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दिल्ली एमसीडी चुनाव 2017: पल-पल बदल रही है पार्टियों की रणनीति

उम्मीदवारों-दावेदारों के इधर-उधर होने का सिलसिला जारी है.

Ravishankar Singh

दिल्ली एमसीडी चुनाव में बीजेपी के वर्तमान पार्षदों का टिकट नहीं देने के फैसले ने दूसरे पार्टियों के घोषित उम्मीदवारों की भी नींद उड़ा दी है. आम आदमी पार्टी (आप) के 14 उम्मीदवारों के टिकट काटने के फैसले को भी इसी कड़ी से जोर कर देखा जा रहा है.

बीजेपी और कांग्रेस के संभावित प्रत्याशियों की नराजगी का आप पूरा फायदा उठाना चाहती है. पार्टी के रणनीतिकार बीजेपी के उन पार्षदों के संपर्क में हैं, जिनकी छवि साफ-सुथरी है. आप के सूत्र कहते हैं कि अगले कुछ दिनों में पार्टी के घोषित दूसरे उम्मीदवारों के नाम भी काटे जा सकते हैं.


आप की नजर बीजेपी के 50 पार्षदों पर

आप के रणनीतिकारों की सबसे गहरी दिलचस्पी बीजेपी के 50 उन पार्षदों पर टिकी है, जिनकी छवि साफ-सुथरी है. इन पार्षदों का अपने इलाके में काफी वर्चस्व भी है. इन 50 पार्षदों में ज्यादातर पार्षद महिला बताई जा रही हैं.

आप के रणनीतिकार फिलहाल इस इंतजार में हैं कि बीजेपी और कांग्रेस उन उम्मीदवारों को टिकट देती है कि नहीं. हालांकि आप की इस रणनीति में पार्टी को नुकसान भी उठानी पड़ सकती है. जिन घोषित उम्मीदवारों का टिकट काटे जा रहे हैं वह पार्टी से बागी होते जा रहे हैं.

आप में घोषित उम्मीदवारों का टिकट कटने का खेल शुरू

दिल्ली के मंगलापुरी वार्ड एस-33 से घोषित उम्मीदवार विजय पवाड़िया का टिकट आप ने काट दिया है. आप ने विजय पावाड़िया का टिकट पार्टी द्वारा घोषित पहले लिस्ट में ही दिया था. लेकिन, अब इस सीट से आप के नए प्रत्याशी नरेंद्र कुमार चुनाव लड़ रहे हैं.

आम आदमी पार्टी से टिकट काटे जाने के बाद पवाड़िया काफी निराश हैं. पवाड़िया को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर पार्टी ने उनका टिकट कैसे काटा. पवाड़िया के अनुसार पार्टी के जिला प्रभारी और पर्यवेक्षक ने अपनी भेजी रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं बताया था, जिससे मेरी टिकट काटी जा सके.

उम्मीदवारी खत्म होने से नाराज पवाड़िया ने बताया कि पार्टी ने उनके खिलाफ एक एफआईआर का हवाला दे कर टिकट काटा है. यह एफआईआर एक सीवर डालने के मामले से जुड़ा था, जिसमें वर्तमान पार्षद ने ही मेरे खिलाफ मामला दर्ज करवाया था.

टिकट कट जाने के बाद अपने समर्थकों के साथ पहुंचे पवाड़िया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं पार्टी के खिलाफ मानहानि का केस करने जा रहा हूं. साथ ही चुनाव लड़ कर आप को सबक भी सिखाएंगे.

रणनीतिकारों की नीति पर सवाल

हम आपको बता देना चाहते हैं कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में आप ने सबसे पहले अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की थी. दूसरी पार्टियों के मुकाबले आप ने सबसे पहले उम्मीदवार उतार कर खूब वाहवाही बटोरी थी. पर अब जिस तरह से पूर्व घोषित उम्मीदवारों के टिकट काटे जा रहे हैं. इससे पार्टी के घोषित उम्मीदवारों में भी असमंजस का माहौल हो गया है.

पार्टी के कई घोषित उम्मीदवार अपनी सीट बचाने के लिए नेताओं की गणेश परिक्रमा में लग गए हैं. उम्मीदवारों के इस गणेश परिक्रमा से पार्टी को खामियाजा भी भुगतने पड़ सकते हैं.

दूसरी तरफ आप नेता दिलीप पांडे मीडिया से बात करते हुए कहते हैं कि नामांकन होने तक किसी भी उम्मीदवार का नाम वापस लिया जा सकता है. पार्टी की पूरी कोशिश है कि विपक्षी दलों को किस तरह से हराया जा सके. ऐसे में ईमानदार और जीतने का दम रखने वाले को ही पार्टी की उम्मीदवारी मिलेगी.

साफ छवि के उम्मीदवारों पर सबकी नजर

दूसरी तरफ बीजेपी द्वारा वर्तमान पार्षदों का टिकट नहीं देने के फैसले को लेकर पार्षद अब सड़क पर उतर गए हैं. पार्टी के नाराज कई पार्षद दिल्ली में कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के घरों का चक्कर काट रहे हैं. इसके बावजूद भी उनको किसी तरह का आश्वासन नहीं मिल रहा है.

पटपड़गंज से बीजेपी पार्षद संध्या वर्मा पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलने गई थीं. लेकिन, जब मिल कर बाहर निकलीं तो मीडिया के सामने ही संध्या वर्मा की आंखें भर आई. ऐसे में माना जा रहा है कि संध्या वर्मा की साफ-सुथरी छवि को आप और कांग्रेस दोनों भुनाने की तैयारी में है.

दूसरी तरफ बीजेपी रणनीतिकार को यह लग रहा है कि 10 सालों से निगम की सत्ता पर काबिज बीजेपी को एंटी इनकम्बेंसी से बचने के लिए यह रास्ता ही एकमात्र विकल्प है.

बीजेपी से हटने और आप से जुड़ने का सिलसिला शुरू

सुल्तानपुरी ईस्ट वार्ड से दो बार की बीजेपी पार्षद रही सुशीला बागड़ी के पिता ने बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा दे कर आप की सदस्यता हासिल कर ली है. आम आदमी पार्टी ने सुशीला बागड़ी के पिता को सुल्तानपुरी बी वार्ड से टिकट भी दे दिया है.

सुशीला बागड़ी बीजेपी के साथ देने के बजाए अपने पिता का साथ देने की बात करती है. सुशीला बागड़ी का कहना है कि माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं है. बागड़ी का कहना है कि बीजेपी अगर निकालना चाहे तो निकाल दे पर मैं पिता का ही साथ दूंगी.

सुशीला बागड़ी के पिता नंदराम बागड़ी सुल्तानपुरी इलाके के काफी चर्चित चेहरा हैं. नंदराम बागड़ी इस इलाके से कई विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. हलांकि, नंदराम को सभी विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा.

नंदराम ने साल 2007 और साल 2012 में कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगाते हुए बीजेपी के टिकट पर अपनी बेटी को पार्षद का चुनाव जीता दिया. यह पहला अवसर था जब किसी चुनाव में बीजेपी यहां से जीत हासिल की थी. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पार्षद सुशीला बागड़ी को सुल्तानपुरी माजरा से बीजेपी उम्मीदवार भी बनाया गया था.