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एमसीडी चुनाव नतीजे: क्या दिल्ली में अब राज करेंगे पूर्वांचली?

बीजेपी ने एमसीडी चुनाव के जरिए पूर्वांचली वोटरों पर अपना सिक्का जमा लिया है

Ravishankar Singh

दिल्ली नगर निगम में बीजेपी की प्रचंड जीत के कई मायने निकाले जा रहे हैं. एमसीडी चुनाव में बीजेपी की हैट्रिक को साल 2020 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है.

पिछले 10 सालों से एमसीडी की सत्ता पर काबिज बीजेपी इस जीत से गदगद है. बीजेपी की इस जीत ने एमसीडी चुनाव में बीजेपी के सत्ता विरोधी लहर को भी नेस्तनाबूद कर दिया है.


बीजेपी की इस जीत ने विपक्षी दलों के दिल्ली में साफ-सफाई, कूड़ा-करकट डेंगू- मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे मुद्दों की हवा निकाल दी. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले कुछ महीनो में बीजेपी दिल्ली को लेकर कुछ नए प्रयोग कर सकती है.

माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान को दिल्ली एमसीडी में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में पहले से पता चल चुका था. पार्टी के सभी वर्तमान पार्षदों को टिकट नहीं देने का निर्णय भी बीजेपी की जीत में अहम रोल अदा कर गया.

एमसीडी चुनाव ने विधानसभा चुनाव की तस्वीर दिखाई

कई ऐसे सवाल हैं जिस पर राजनीतिक विशेषज्ञ और रणनीतिकार मंथन करने में लग गए हैं. इस चुनाव के नतीजों ने साल 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव और उससे मिलने वाले परिणामों की तस्वीर साफ कर दी है.

एमसीडी चुनाव के नतीजों से यह पता चल गया है कि साल 2020 में होने वाले चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी नंबर दो की पोजिशन को हासिल करने की लड़ाई लड़ेगी.

देशभर के राजनीतिक विशेषज्ञ यह चर्चा शुरू करने वाले हैं कि आखिर इतने विरोध के बावजूद भी एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने कैसे जीत दर्ज की.

राजनीति को करीब से जानने वाले कुछ लोगों की राय माने तो बीजेपी पार्षदों का टिकट काटने वाला प्रयोग जो दिल्ली में किया गया उसे अगले कई चुनावों में भी दोहराया जा सकता है.

बीजेपी की थींक टैंक का मानना है कि पार्टी के उम्मीदवार बदलने से बीजेपी के कोर वोटर्स को तसल्ली मिलती है कि चलो हमारा काम नहीं करने वाला सांसद, विधायक या पार्षद को पार्टी ने टिकट काट दिया.

यह सकारात्मक संदेश जो बीजेपी जनता को दे रही है, उससे जनता के मन में बीजेपी के प्रति विश्वास बना हुआ है. दिल्ली एमसीडी चुनाव का परिणाम भी इसी का उदाहरण है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एमसीडी चुनाव के नतीजे को विपक्ष हल्के में नहीं लेगा, क्योंकि देश की राजधानी में रहने वाले लोग भारत के कई राज्यों से आते हैं. इन लोगों के द्वारा लिए गए फैसले भी देश की जनता के फैसले माने जाते हैं.

साल 2012 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी को 142, कांग्रेस को 74, बीएसपी को 15 और अन्य को 41 सीटें मिली थी.

एमसीडी चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी को बधाई दी है. मनोज तिवारी ने भी इस जीत से खुद को जोड़ा है.

ऐसे में आने वाले समय में दिल्ली के सीएम पद के लिए किसी पूर्वांचली के नाम की मांग उठने लगे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. एमसीडी चुनाव में पार्टी को जीत का स्वाद चखाने वाले मनोज तिवारी को भी दिल्ली बीजेपी का चेहरा बनाया जा सकता है.

पूर्वांचली वोटरों का रुझान बने मनोज तिवारी

दिल्ली की जनता ने जिस तरह से अपना फैसला सुनाया है उससे अरविंद केजरीवाल की सरकार को करारा झटका लगा है. आप सरकार की ओर से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के दावे को भी जनता ने इस चुनाव नतीजे के जरिए नकार दिया है

जिस मुहल्ला क्लीनिक को लेकर आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की सरकार ढोल पीट रही थी, उस मोहल्ला क्लीनिक के कामों को भी दिल्ली की जनता ने अनसुना कर दिया है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मजबूत होने की धारणा को भी एमसीडी चुनाव परिणाम ने खोखला साबित कर दिया है.

आम आदमी पार्टी से पूर्वांचली वोटर्स का विशेष लगाव रहा है. खास कर ऑटो रिक्शा चलाने वाले और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग आम आदमी पार्टी के विचारधारा से खासे प्रभावित रहे हैं, पर पिछले कुछ महीनों से जब से मनोज तिवारी को बीजेपी ने चेहरा बनाया पूर्वांचली वोटर धीरे-धीरे आप से खिसक कर बीजेपी के करीब जाने लगे.

आम आदमी पार्टी की परेशानी की बात इसलिए भी है कि क्योंकि एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने कई ऐसी सीटों पर कब्जा जमाया है जहां पर आम आदमी पार्टी पिछले कुछ सालों से काफी मजबूत हुआ करती थी.

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की पटपड़गंज विधानसभा सीट और उससे सटे लक्ष्मी नगर विधानसभा सीट आप का गढ़ हुआ करती थी. पटपड़गंज में जहां मनीष सिसोदिया ने लगातार दो बार चुनावी जीत दर्ज की वहीं लक्ष्मी नगर सीट आप ने कांग्रेस के दिग्गज एके वालिया से छीन ली थी. पर इस बार के एमसीडी चुनाव में इन दोनों विधानसभा सीटों पर पड़ने वाले अधिकांश पार्षद की सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है.

सीएम पद की रेस में मनोज तिवारी का नाम?

कुल मिलाकर बीजेपी ने एमसीडी चुनाव के जरिए पूर्वांचली वोटरों पर अपना सिक्का जमा लिया है. बीजेपी की जीत में पार्टी की खास रणनीति का अहम रोल रहा है. पूर्वांचल वोटरों को लुभाने के लिए मनोज तिवारी को बीजेपी का अध्यक्ष बनाना इसी रणनीति का हिस्सा है.

मनोज तिवारी एक जाने-माने भोजपुरी गायक और अभिनेता हैं. वर्तमान में मनोज तिवारी बीजेपी के सांसद भी हैं. दिल्ली में बड़ी संख्या में भोजपुरी बोलने वाले लोग हैं. पूर्वांचली बड़े स्तर पर भोजपुरी गीतों और भोजपुरी गायकों के प्रशंसक रहे हैं. मनोज तिवारी ने अपनी इस कला का जलवा यहां के पूर्वांचली वोटरों पर लगातार बिखेरा और ताजा चुनाव परिणाम भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि करीब 70 फीसदी पूर्वांचली उम्मीदवारों को एमसीडी चुनावों में जीत हासिल हुई है.

एमसीडी चुनाव के नतीजे के बाद आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीएम पद की रेस में मनोज तिवारी का नाम सबसे आगे चल सकता है. आगामी विधानसभा चुनाव में मनोज तिवारी का सीएम के तौर पर दावा सबसे मजबूत होता दिखाई दे रहा है.