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'मिर्च-मसाला' के तड़के से दूर रहे दिल्ली पुलिस, सीएम केजरीवाल की सुरक्षा पर बेपरवाही ठीक नहीं

मिर्च फेंके जाने वाली घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने शुरुआत में जिस तरह से 'मसाला' तैयार किया वो जांच का जायका बिगाड़ने के लिए काफी है

Kinshuk Praval

जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का. इस कहावत का इस्तेमाल उन लोगों के लिए होता है, जिनके पास सत्ता की ताकत होती है और वो कुछ भी करने की हैसियत रखते हैं. उन्हें कानून या सज़ा का डर नहीं होता. लेकिन यही कहावत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मिर्च फेंकने वाले शख्स पर भी चरितार्थ होती दिखती है. आरोपी अनिल शर्मा की मानसिक स्थिति को इससे जोड़ कर देखा जा सकता है.

मिर्च फेंकने वाले शख्स ने दिल्ली सचिवालय में अपनी पूर्वनियोजित योजना को अंजाम दिया. ऐसा लगता है कि उसे हमले के बाद होने वाली कानूनी कार्रवाई का डर भी शायद रत्ती भर नहीं था. दरअसल, इसका अंदेशा घटना के बाद दिल्ली पुलिस की तरफ से आए एक हैरान कर देने वाले बयान से हो जाता है.


दिल्ली पुलिस के एक कारिंदे ने गुरुत्वाकर्षण की नई परिभाषा गढ़ते हुए आरोपी की मनोदशा का भी संक्षिप्त लेकिन गूढ़ वर्णन किया. इस 'जानकार' के मुताबिक आरोपी शख्स ने सीएम केजरीवाल के पैर छुए क्योंकि वो अपनी समस्या बताने के लिए आया था और इस दौरान उसके हाथ से मिर्च का पाउडर नीचे गिर गया जो आंखों में चला गया. अब जांच की जा रही है कि ये हमला था या फिर गैरइरादतन कृत्य था.

इस बयान के मुताबिक आरोपी शख्स के हाथों से लाल मिर्च गिर पड़ी और सीएम केजरीवाल की आंखों की तरफ बढ़ गई. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी के ‘मासूमियत’ से भरे इस बयान को लेकर लगता है कि अगर दिल्ली पुलिस भी राजनीति के मिर्च-मसाला का तड़का लगाएगी तो फिर सीएम छोड़िए आम आदमी को क्यों नहीं डर लगेगा?

आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट कर कहा कि ‘दिल्ली पुलिस ने मीडिया में बताया कि हमला नहीं हुआ और मिर्च का पैकेट अनजाने में जमीन पर गिर गया. इससे समझा जा सकता है कि साजिश कितनी बड़ी है.’

यही वजह है कि इस हास्यास्पद बयान की वजह से ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्लाह ने ट्वीट कर तंज कसा कि ग्रैविटी ही फेल हो गई. उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर सवाल पूछा कि, ‘आरोपी के हाथ से नीचे गिरने के बाद गुरुत्वाकर्षण को झुठलाते हुए मिर्च पाउडर केजरीवाल की आंख में कैसे चला गया?’

दरअसल वाकई ‘ग्रैविटी’ फेल हुई है. इस घटना से एक सीएम की सुरक्षा को लेकर गंभीरता और संजीदगी फेल हुई है. आम लोगों से बिना किसी रोकटोक के मेल-मुलाकात कर ही केजरीवाल सीएम बने हैं. ऐसे में दिल्ली पुलिस की ये जिम्मेदारी है कि वो उनकी सुरक्षा के मानक, स्तर, घेरे और तरीके तय करे. लेकिन इस मिर्च फेंके जाने वाली घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने शुरुआत में जिस तरह से मसाला तैयार किया वो स्वीकार्य नहीं हो सकता है. शायद दिल्ली पुलिस को भी गुमान नहीं रहा होगा कि कैमरे में सारी घटना सच्ची घटना बन कर कैद हो चुकी थी.

जिस तरह का बयान दिल्ली के सीएम के लिए राज्य की पुलिस की तरफ से आया वैसी अपेक्षा क्या किसी दूसरे राज्य की पुलिस से अपेक्षा की जा सकती है? क्या पंजाब-चंडीगढ़ में या फिर देश के किसी भी राज्य में किसी सीएम के साथ हुई ऐसी घटना पर राज्य पुलिस का ऐसा बयान सामने आता?

ये दिल्ली पुलिस की लापरवाही नहीं बल्कि बेपरवाही को नुमाया करती है. क्या इसकी वजह सिर्फ इतनी भर है कि जिस सूबे के सीएम केजरीवाल हैं उनके पास अपने ही सूबे की पुलिस पर कोई अधिकार नहीं है?

अरविंद केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर जनता के द्वारा संवैधानिक तरीके से चुनकर पहुंचे हैं. उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सरकार के संगठनों और ऐजेंसियों की है. लेकिन ये सुरक्षा की चूक को महज एक सामान्य घटना बता कर खारिज नहीं किया जा सकता है. अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के नहीं बल्कि दिल्ली के सीएम हैं. वैचारिक मतभेद के बावजूद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने घटना की निंदा की. अब भले ही आम आदमी पार्टी इसे एक राजनीतिक मुद्दा बना कर बीजेपी को घेरने का काम कर रही है लेकिन सुरक्षा में चूक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

दिल्ली पुलिस ने मामले को संभालते हुए स्वत:  संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज  कर ली है. इस मामले में आम आदमी पार्टी या फिर दिल्ली सचिवालय की तरफ से कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई गई है. इससे लगता है कि आम आदमी पार्टी  मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहती है. बहरहाल, ये घटना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक अलार्म जरूर है ताकि भविष्य में दोबारा न हो सके.