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एमसीडी चुनाव: 56 हजार जवानों के हाथों में सौंपी गई सुरक्षा, तैयारियां पूरी

रविवार की सुबह 272 सीटों के लिए वोट डालेगी दिल्ली की जनता

Bhasha

लगभग एक करोड़ तीस लाख मतदाता रविवार को नगर निगम चुनाव के लिए मतदान कर 272 पाषर्दों को चुनेंगे. भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने शुक्रवार को खत्म हुएं धुंआधार चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं का लुभाने के लिए सारे जतन किए. इस चुनाव से उभरी राजनीतिक तस्वीर का प्रभाव दिल्ली से इतर अन्य राज्यों में भी देखा सकेगा.

पिछले दस साल से एमसीडी में बीजेपी काबिज है. लेकिन इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प है. इस बार बीजेपी और कांग्रेस के सामने आम आदमी पार्टी भी खड़ी है. तो आम आदमी पार्टी को टक्कर देने के लिये योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की स्वराज इंडिया सामने है. वहीं पूर्वांचली वोटर के बूते चुनाव के नतीजों को बदलने की कोशिश कर रही है नीतीश की जनता दल युनाइटेड. ऐसे में इस बार मुकाबला महादंगल में बदल चुका है.


2012 में था बीजेपी कांग्रेस में सीधा मुकाबला

साल 2012 के दिल्ली नगर निगम चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला था. बीजेपी को भारी बहुमत मिला था. कुल 272 सीटों में बीजेपी को 138 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को 77 सीटें और बीएसपी को 15 सीटें मिली थीं.

इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने रविवार के मतदान के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं. आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि तीनों नगर निगम के चुनाव के लिए कुल 13022 मतदान केन्द्र बनाए गए है.

सभी केंद्रों पर ईवीएम सहित मतदान संबंधी सभी जरूरी सामान पहुंचा दिया गया है. दिल्ली पुलिस ने अर्द्धसैनिक बलों के साथ सभी मतदान केद्रों पर पुख्ता सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित कर दिए हैं. मतदान के मद्देनजर चुनावकर्मियों की सहूलियत के लिए दिल्ली मेट्रो रविवार सुबह चार बजे से मेट्रो रेल का परिचालन करेगी.

राज्य चुनाव आयोग ने निगम चुनाव में 774 स्थानों पर 4748 मतदान केंद्रों को संवेदनशील और अतिसंवेदनशील घोषित किया है. इसके मद्देनजर मतदान से लेकर 26 अप्रैल को मतगणना होने तक, संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया में सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के 56 हजार जवानों के हाथों में सौंपी गई है.

देश की राजनीति पर भी असर डालेंगे ये चुनाव

प्रतीकात्मक तस्वीर

जानकारों की राय में इस बार का निगम चुनाव परिणाम देश की राजनीतिक राजधानी के सियासी फलक को नया रंगरूप देने के अलावा तीनों दावेदार दलों के राजनीतिक भविष्य के लिए भी अग्नि परीक्षा साबित होगा.

एक तरफ इस चुनाव का परिणाम पिछले विधानसभा चुनाव में 67 सीट जीतने का इतिहास बनाने वाली आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता का पैमाना बनेगा वहीं दिल्ली की राजनीति में हाशिये पर जा पहुंची भाजपा और कांग्रेस के सियासी भविष्य की तस्वीर भी साफ हो जाएगी.

इस चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप के लिए अपने जनाधार को बरकरार रखने की चुनौती है. जबकि पिछले दस साल से निगम की सत्ता पर काबिज भाजपा का लक्ष्य देशभर में चल रही मोदी लहर के सहारे एक बार फिर सत्ता की नाव को पार लगाना है. वहीं विधानसभा में सूपड़ा साफ करा चुकी कांग्रेस के लिए यह चुनाव खोई जमीन वापस पाने का अवसर है.