल्व करना

पुलिस के लिए अब ऐसी बस को ढूंढना आसान नहीं था. हमने 300 बसों की लिस्ट बनाई. हमारी टीम सभी 300 बसों की पहचान करने लगी. इस टीम में लगभग 100 पुलिसकर्मी थे. सबका काम बांट दिया गया.

छाया शर्मा ने बताया कि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले पर इससे कुछ खास मदद नहीं मिली. हमलोगों ने हिम्मत नहीं छोड़ी. हमलोगों के बार-बार फुटेज देखने के दौरान बस पर यादव लिखा हुआ पाया.

फिर क्या था हमलोगों ने सर्च का दायरा और बढ़ा दिया. एक-एक कर सभी आरोपी गिरफ्तार होते चले गए.

घटना के कुछ ही घंटों के अंदर आरोपी बस ड्राइवर रामसिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. राम सिंह से पूछताछ के बाद और भी सारे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. इस केस में ऐसा कोई सबूत या गवाह नहीं था जिसे पुलिस ने जांच में शामिल नहीं किया.