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एमसीडी चुनाव: केजरीवाल का हाउस टैक्स खत्म करने का वादा क्या घूस नहीं?

ईमानदारी के नाम पर राजनीति करने वाले अरविंद केजरीवाल परदे के पीछे से करप्शन कर रहे हैं

Pratima Sharma

अरविंद केजरीवाल अपने सभी सिपहसलारों के साथ इन दिनों दिल्लीवालों को यह भरोसा दिलाने में जुटे हैं कि एमसीडी चुनाव जीतने के बाद वह हाउस टैक्स खत्म कर देंगे.

दिल्लीवालों को भी इसमें कोई ऐतराज नही है. आप पहले भी 'पानी बिल साफ और बिजली बिल हाफ' करने का वादा करके दिल्ली में अपनी सरकार बना चुकी है.


सरकार बनने के बाद पार्टी ने अपना कोई और वादा भले ही पूरा न किया हो लेकिन इस वादे पर जरूर खरी उतरी है. इस तरह के फ्रीबीज से जनता का भरोसा जीत चुके केजरीवाल के लिए यह तुरुप का इक्का हो चुका है.

क्या यह घूस नहीं है ?

चुनावों में लालच देकर वोट हासिल करना चुनाव आयोग की नजर में गलत में है. लेकिन इस तरह के चुनावी वादे करना क्या घूस की श्रेणी में नहीं आता?

तुरत-फुरत फायदे की लालच में दिल्लीवाले बेशक केजरीवाल को वोट दे सकते हैं. ईमानदारी के नाम पर 'आम आदमी पार्टी' की सरकार बनाई गई लेकिन परदे की आड़ से केजरीवाल वो सब कर रहे हैं जो किसी भी पार्टी का दबंग नेता करता.

हाउस टैक्स खत्म करने का फायदा किसे?

आमतौर पर किसी सरकार का फोकस पिरामिड के सबसे निचले पायदान पर होता है. लेकिन केजरीवाल इस मामले में उल्टे हैं. उनके हाउस टैक्स के वादे से उन लोगों को ज्यादा फायदा होगा जिनके पास बड़ा घर है. यानी जितना बड़ा घर उतना ज्यादा फायदा.

टैक्स चोरों को इनाम?

इतना ही नहीं केजरीवाल की इस छूट का फायदा उन लोगों को ज्यादा होगा जो बेइमान हैं. यानी जो लोग हाउस टैक्स चुकाने में आनाकानी करते आए हैं उन्हें इसका फायदा सबसे ज्यादा मिलेगा.

केजरीवाल ने बकाया हाउस टैक्स माफ करने की भी बात कही है. इसका सीधा मतलब है कि ईमानदारी से हाउस टैक्स चुकाने वाले को नुकसान हो गया.

केजरीवाल बेहिचक अपने फायदे की राजनीति कर रहे हैं. हाउस टैक्स माफ करने के बजाय वे दिल्ली के विकास के लिए कई दूसरे काम कर सकते हैं.

मसलन प्रदूषण दूर करना, महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाना, सड़कों को बेहतर बनाना और कचरे से निजात दिलाने जैसे कामों की फिलहाल ज्यादा जरूरत है.

केजरीवाल की दोतरफा चाल

हाल ही में खत्म हुए विधानसभा चुनावों में केजरीवाल चीख-चीख कर मतदाताओं को यह समझा रहे थे कि पैसे चाहे किसी से भी लेना लेकिन वोट आम आदमी पार्टी को ही देना.

इसी तरह का एक बयान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी दिया था. तब इस बयान पर चुनाव आयोग ने आपत्ति दर्ज कराई थी. चुनाव आयोग ने इस पर अखिलेश से जवाब भी मांगा था.

चुनावों में नोट के बदले वोट, वोट के बदले शराब, साड़ी या पैसा बांटने वालों पर चुनाव आयोग की सख्ती आम बात है.

कब तक काम आएगा शॉर्टकट रास्ता ?

शॉर्टकट तरीके से राजनीति में आने और दिल्ली के सीएम बन जाने वाले केजरीवाल ने जीत का मंत्र फ्रीबीज में खोज लिया है.

2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में पानी बिल साफ और बिजली बिल हाफ का वादा करते हुए केजरीवाल ने दिल्ली की जनता का दिल जीता था.

अब विधानसभा चुनावों में भी केजरीवाल यही हथकंडा आजमा रहे हैं. फिलहाल पिछले दो बार से दिल्ली के एमसीडी पर बीजेपी का कब्जा है.

क्या है केजरीवाल का वादा?

एमसीडी चुनावों से पहले केजरीवाल ने वादा किया है कि वे हाउस टैक्स माफ करेंगे. फिलहाल दिल्ली सरकार को हाउस टैक्स से हर साल करीब 600 करोड़ रुपए की आमदनी होती है.

अगर हम बजट के हिसाब से देखें तो दिल्ली में हाउस टैक्स चुकाने वाले टोटल 9 लाख लोग हैं.

एनडीएमसी का बजट 3300 करोड़ रुपए है. इसमें 250-300 करोड़ कलेक्शन हाउस टैक्स से होता है. केजरीवाल ने  यह भी कहा कि इंडस्ट्रियल और कमर्शियल हाउस टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया जाता है.

केजरीवाल ने कहा, 'एमसीडी का चुनाव जीतने के बाद तत्काल प्रभाव से हाउस टैक्स खत्म कर देंगे और बकाया भी माफ कर देंगे.'

केजरीवाल का दावा है कि इस छूट की भरपाई वो करप्शन खत्म करके पूरी करेंगे. उन्होंने कहा कि 3300 रुपए के टोटल बजट में से 1000 करोड़ रुपया भ्रष्टाचार में चला जाता है.